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Sirsa News: मिट्टी की सेहत ही राष्ट्र की संपत्ति
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डबवाली।लायंस क्लब सुप्रीम की ओर से मेहता फार्म्स, सुकेराखेड़ा में पराली प्रबंधन एवं मिट्टी की से
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डबवाली। लायंस क्लब सुप्रीम की ओर से मेहता फार्म्स, सुकेराखेड़ा में पराली प्रबंधन एवं मिट्टी की सेहत पर जागरूकता कार्यक्रम मंगलवार को आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों, छात्रों और समाज को यह संदेश देना था कि मिट्टी की सेहत ही राष्ट्र की संपत्ति है और इसे सुरक्षित रखना हर नागरिक की जिम्मेदारी है।
क्लब के अध्यक्ष और प्रगतिशील किसान लायन आशीष मेहता ने कहा कि मिट्टी केवल खेत नहीं है, बल्कि धरती मां का स्वरूप है। यदि मिट्टी स्वस्थ रहेगी तो फसलें भी स्वस्थ रहेंगी, किसान समृद्ध रहेगा और राष्ट्र मजबूत बनेगा। पराली जलाना एक आसान रास्ता है, लेकिन यह मिट्टी की जीवन शक्ति को नष्ट कर देता है।
हर किसान को मिट्टी से प्रेम की भावना अपनानी चाहिए, यानी मिट्टी से प्रेम करना, उसकी देखभाल करना और आधुनिक तकनीकों से उसे जीवित रखना। मेहता ने बताया कि एक एकड़ पराली में लगभग 25-30 किलो नाइट्रोजन, 10-12 किलो फॉस्फोरस, 60-70 किलो पोटाश, 6-8 किलो सल्फर और लगभग 1 टन जैविक कार्बन होता है।
यदि किसान पराली जलाने के बजाय उसे मिट्टी में मिला दे, तो यह प्राकृतिक खाद का कार्य करती है और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है। किसानों से आह्वान किया कि वे हैप्पी सीडर, सुपर सीडर और मल्चर जैसी मशीनों का प्रयोग बढ़ाएं। इन-सिटू प्रबंधन केवल पर्यावरण की रक्षा नहीं करता, बल्कि खेती को टिकाऊ और आर्थिक रूप से सशक्त बनाता है।
मुख्य अतिथि, मार्केट कमेटी डबवाली के चेयरमैन सतीश जग्गा ने कहा कि किसान जब पराली जलाता है, तो वह अपनी मिट्टी की आत्मा को जला देता है। यह समझना जरूरी है कि खेत केवल उपज की भूमि नहीं, बल्कि जीवन देने वाला तंत्र है। कार्यक्रम में इंदरप्रीत मोंगा, अमरीक सिंह गिल, डॉ. लोकेश्वर वधवा, सुदेश वर्मा, शंटी मुंजाल, पवन मुंजाल और मनोज मेहता आदि मौजूद रहे।
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क्लब के अध्यक्ष और प्रगतिशील किसान लायन आशीष मेहता ने कहा कि मिट्टी केवल खेत नहीं है, बल्कि धरती मां का स्वरूप है। यदि मिट्टी स्वस्थ रहेगी तो फसलें भी स्वस्थ रहेंगी, किसान समृद्ध रहेगा और राष्ट्र मजबूत बनेगा। पराली जलाना एक आसान रास्ता है, लेकिन यह मिट्टी की जीवन शक्ति को नष्ट कर देता है।
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हर किसान को मिट्टी से प्रेम की भावना अपनानी चाहिए, यानी मिट्टी से प्रेम करना, उसकी देखभाल करना और आधुनिक तकनीकों से उसे जीवित रखना। मेहता ने बताया कि एक एकड़ पराली में लगभग 25-30 किलो नाइट्रोजन, 10-12 किलो फॉस्फोरस, 60-70 किलो पोटाश, 6-8 किलो सल्फर और लगभग 1 टन जैविक कार्बन होता है।
यदि किसान पराली जलाने के बजाय उसे मिट्टी में मिला दे, तो यह प्राकृतिक खाद का कार्य करती है और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है। किसानों से आह्वान किया कि वे हैप्पी सीडर, सुपर सीडर और मल्चर जैसी मशीनों का प्रयोग बढ़ाएं। इन-सिटू प्रबंधन केवल पर्यावरण की रक्षा नहीं करता, बल्कि खेती को टिकाऊ और आर्थिक रूप से सशक्त बनाता है।
मुख्य अतिथि, मार्केट कमेटी डबवाली के चेयरमैन सतीश जग्गा ने कहा कि किसान जब पराली जलाता है, तो वह अपनी मिट्टी की आत्मा को जला देता है। यह समझना जरूरी है कि खेत केवल उपज की भूमि नहीं, बल्कि जीवन देने वाला तंत्र है। कार्यक्रम में इंदरप्रीत मोंगा, अमरीक सिंह गिल, डॉ. लोकेश्वर वधवा, सुदेश वर्मा, शंटी मुंजाल, पवन मुंजाल और मनोज मेहता आदि मौजूद रहे।