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Yamuna Nagar News: हैफेड व डीएफएससी में धान लेने की होड़, आज फिर होगी सुनवाई
संवाद न्यूज एजेंसी, यमुना नगर
Updated Tue, 02 Dec 2025 01:30 AM IST
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राइस मिल में धान की बोरियों की गिनती करते अधिकारी। आर्काइव
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संवाद न्यूज एजेंसी
यमुनानगर। जिले की सात राइस मिलों में बचा हुआ धान कौन सी एजेंसी को दिया जाए, इस पर निर्णय सोमवार को भी नहीं हो सका। अदालत अब इस मामले पर सुनवाई तीन दिसंबर को करेगी। हैफेड डीएम व डीएफएससी दोनों की तरफ से ही धान को उन्हें सौंपने के लिए अदालत में अर्जी लगाई हुई है। इससे पहले 26 व 28 नवंबर को इस पर होने वाली सुनवाई टल गई थी।
प्रतापनगर, रणजीतपुर और छछरौली क्षेत्र की सात राइस मिलों में सामने आए धान गबन प्रकरण के बाद सरकारी एजेंसियां बचे हुए धान को लेना चाहती हैं। दरअसल जिन राइस मिलाें में धान का गबन हुआ है उनमें से प्रतापनगर की चार व रणजीतपुर की दो एक ही परिसर में हैं।
गबन से हैफेड व खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को काफी नुकसान हुआ है। राइस मिलों में जो धान बचा हुआ है, दोनों एजेंसियां उसे अपना बता रही है। वह इसलिए कि बचा हुआ धान जिसे मिलेगा उस एजेंसी का नुकसान उतना ही कम हो जाएगा। यही वजह है कि दोनों एजेंसियों की तरफ से धान को अपने पाले में करने के लिए पूरा एडी चोटी का जोर लगाया जा रहा है। अदालत में एक से एक दलील दी जा रही है। यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि कौन सा ढेर हैफेड का है और कौन सा खाद्य एवं आपूर्ति विभाग का।
प्रतापनगर की तीन राइस मिलों में नमूने फेल
राइस मिलरों के लिए नई मुश्किल पैदा हो गई है। राइस मिलों में जिस धान की कुटाई हो चुकी है उसमें से चावल के कई सैंपल फेल बताए गए हैं। चावल का रंग बदल गया है। एसडीएम छछरौली के नेतृत्व में की गई वेरिफिकेशन में चावल के सैंपल लिए गए जो एमआईएम की रिपोर्ट में रिजेक्ट पाए गए। अब जिस चावल के सैंपल रिजेक्ट किए गए हैं उसकी स्टॉक में गिनती नहीं की जा रही इसकी गिनती न होने से राइस मिलरों को चावल पूरा करना मुश्किल हो जाएगा।
एक माह में रंग बदलना स्वभाविक : मनीष बंसल
राइस मिल एसो. के प्रधान मनीष बंसल का कहना है कि मंडियों से धान उठाने के तुरंत बाद ही राइस मिलरों ने कुटाई शुरू कर दी थी। क्योंकि मिलों में जो लेबर आई थी उसे खाली नहीं रख सकते थे। एक नवंबर से अब तक चावल के रंग में अंतर आना स्वाभाविक है। इसलिए राइस मिलरों का दोष नहीं है। यदि अधिकारी ऐसे ही चावल को रिजेक्ट करते रहे तो वह अपनी सप्लाई को पूरा कैसे करेंगे। वेरिफिकेशन के नाम पर राइस मिलरों को परेशान किया जा रहा है।
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यमुनानगर। जिले की सात राइस मिलों में बचा हुआ धान कौन सी एजेंसी को दिया जाए, इस पर निर्णय सोमवार को भी नहीं हो सका। अदालत अब इस मामले पर सुनवाई तीन दिसंबर को करेगी। हैफेड डीएम व डीएफएससी दोनों की तरफ से ही धान को उन्हें सौंपने के लिए अदालत में अर्जी लगाई हुई है। इससे पहले 26 व 28 नवंबर को इस पर होने वाली सुनवाई टल गई थी।
प्रतापनगर, रणजीतपुर और छछरौली क्षेत्र की सात राइस मिलों में सामने आए धान गबन प्रकरण के बाद सरकारी एजेंसियां बचे हुए धान को लेना चाहती हैं। दरअसल जिन राइस मिलाें में धान का गबन हुआ है उनमें से प्रतापनगर की चार व रणजीतपुर की दो एक ही परिसर में हैं।
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गबन से हैफेड व खाद्य एवं आपूर्ति विभाग को काफी नुकसान हुआ है। राइस मिलों में जो धान बचा हुआ है, दोनों एजेंसियां उसे अपना बता रही है। वह इसलिए कि बचा हुआ धान जिसे मिलेगा उस एजेंसी का नुकसान उतना ही कम हो जाएगा। यही वजह है कि दोनों एजेंसियों की तरफ से धान को अपने पाले में करने के लिए पूरा एडी चोटी का जोर लगाया जा रहा है। अदालत में एक से एक दलील दी जा रही है। यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि कौन सा ढेर हैफेड का है और कौन सा खाद्य एवं आपूर्ति विभाग का।
प्रतापनगर की तीन राइस मिलों में नमूने फेल
राइस मिलरों के लिए नई मुश्किल पैदा हो गई है। राइस मिलों में जिस धान की कुटाई हो चुकी है उसमें से चावल के कई सैंपल फेल बताए गए हैं। चावल का रंग बदल गया है। एसडीएम छछरौली के नेतृत्व में की गई वेरिफिकेशन में चावल के सैंपल लिए गए जो एमआईएम की रिपोर्ट में रिजेक्ट पाए गए। अब जिस चावल के सैंपल रिजेक्ट किए गए हैं उसकी स्टॉक में गिनती नहीं की जा रही इसकी गिनती न होने से राइस मिलरों को चावल पूरा करना मुश्किल हो जाएगा।
एक माह में रंग बदलना स्वभाविक : मनीष बंसल
राइस मिल एसो. के प्रधान मनीष बंसल का कहना है कि मंडियों से धान उठाने के तुरंत बाद ही राइस मिलरों ने कुटाई शुरू कर दी थी। क्योंकि मिलों में जो लेबर आई थी उसे खाली नहीं रख सकते थे। एक नवंबर से अब तक चावल के रंग में अंतर आना स्वाभाविक है। इसलिए राइस मिलरों का दोष नहीं है। यदि अधिकारी ऐसे ही चावल को रिजेक्ट करते रहे तो वह अपनी सप्लाई को पूरा कैसे करेंगे। वेरिफिकेशन के नाम पर राइस मिलरों को परेशान किया जा रहा है।