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हथिनी कुंड बैराज के पास बांध बनाने की परियोजना: हिमाचल नहीं दे रहा पर्यावरण मंजूरी, अटका डैम का निर्माण
संवाद न्यूज एजेंसी, यमुनानगर (हरियाणा)
Published by: अमर उजाला ब्यूरो
Updated Sat, 09 Mar 2024 10:17 AM IST
सार
यमुनानगर में जिस जगह पर डैम बनाया जाना है, वहां सर्वे कराने के बाद जगह को पहले ही चिह्नित कर लिया गया है। ऐसे में यदि परियोजना सिरे चढ़ी तो यह हरियाणा का सबसे बड़ा डैम होगा। इस बांध के बनने से यमुना के किनारे बसे क्षेत्रों में बाढ़ की समस्या से बड़ी राहत मिल सकेगी।
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हथिनीकुंड बैराज
- फोटो : फाइल फोटो
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विस्तार
हरियाणा, यूपी, हिमाचल व दिल्ली को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से हथिनी कुंड बैराज के पास लगभग 6134 करोड़ रुपए से बांध बनाने की परियोजना में पर्यावरण मंजूरी का पेच फंस गया है। इसी वजह से ये महत्वाकांक्षी परियोजना आगे नहीं बढ़ पा रही है। सिंचाई विभाग ने अब इस मामले को दिल्ली में सेंटर वाटर कमिश्नर के समक्ष रखा है। इस संदर्भ में अब वहीं से आगामी आदेशों का इंतजार किया जा रहा है।
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इस परियोजना से जहां चारों राज्यों के विभिन्न क्षेत्रों को पर्याप्त पानी उपलब्ध हो सकेगा, वहीं बाढ़ की समस्या से भी काफी हद तक राहत मिलेगी। पांच साल से चल रही इस परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए फिलहाल हिमाचल प्रदेश से पर्यावरण मंजूरी की जरूरत है मगर यह मंजूरी काफी समय से अटकी पड़ी है।
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उल्लेखनीय है कि जिस जगह पर डैम बनाया जाना है, वहां सर्वे कराने के बाद जगह को पहले ही चिह्नित कर लिया गया है। ऐसे में यदि परियोजना सिरे चढ़ी तो यह हरियाणा का सबसे बड़ा डैम होगा। इस बांध के बनने से यमुना के किनारे बसे क्षेत्रों में बाढ़ की समस्या से बड़ी राहत मिल सकेगी। साथ ही परियोजना के तहत 250 मेगावाट बिजली उत्पादन भी की जाएगी।
इसके अलावा बांध के पानी से सूखे की स्थिति में सवा लाख एकड़ भूमि को सिंचित भी किया जा सकेगा। यहां 14 किमी लंबा जलाशय बनाया जाना है। इस परियोजना में 5400 एकड़ भूमि का इस्तेमाल होगा। इसमें एनएच 73 का 11 किमी लंबा हिस्सा व नौ गांव दायरे में आएंगे। इनमें हरियाणा के चार व हिमाचल के पांच गांव शामिल हैं।
सिंचाई विभाग के एक्सईएन सुरेंद्र कुमार ने बताया कि यह परियोजना महत्वपूर्ण हैं और इससे काफी लाभ होगा लेकिन हिमाचल की तरफ से अभी तक परियोजना को पर्यावरण मंजूरी नहीं मिल पा रही है। उनके अनुसार कई बार हिमाचल सरकार से पत्राचार भी किया जा चुका है। अब यह केस दिल्ली में सेंटर वाटर कमिश्नर के समक्ष भी रखा जा चुका है। इस संदर्भ में वहीं से आदेश आएंगे। उसके बाद ही परियोजना आगे बढ़ पाएगी।