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Hamirpur (Himachal) News: चीड़ की पत्तियों से बुनी जा रही भविष्य की आत्मनिर्भरता
संवाद न्यूज एजेंसी, हमीरपुर (हि. प्र.)
Updated Wed, 12 Nov 2025 12:49 AM IST
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सलौणी में चल रहे प्रशिक्षण शिविर में चीड़ की पत्तियों से उत्पाद बनाते हुए महिलाएं। संवाद
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सलौणी (हमीरपुर)। घर की दहलीज के बाहर कदम रखकर महिलाएं अब अपना भविष्य स्वयं चुन रही हैं। महिलाएं न केवल कार्यालयों में अपनी प्रतिभा दिखा रही हैं, बल्कि स्वरोजगार के क्षेत्र में भी अग्रणी हैं।
सलौणी में आयोजित प्रशिक्षण शिविर में महिलाएं चीड़ की पत्तियों से अपने भविष्य की आत्मनिर्भरता को बुन रही हैं। डीसी हैंडीक्राफ्ट केंद्रीय सरकार दिल्ली की ओर से आयोजित करवाए जा रहे 50 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में 30 महिलाएं चीड़ की पत्तियों से विभिन्न प्रयोग की वस्तुओं का निर्माण करने का हुनर सीख रही हैं। इसमें महिलाएं रोटी बॉक्स, फ्लावर पॉट, टैंपल टोकरी, फ्रूट बकेट, टी कॉस्टर और अन्य विभिन्न प्रकार के डिजाइन बनाना सीख रही हैं।
प्रशिक्षण शिविर में मुख्य प्रशिक्षिका मास्टर क्राफ्ट पर्सन कविता महिलाओं को चीड़ की पत्तियों से विभिन्न डिजाइन के उत्पाद बनाने का गुर सीखा रही हैं। कविता का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है। महिलाएं घर में बैठकर अपना स्वरोजगार शुरू कर सकती हैं।
महिलाएं जंगल से चीड़ की पत्तियां इकट्ठी कर उत्पाद बना सकती हैं। पर्यावरण संरक्षण को देखते हुए यह उत्पाद बहुत ही सराहनीय है। इनका प्रयोग घर में, रसोई में, कार्यालय में या अन्य स्थानों पर आसानी से किया जा सकता है। प्रशिक्षण शिविर में महिलाओं को न केवल प्रैक्टिकल के माध्यम से सिखाया जा रहा है बल्कि उन्हें इसकी थियोरी भी बताई जा रही है। वर्तमान समय में इनकी मांग में भी काफी बढ़ोतरी हुई है।
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सलौणी में आयोजित प्रशिक्षण शिविर में महिलाएं चीड़ की पत्तियों से अपने भविष्य की आत्मनिर्भरता को बुन रही हैं। डीसी हैंडीक्राफ्ट केंद्रीय सरकार दिल्ली की ओर से आयोजित करवाए जा रहे 50 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में 30 महिलाएं चीड़ की पत्तियों से विभिन्न प्रयोग की वस्तुओं का निर्माण करने का हुनर सीख रही हैं। इसमें महिलाएं रोटी बॉक्स, फ्लावर पॉट, टैंपल टोकरी, फ्रूट बकेट, टी कॉस्टर और अन्य विभिन्न प्रकार के डिजाइन बनाना सीख रही हैं।
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प्रशिक्षण शिविर में मुख्य प्रशिक्षिका मास्टर क्राफ्ट पर्सन कविता महिलाओं को चीड़ की पत्तियों से विभिन्न डिजाइन के उत्पाद बनाने का गुर सीखा रही हैं। कविता का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है। महिलाएं घर में बैठकर अपना स्वरोजगार शुरू कर सकती हैं।
महिलाएं जंगल से चीड़ की पत्तियां इकट्ठी कर उत्पाद बना सकती हैं। पर्यावरण संरक्षण को देखते हुए यह उत्पाद बहुत ही सराहनीय है। इनका प्रयोग घर में, रसोई में, कार्यालय में या अन्य स्थानों पर आसानी से किया जा सकता है। प्रशिक्षण शिविर में महिलाओं को न केवल प्रैक्टिकल के माध्यम से सिखाया जा रहा है बल्कि उन्हें इसकी थियोरी भी बताई जा रही है। वर्तमान समय में इनकी मांग में भी काफी बढ़ोतरी हुई है।