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HP High Court: खनन पट्टों को 50 वर्ष के लीज पर देने को लेकर हिमाचल हाईकोर्ट ने सरकार को जारी किया नोटिस

संवाद न्यूज एजेंसी, शिमला। Published by: अंकेश डोगरा Updated Tue, 02 Dec 2025 11:28 AM IST
सार

हिमाचल प्रदेश में खनन पट्टों को 50 वर्ष के लिए लीज पर देने वाले नियमों को लेकर प्रतिवादी सरकार और अन्य को हाईकोर्ट ने नोटिस जारी किया है। जानें पूरा मामला...

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Himachal High Court issues notice to the government regarding granting of mining leases on 50-year lease
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश में खनन पट्टों को 50 वर्ष के लिए लीज पर देने वाले नियमों को लेकर प्रतिवादी सरकार और अन्य को नोटिस जारी किया है। न्यायाधीश विवेक सिंह ठाकुर और न्यायाधीश रमेश वर्मा की खंडपीठ ने इस मामले में चार सप्ताह के भीतर जवाब दायर करने के आदेश दिए है। मामले की अगली सुनवाई 10 मार्च को होगी।

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याचिका में संशोधित खान एवं खनिज अधिनियम 1957 की धारा 8 ए(3) को चुनौती दी गई है। इस संशोधन में बताया गया है कि जिन खनन पट्टा धारकों ने 12 जनवरी 2015 में लीज से संबंधित लाइसेंस को रिन्यू कर दिया है उनकी लिज 50 वर्षों के लिए वैध मानी जाएगी। इसके साथ ही जिनकी लीज उक्त तिथि के समय रिन्यू नहीं हो पाई है, उन्हें 50 वर्षों के लिए लीज का लाभ नहीं दिया जाएगा। याचिका में संशोधित खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 की धारा 8 ए की व्याख्या एवं संवैधानिक वैधता के साथ-साथ वर्ष 1986 की राज्य सरकार की जिला सिरमौर को खनन हेतु आरक्षित करने वाली अधिसूचना को भी चुनौती दी है।
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यह याचिका आत्मा राम की ओर से दायर की गई है। 2015 के संशोधित अधिनियम से पूर्व स्वीकृत खनन पट्टों को धारा 8ए(3) के अंतर्गत 50 वर्ष की अवधि का लाभ प्राप्त होने से रोकता है। यदि पूर्व में उनके नवीनीकरण को अस्वीकृत, निरस्त किया गया हो। याचिका में इस संशोधन को मनमाना, भेदभावपूर्ण एवं संविधान के अनुच्छेद 14 एवं 21 का उल्लंघन बताया गया है।

हाईकोर्ट ने प्रोबेशन अवधि के दौरान इंटरव्यू में शामिल होने की दी अनुमति
हिमाचल हाईकोर्ट ने एम्स बिलासपुर के डिप्टी डायरेक्टर की ओर से याचिकाकर्ता को प्रोबेशन अवधि के दौरान बाहरी पदों के लिए आवेदन करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने से मना करने वाले आदेश पर रोक लगा दी है। अदालत ने याचिकाकर्ता जो वर्तमान में एम्स बिलासपुर में असिस्टेंट प्रोफेसर (एनेस्थीसिया) के पद पर कार्यरत हैं, को अंतरिम राहत देते हुए उन्हें अन्य पद के लिए होने वाले इंटरव्यू में अंतिम रूप से भाग लेने की अनुमति दे दी है। न्यायाधीश संदीप शर्मा की अदालत ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता का चयन इस रिट याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन रहेगा। अगली सुनवाई 9 दिसंबर को होगी।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने एक बाहरी पद के लिए आवेदन किया था। इसके लिए उन्हें इंटरव्यू लेटर भी जारी किया गया था। बताया गया कि एम्स बिलासपुर के डिप्टी डायरेक्टर (प्रशासन) ने प्रोबेशन अवधि के दौरान बाहरी पदों के लिए आवेदन करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने से मना कर दिया था।
 

याचिकाकर्ता ने न्यायालय को बताया कि चयन होने के बाद वह इस्तीफा देने के लिए तैयार और इच्छुक हैं। वहीं एम्स बिलासपुर ने यह स्पष्ट किया था कि याचिकाकर्ता डॉक्टर बाहरी पद के लिए आवेदन कर सकती हैं, लेकिन चयन होने पर उन्हें वर्तमान पद से इस्तीफा देना होगा और उनकी पिछली सेवा के लाभ जब्त कर लिए जाएंगे। बाद में याचिकाकर्ता को दूसरे संस्थान में इंटरव्यू के लिए गईं। वहां पर एम्स की ओर से जारी एनओसी पर यह कहकर आपत्ति जताई गई कि यह निर्धारित प्रोफॉर्मा में नहीं है। उन्हें इंटरव्यू में शामिल होने की अनुमति भी नहीं दी जाएगी।

प्रतिवादी नियोक्ता ने तर्क दिया कि सही एनओसी के बिना उम्मीदवार को चयन प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती। अदालत ने एम्स बिलासपुर की ओर से जारी कार्यालय ज्ञापन का अवलोकन किया और पाया कि यद्यपि औपचारिक एनओसी जारी नहीं किया गया था, पर एम्स बिलासपुर को उनके आवेदन करने पर कोई आपत्ति नहीं थी, बशर्ते चयन होने पर वे इस्तीफा दे दें और सेवा लाभों का त्याग करें। अदालत ने याचिकाकर्ता को इंटरव्यू में शामिल होने की अनुमति दे दी।
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