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HP High Court: हिमाचल से नियमित हवाई उड़ानें न होने पर हाईकोर्ट सख्त, केंद्र व राज्य से मांगा जवाब
संवाद न्यूज एजेंसी, शिमला।
Published by: अंकेश डोगरा
Updated Thu, 13 Nov 2025 02:00 AM IST
सार
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य के हवाई अड्डों से उड़ानें नियमित न चलने पर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव को प्रतिवादी बनाते हुए उनसे आवश्यक विवरण देने को कहा है। पढ़ें पूरी खबर...
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हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट
- फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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विस्तार
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य के हवाई अड्डों से उड़ानें नियमित न चलने पर स्वतः संज्ञान लिया है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च न्यायालय ने केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव को प्रतिवादी बनाते हुए उनसे आवश्यक विवरण देने को कहा है। इसके साथ राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह इस मामले में एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे, जिसमें यह बताया जाए कि राज्य ने नियमित उड़ानें सुनिश्चित करने के लिए संबंधित अधिकारियों से क्या आग्रह किया है। अदालत ने राज्य सरकार को नियमित रूप से उड़ानें संचालित करने का भी आदेश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।
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यह मामला मूल रूप से कांगड़ा के गगल हवाई अड्डे पर पक्षियों के बढ़ते खतरे (बर्ड मैनेस) से संबंधित था। मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायाधीश जिया लाल भारद्वाज की खंडपीठ ने टिप्पणी की कि राज्य में शिमला, कुल्लू और कांगड़ा में हवाई अड्डे होने के बावजूद केंद्र सरकार ने पर्याप्त उड़ानों के लिए उचित व्यवस्था नहीं की है। इससे हिमाचल प्रदेश के लोगों को भारी असुविधा हो रही है। अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि हिमाचल एक पहाड़ी राज्य है, जहां आवागमन पहले से ही मुश्किल है और पर्यटन उद्योग ही राज्य की आय का मुख्य स्रोत है।
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खंडपीठ को सूचित किया गया कि शिमला और कुल्लू में आमतौर पर केवल एक ही हॉपिंग उड़ान संचालित होती है और वह भी नियमित रूप से नहीं चलती है। कोर्ट को सूचित किया गया है कि हिमाचल प्रदेश में शिमला, कुल्लू और कांगड़ा में स्थित तीन हवाई अड्डों में बुनियादी ढांचा स्थापित होने के बावजूद भारत संघ ने इन हवाई अड्डों से पर्याप्त संख्या में उड़ानों के संचालन के लिए पर्याप्त व्यवस्था नहीं की है। इस प्रकार हिमाचल प्रदेश के निवासियों को गंभीर असुविधा हो रही है। अदालत ने कहा कि इसके परिणाम में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय के सचिव के माध्यम से प्रतिवादी के रूप में आवश्यक विवरण देने के लिए अभियोगी बनाया जाता है। राज्य सरकार को आदेश दिया कि मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे।