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Kullu Fire Incident: जो पहने बस वही बचे... अब न बर्तन रहे और न ही बिस्तर; प्रभावित बोले, बहुत भयावह था दृश्य

गौरीशंकर, कुल्लू। Published by: अंकेश डोगरा Updated Wed, 12 Nov 2025 05:00 AM IST
सार

Kullu Fire Incident: जिला कुल्लू का झनियार गांव जहां आग ने लोगों के आशियाने छीन लिए। प्रभावितों का कहना है कि आग इतनी भयंकर हो चुकी थी कि कुछ भी निकालना नामुमकिन हो गया। बड़ी मुश्किल से सिर्फ बच्चों व मवेशियों को बचा पाए। पढ़ें पूरी खबर...

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kullu jhaniyar village fire villagers emotional side story Now there are no utensils or beds
बंजार की नोहांडा पंचायत का झनियार गांव, आग के बाद राख के ढेर में बदले आशियाने। - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क
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विस्तार
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बहुत भयानक दृश्य था...। जो पहना है वही है... अब न बर्तन बचे हैं और न ही बिस्तर। आग की लपटें एक के बाद एक घर को अपने आगोश में ले रही थीं। हम अपना काम-काज छोड़कर घर की ओर भागे और सबसे पहले बच्चों व मवेशियों को दूर पहुंचाया। जब तक सामान निकालने के लिए लौटे, तब तक आग इतनी भयंकर हो चुकी थी कि कुछ भी निकालना नामुमकिन हो गया।

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आखिर सबकुछ हमारी आंखों के सामने राख का ढेर बन गया। यह शब्द झनियार गांव के उन प्रभावितों के हैं, जिन्होंने सोमवार को अपनी आंखों के सामने अपनी पूरी दुनिया उजड़ते देखी। आशियाना खो चुकी अमृता का दर्द उसकी बातों में साफ झलकता है। वह कहती हैं कि आग की लपटों के बीच हमने कमरों से कुछ सामान बाहर भी फेंका, लेकिन तेज हवाओं के कारण आग इतनी विकराल होती गई कि हम बाहर फेंका हुआ सामान भी नहीं बचा पाए। सबकुछ खत्म हो गया।

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अमृता बताती हैं कि तीन साल पहले ही उन्होंने अपनी जीवन भर की कमाई पूंजी से यह घर बनाया था, जो आग में पूरी तरह राख हो गया। अब उनकी बस एक ही चिंता है कि सर्दियों में कहां और कैसे जीवन बसर करेंगे?

बुजुर्ग ने मचाया शोर पर हवा ने सब छीन लिया
अग्निकांड प्रभावित डोले राम बताते हैं कि जब आग लगी, उस समय घर पर कोई नहीं था। सभी लोग खेतों में काम कर रहे थे। गांव के एक बुजुर्ग दीनानाथ ने जब गांव में आग भड़की देखी तो उन्होंने जोर से शोर मचाया। शोर सुनकर लोग गांव की ओर भागे, लेकिन तब तक स्थिति नियंत्रण से बाहर हो चुकी थी। तेज हवा के कारण आग इतनी तेजी से फैली कि किसी को संभलने का मौका ही नहीं मिला।

बीमारी में कहां रहूंगी...
16 परिवारों के 80 से अधिक सदस्य अब बेघर हैं। प्रभावित कृष्णा देवी की पीड़ा सबसे अलग है। वह कहती हैं कि परिवार के सदस्यों ने जो कपड़े पहने थे बस वही बच पाए हैं। हम घर से एक भी सामान नहीं निकाल पाए। कृष्णा देवी ने रोते हुए कहा कि मेरे परिवार में तीन सदस्य हैं और मैं खुद बीमार हूं। अब घर राख होने के बाद इस बीमारी की हालत में कहां और कैसे रहेंगे, बस यही चिंता सता रही है। सर्दी भी लगातार बढ़ रही हैं।

छह घरों में 80 लोगों का आसरा, शून्य से नीचे तापमान में कैसे कटेंगी सर्द रातें
बंजार के झनियार गांव के यह 16 परिवार (80 से अधिक सदस्य) घर राख होने के बाद खुले आसमान तले आ गए हैं। फिलहाल गांव से थोड़ा दूर बने झावे राम, जीवन लाल, सोनू और धनी राम ने अपने छह घरों के दरवाजे प्रभावित परिवारों के लिए खोले हैं। सोमवार की रात सभी प्रभावितों की रातें इन्हीं छह घरों में गुजरी हैं। जब तक प्रशासन की ओर से टेंट आदि की व्यवस्था नहीं होती, तब तक ये परिवार इन्हीं घरों में शरण लेंगे। लेकिन सबसे बड़ी चुनौती आने वाली रातें हैं। क्षेत्र में बर्फबारी होने वाली है। तापमान शून्य से नीचे पहुंच जाएगा। ऐसे में शून्य से नीचे के तापमान में बिना छत और बिस्तर के रातें गुजारना इन 80 लोगों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है।
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