अमी चंद भंडारी
कुल्लू/खराहल। जिला कुल्लू में सेब के बाद सबसे ज्यादा उत्पादन नाशपाती का होता है। रसीले फल नाशपाती के लिए हाल में हुई बर्फबारी टॉनिक का काम करेगी। इससे नाशपाती के पौधों पर पनप रही कई बीमारियों का भी खात्मा होगा।
रसीले फल के लिए आवश्यक चिलिंग ऑवर्स समय पर पूरे हो जाएंगे। बारिश और बर्फबारी से पौधों के लिए लंबे समय तक नमी बनी रहेगी और ऐसी स्थिति में पौधों पर फूल बनने की प्रक्रिया में सहायक सिद्ध होगी। इसके चलते आगामी फसल अच्छी होने की संभावना अधिक बढ़ गई है। गत वर्ष बर्फबारी कम होने से उत्पादन भी औसतन कम हुआ था। लेकिन इस साल जनवरी के पहले सप्ताह में नाशपाती उत्पादित क्षेत्रों में बर्फबारी होने से नाशपाती उत्पादकों के चेहरे खिल गए हैं। नाशपाती उत्पादक ज्ञान ठाकुर, चंदे राम, चमन ठाकुर, प्रताप पठानिया, महेश शर्मा, कैलाश ठाकुर, बुद्धि प्रकाश, मुनीष भंडारी ने बताया कि हाल ही हुई बर्फबारी नाशपाती के लिए संजीवनी का काम करेगी। इससे आगामी फसल बेहतर होने की उम्मीद बढ़ गई है। जिला कुल्लू में नाशपाती का कारोबार करोड़ों में होता है। संवाद
बारटलेट का होता है ज्यादा उत्पादन
जिला कुल्लू में नाशपाती की अर्ली वैरायटी बारटलेट, रेड बारटलेट, मैक्स बारटलेट व क्रिमसन है। लेट वैरायटी में कान्फ्रेस, कॉन्कार्ड, पैखमथ्रमप्स, वारडम सेकल, ब्यूरी बॉसिक आदि है। ये वैरायटी लेट और शेल्फ लाइफ में काफी मजबूत है, लेकिन जिला कुल्लू में सबसे ज्यादा बारटलेट का उत्पादन हो रहा है। अन्य किस्मों को भी बागवान तैयार कर रहा है। लेकिन इनका उत्पादन काफी कम है। आने वाले समय में इनके उत्पादन में भी बढ़ोतरी होगी।
500 से 1500 घंटे ठंडा तापमान जरूरी : उपनिदेशक
बागवानी विभाग कुल्लू के उपनिदेशक डॉ. बीएम चौहान कहते हैं कि नाशपाती का समुद्रतल से लगभग 600 से 2700 मीटर तक उत्पादन संभव है। इसके लिए 500 से 1500 घंटे ठंडा तापमान होना आवश्यक है। जिला कुल्लू में सेब के बाद नाशपाती सबसे ज्यादा पैदा हो रही है। बागवानों को बाजार में इसके अच्छे रेट भी मिल रहे हैं।