संवाद न्यूज एजेंसी
मनाली (कुल्लू)। एक हजार रुपये तक के होटल के कमरों में 12 प्रतिशत जीएसटी लगाने के जीएसटी काउंसिल के निर्णय के बाद होटलियर चिंतित हैं। अब छोटे होटलों में ठहरना भी मुश्किल हो जाएगा। यानि निम्न और मध्यम वर्ग के पर्यटकों को अब कमरे महंगे मिलेंगे। इसका सीधा असर यहां के पर्यटन कारोबार पर पड़ सकता है।
पर्यटन कारोबारियों की मानें तो जीएसटी की दर बेहद अधिक है। 12 प्रतिशत की जगह यह पांच प्रतिशत तक किया जाना चाहिए था, जबकि कुछ यह भी कह रहे हैं कि निम्न वर्ग के लोगों को राहत पहुंचाने के लिए पूर्व में एक हजार रुपये तक के कमरों पर किसी तरह का जीएसटी नहीं लगता था। इसे यथावत रखना चाहिए था। साथ ही मनाली में पर्यटन सुविधाओं के विस्तार की भी मांग उठने लगी है।
गौरतलब है कि जीएसटी काउंसिल की बैठक में एक हजार रुपये तक के होटल के कमरों पर 12 प्रतिशत जीएसटी लेने का निर्णय लिया गया है। ऐसे में मनाली के पर्यटन कारोबार पर भी इसका असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है। होटलियरों का कहना है कि सरकार ने छोटे होटल संचालकों और निम्न और मध्यम वर्ग के पर्यटकों को राहत पहुंचाने के लिए पूर्व में छूट दे रखी थी, लेकिन अब छूट नहीं मिलने से आर्थिक बजट गड़बड़ाने की आशंका है। होटलियर एसोसिएशन के चीफ पैटर्न गजेंद्र ठाकुर का कहना है कि जीएसटी देने में कोई हर्ज नहीं है, लेकिन यह बेहद अधिक है। यह पांच फीसदी तक होना चाहिए था। साथ ही मनाली में पर्यटकों के लिए और अधिक सुविधाएं भी बढ़ानी चाहिए। होटलियर एसोसिएशन के उपाध्यक्ष रोशन ठाकुर का कहना है कि जीएसटी लगने से छोटे होटल संचालकों का कारोबार प्रभावित होगा। सरकार को चाहिए कि छोटे होटल संचालकों को और राहत दे। कोरोना संकट के कारण पर्यटन कारोबारी वैसे ही मंदी की मार झेल चुके हैं। इस वर्ष कुछ कारोबार बढ़ा है, लेकिन अब जीएसटी का फरमान जारी होने से छोटे होटल संचालकों पर आर्थिक बोझ पड़ेगा। होटल संचालक रोशन राणा के अनुसार निम्न एवं मध्यम वर्ग के पर्यटकों के लिए कमरे सस्ते में उपलब्ध हो जाते थे, लेकिन जीएसटी लगने का अर्थ है कि अब कमरों के किराये में सीधा 12 प्रतिशत का इजाफा हो जाएगा। पर्यटन कारोबार पर भी इसका असर पड़ने की आशंका है। उन्होंने कहा कि मनाली में पर्यटकों के लिए बेहतरीन सुविधाएं मुहैया करवाने पर भी सरकार को सोचना चाहिए। यहां पार्किंग जैसी मूलभूत सुविधा का अभाव है।