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कामनाओं से भरा मन परमात्मा को कभी याद नहीं करता : अतुल
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संवाद न्यूज एजेंसी
ऊना। जीवन का सत्य यही है कि कामनाएं हमें कहीं नहीं ले जातीं, बल्कि भटकाती हैं। कामनाओं से भरा मन परमात्मा का स्मरण नहीं कर सकता। यह वचन श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन भक्तियोग आश्रम नैहरियां में भागवताचार्य अतुल कृष्ण महाराज ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि हम परमात्मा को खोजने के लिए शास्त्रों में जाते हैं, यही हमारी भूल है, क्योंकि परमात्मा सर्वत्र व्याप्त है। वासना और कामना से रहित होकर प्रभु का चिंतन करने से तन-मन पवित्र हो जाता है। प्रार्थना और वासना में आकाश-पाताल का अंतर है। अतुल कृष्ण ने कहा कि जब कोई कहता है -मैं परमात्मा हूं, तो इसका अर्थ यह नहीं कि तुम परमात्मा नहीं हो। बल्कि उसकी यह घोषणा सबके लिए होती है। उसमें संपूर्ण सृष्टि का समावेश होता है। कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के गोकुल में प्राकट्य महोत्सव, पूतना उद्धार, माखन चोरी, कालिया नाग मर्दन और गोवर्धन धारण लीला के प्रसंग श्रद्धा एवं भावनाओं से सरोबार होकर सुने गए। इस अवसर पर अनेक आकर्षक झांकियां भी निकाली गईं।
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ऊना। जीवन का सत्य यही है कि कामनाएं हमें कहीं नहीं ले जातीं, बल्कि भटकाती हैं। कामनाओं से भरा मन परमात्मा का स्मरण नहीं कर सकता। यह वचन श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन भक्तियोग आश्रम नैहरियां में भागवताचार्य अतुल कृष्ण महाराज ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि हम परमात्मा को खोजने के लिए शास्त्रों में जाते हैं, यही हमारी भूल है, क्योंकि परमात्मा सर्वत्र व्याप्त है। वासना और कामना से रहित होकर प्रभु का चिंतन करने से तन-मन पवित्र हो जाता है। प्रार्थना और वासना में आकाश-पाताल का अंतर है। अतुल कृष्ण ने कहा कि जब कोई कहता है -मैं परमात्मा हूं, तो इसका अर्थ यह नहीं कि तुम परमात्मा नहीं हो। बल्कि उसकी यह घोषणा सबके लिए होती है। उसमें संपूर्ण सृष्टि का समावेश होता है। कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के गोकुल में प्राकट्य महोत्सव, पूतना उद्धार, माखन चोरी, कालिया नाग मर्दन और गोवर्धन धारण लीला के प्रसंग श्रद्धा एवं भावनाओं से सरोबार होकर सुने गए। इस अवसर पर अनेक आकर्षक झांकियां भी निकाली गईं।
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