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Una News: मिड-डे मील से लेडीज टेलर तक सवित्री देवी का संघर्ष बना मिसाल
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सवित्री देवी
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बेरियां स्कूल में मिड-डे मील वर्कर से हटाया तो शुरू किया आत्मनिर्भरता का सफर
गांव में बनाई एक कुशल लेडीज टेलर के रूप में पहचान
संवाद न्यूज एजेंसी
चकसराय (ऊना)। उपमंडल बंगाणा की ग्राम पंचायत बेरियां की सवित्री देवी के जीवन संघर्ष, साहस और आत्मविश्वास की कहानी न केवल उनके लिए प्रेरणादायक रही, बल्कि आसपास की महिलाओं के लिए भी एक रोशनी की तरह उजागर हुई।
सवित्री देवी ने अपने कॅरिअर की शुरुआत बेरियां के प्राथमिक विद्यालय में मिड-डे मील वर्कर के रूप में की। वह पूरे मन और लग्न से बच्चों के लिए भोजन तैयार करती थीं। कुछ वर्षों बाद स्कूल में बच्चों की संख्या में कमी आने लगी और प्रशासन को मिड-डे मील वर्करों में कटौती करनी पड़ी। इसी प्रक्रिया में सवित्री देवी को भी कार्य से हटाया गया। अचानक रोजगार खो जाना किसी भी परिवार के लिए बड़ा झटका हो सकता था, लेकिन सवित्री देवी ने इस चुनौती में हार नहीं मानी।
उन्होंने घर पर महिलाओं के सूट सिलने का काम शुरू किया। उनकी मेहनत, कौशल और लग्न ने धीरे-धीरे गांव की महिलाओं को प्रभावित किया और सिलाई के ऑर्डर बढ़ते गए। समय के साथ सवित्री देवी ने अपने सिलाई कौशल को इतना निखारा कि आज वह एक कुशल लेडीज टेलर के रूप में आसपास के कई गांवों में जानी जाती हैं। उनका यह सफर साबित करता है कि हिम्मत, मेहनत और आत्मविश्वास से किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है।
हालांकि, सवित्री देवी के जीवन में व्यक्तिगत दुख भी कम नहीं रहे। लगभग दस वर्ष पहले उनकी बड़ी बेटी का सांप के डसने से निधन हो गया। इसके बावजूद सवित्री देवी ने अपने परिवार को संभाला। आज उनकी दूसरी बेटी बीए द्वितीय वर्ष में पढ़ रही है और बेटा छठी कक्षा में शिक्षा ग्रहण कर रहा है। उनके पति मजदूरी करते हैं।
सवित्री देवी का कहना है कि कठिन परिस्थितियां और निजी दुख इंसान को तोड़ नहीं सकते, बल्कि उन्हें और मजबूत बनाते हैं। उनका जीवन संघर्ष, आत्मविश्वास और साहस का प्रतीक है, जो हर महिला और परिवार के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है।
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गांव में बनाई एक कुशल लेडीज टेलर के रूप में पहचान
संवाद न्यूज एजेंसी
चकसराय (ऊना)। उपमंडल बंगाणा की ग्राम पंचायत बेरियां की सवित्री देवी के जीवन संघर्ष, साहस और आत्मविश्वास की कहानी न केवल उनके लिए प्रेरणादायक रही, बल्कि आसपास की महिलाओं के लिए भी एक रोशनी की तरह उजागर हुई।
सवित्री देवी ने अपने कॅरिअर की शुरुआत बेरियां के प्राथमिक विद्यालय में मिड-डे मील वर्कर के रूप में की। वह पूरे मन और लग्न से बच्चों के लिए भोजन तैयार करती थीं। कुछ वर्षों बाद स्कूल में बच्चों की संख्या में कमी आने लगी और प्रशासन को मिड-डे मील वर्करों में कटौती करनी पड़ी। इसी प्रक्रिया में सवित्री देवी को भी कार्य से हटाया गया। अचानक रोजगार खो जाना किसी भी परिवार के लिए बड़ा झटका हो सकता था, लेकिन सवित्री देवी ने इस चुनौती में हार नहीं मानी।
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उन्होंने घर पर महिलाओं के सूट सिलने का काम शुरू किया। उनकी मेहनत, कौशल और लग्न ने धीरे-धीरे गांव की महिलाओं को प्रभावित किया और सिलाई के ऑर्डर बढ़ते गए। समय के साथ सवित्री देवी ने अपने सिलाई कौशल को इतना निखारा कि आज वह एक कुशल लेडीज टेलर के रूप में आसपास के कई गांवों में जानी जाती हैं। उनका यह सफर साबित करता है कि हिम्मत, मेहनत और आत्मविश्वास से किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है।
हालांकि, सवित्री देवी के जीवन में व्यक्तिगत दुख भी कम नहीं रहे। लगभग दस वर्ष पहले उनकी बड़ी बेटी का सांप के डसने से निधन हो गया। इसके बावजूद सवित्री देवी ने अपने परिवार को संभाला। आज उनकी दूसरी बेटी बीए द्वितीय वर्ष में पढ़ रही है और बेटा छठी कक्षा में शिक्षा ग्रहण कर रहा है। उनके पति मजदूरी करते हैं।
सवित्री देवी का कहना है कि कठिन परिस्थितियां और निजी दुख इंसान को तोड़ नहीं सकते, बल्कि उन्हें और मजबूत बनाते हैं। उनका जीवन संघर्ष, आत्मविश्वास और साहस का प्रतीक है, जो हर महिला और परिवार के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है।