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Una News: ऊना के आलू का स्वाद पहले चखते हैं दूसरे राज्य

Shimla Bureau शिमला ब्यूरो
Updated Wed, 12 Nov 2025 12:30 AM IST
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Other states taste Una's potatoes first.
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जिले में आलू की बड़े स्तर पर खरीद की कोई व्यवस्था नहीं
किसान पड़ोसी राज्य पंजाब और दिल्ली में बेचते हैं फसल
किराये पर गाड़ियां लेकर पहुंचना पड़ता है दूरदराज


संवाद न्यूज एजेंसी
ऊना। आलू का गढ़ कहे जाने वाले ऊना जिले से पहले इस फसल का स्वाद पड़ोसी राज्य चखते हैं। वजह यह है कि यहां आलू की स्थानीय खरीद व्यवस्था नहीं है। मजबूरीवश किसान अपनी उपज पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली की मंडियों में बेचते हैं। वहीं से यही आलू दोबारा ऊना सहित पूरे हिमाचल में ऊंचे दामों पर पहुंचता है। जानकारी के अनुसार ऊना जिले में इस बार लगभग 1500 से 2000 हेक्टेयर में आलू की फसल तैयार हो रही है।
गगरेट और मुबारिकपुर क्षेत्र में फसल को खेतों से निकालने का काम शुरू हो गया है। पंजाब की अमृतसर मंडी में वर्तमान में आलू का भाव 2000 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल रहा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 20 नवंबर के आसपास जब बड़े स्तर पर आलू की पटाई शुरू होगी तो दामों में कुछ गिरावट आ सकती है।
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स्थानीय किसानों का कहना है कि बाहरी मंडियों में आलू की खरीद मनमाने ढंग से होती है। अगर ऊना में ही खरीद व्यवस्था उपलब्ध हो तो परिवहन पर खर्च बचने के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर दामों की मनमानी भी रुकेगी। दो से ढाई माह में तैयार होने वाली यह फसल किसानों की मुख्य नगदी फसल (कैश क्रॉप) मानी जाती है। आलू की खेती ने जिले के अनेक किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारी है। फिलहाल किसान दूरस्थ मंडियों में फसल बेचने को विवश हैं, जबकि वही आलू बाद में दोगुने दामों पर ऊना व अन्य क्षेत्रों में वापस पहुंचता है। परिणामस्वरूप स्थानीय उपभोक्ताओं को भी महंगा आलू खरीदना पड़ता है।


वर्तमान में जिले में बड़े स्तर पर आलू की सरकारी या सहकारी खरीद व्यवस्था नहीं है। हालांकि ऊना मंडी में कुछ मात्रा में स्थानीय खरीदी होती है। ज्यादातर फसल बाहरी व्यापारी किसानों से सीधे खेतों में खरीद लेते हैं।



एपीएमसी सचिव ऊना अंजू बाला ने बताया कि किसानों को इस समय फसल का उचित मूल्य मिल रहा है। भविष्य में यदि आलू की खरीद को लेकर कोई परियोजना आरंभ होती है तो उसका लाभ किसानों तक अवश्य पहुंचेगा।




गगरेट और मुबारिकपुर क्षेत्र में फसल को खेतों से निकालने का काम शुरू हो गया है। पंजाब की अमृतसर मंडी में वर्तमान में आलू का भाव 2000 रुपये प्रति क्विंटल तक मिल रहा है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 20 नवंबर के आसपास जब बड़े स्तर पर आलू की पटाई शुरू होगी तो दामों में कुछ गिरावट आ सकती है।
स्थानीय किसानों का कहना है कि बाहरी मंडियों में आलू की खरीद मनमाने ढंग से होती है। अगर ऊना में ही खरीद व्यवस्था उपलब्ध हो तो परिवहन पर खर्च बचने के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर दामों की मनमानी भी रुकेगी। दो से ढाई माह में तैयार होने वाली यह फसल किसानों की मुख्य नगदी फसल (कैश क्रॉप) मानी जाती है। आलू की खेती ने जिले के अनेक किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारी है। फिलहाल किसान दूरस्थ मंडियों में फसल बेचने को विवश हैं, जबकि वही आलू बाद में दोगुने दामों पर ऊना व अन्य क्षेत्रों में वापस पहुंचता है। परिणामस्वरूप स्थानीय उपभोक्ताओं को भी महंगा आलू खरीदना पड़ता है।


वर्तमान में जिले में बड़े स्तर पर आलू की सरकारी या सहकारी खरीद व्यवस्था नहीं है। हालांकि ऊना मंडी में कुछ मात्रा में स्थानीय खरीदी होती है। ज्यादातर फसल बाहरी व्यापारी किसानों से सीधे खेतों में खरीद लेते हैं।



एपीएमसी सचिव ऊना अंजू बाला ने बताया कि किसानों को इस समय फसल का उचित मूल्य मिल रहा है। भविष्य में यदि आलू की खरीद को लेकर कोई परियोजना आरंभ होती है तो उसका लाभ किसानों तक अवश्य पहुंचेगा।
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