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Una News: लावारिस कुत्तों के डर से सुबह की सैर और बच्चों को स्कूल भेजना हुआ मुश्किल

Shimla Bureau शिमला ब्यूरो
Updated Wed, 12 Nov 2025 01:03 AM IST
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The fear of stray dogs has made morning walks and sending children to school difficult.
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समस्या के समाधान के लिए पंचायत नहीं उठा रही कोई कारगर कदम

अभिभावकों को अपने बच्चों को स्कूल भेजने में आ रही दिक्कत
दलजीत शर्मा
लठियाणी (ऊना)। ग्राम पंचायत लठियाणी में दिन-प्रतिदिन लावारिस कुत्तों का आतंक बढ़ता जा रहा है। स्थानीय लोगों को सुबह-शाम सैर करने और बच्चों को स्कूल भेजने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
सड़क किनारे और घरों से मुख्य मार्ग तक जाने वाले रास्तों पर कुत्तों के झुंड आमतौर पर बैठे देखे जा सकते हैं। दोपहिया वाहन चालकों के लिए भी ये कुत्ते खतरा बने हुए हैं। कई बार ये कुत्ते वाहनों के पीछे दौड़ पड़ते हैं, जिससे चालक अपनी गति बढ़ाकर बचने की कोशिश करते हैं। ऐसे में किसी भी समय अनहोनी घट सकती है।
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क्षेत्र में ये लावारिस कुत्तों के झुंड खुलेआम घूम रहे हैं और राहगीरों पर हमला कर रहे हैं। बच्चों और बुजुर्गों के लिए इनका खतरा और भी अधिक बढ़ गया है।
लोगों का कहना है कि सड़क किनारे कुछ घरों में तीन-तीन, चार-चार पालतू कुत्ते रखे गए हैं, लेकिन उन्हें खुला छोड़ दिया जाता है। ये कुत्ते अपने मालिकों के घरों के आसपास ही मंडराते रहते हैं और कई बार राहगीरों पर हमला कर देते हैं। अब तक कई लोग इनकी चपेट में आकर जख्मी भी हो चुके हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब मालिकों से अपने कुत्तों को बांधकर रखने को कहा जाता है, तो वे विवाद करने पर उतारू हो जाते हैं। लोगों का सवाल है कि यदि किसी की जान चली जाए तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा।
ग्राम पंचायत प्रधान बोले –नसबंदी जरूरी
ग्राम पंचायत लठियाणी के प्रधान जोगिंदर शर्मा ने कहा कि प्रशासन को पशुपालन विभाग को आदेश देकर इन लावारिस कुत्तों की नसबंदी करवानी चाहिए, ताकि उनकी संख्या पर नियंत्रण लगाया जा सके। साथ ही पंचायत ने उन लोगों को भी निर्देश जारी किए हैं, जिन्होंने अपने घरों में पालतू कुत्ते रखे हैं कि वे उन्हें बांधकर रखें।
सड़क हादसे से घायल हुआ व्यापारी
स्थानीय व्यापारी सतीश कुमार ने बताया कि उनका घर बाजार से करीब छह किलोमीटर दूर पड़ियोला में है। वह रोजाना मोटरसाइकिल से आते-जाते हैं। उन्होंने कहा -अक्सर ये कुत्ते मेरी बाइक के पीछे दौड़ पड़ते हैं। दो माह पहले इन्हीं से बचने के प्रयास में मुझे अपनी बाइक की रफ्तार बढ़ानी पड़ी, जिससे मैं नाली में गिरकर घायल हो गया। अगले दिन मैंने यह समस्या भी बताई थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

बच्चों की सुरक्षा की चिंता
स्थानीय निवासी शशि रायजादा ने कहा कि बच्चों को स्कूल छोड़ने और छुट्टी के बाद उन्हें घर लाने के समय खुद उपस्थित रहना पड़ता है ताकि किसी अनहोनी से बचा जा सके। उन्होंने इस समस्या के जल्द समाधान की मांग की है।
सैर करने वालों के लिए भी मुश्किल
सेवानिवृत्त एसोसिएट प्रोफेसर कमल कुमार ने कहा कि सुबह और शाम सैर के समय सड़क किनारे बैठे इन कुत्तों से अब सैर करना भी खतरनाक हो गया है। उन्होंने प्रशासन से आग्रह किया है कि जल्द से जल्द इन लावारिस कुत्तों को पकड़कर राहत दिलाई जाए।
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