केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से बीएस-4 उत्सर्जन मानक वाले वाहनों की बिक्री की इजाजत 1 अप्रैल 2020 तक देने का अनुरोध किया, ताकि कार कंपनियां अपना स्टॉक बेच सकें। सरकार के प्रस्ताव का विरोध करते हुए अमाइकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने कहा कि सरकार लोगों को प्रदूषण से मरने नहीं दे सकती।
हम गैस चेंबर में रह रहे हैं। यहां तक की गर्भ में पल रहे बच्चे भी इससे अछूते नहीं हैं। पिछली सुनवाई में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि 1 अप्रैल 2020 से ऐसे वाहनों की बिक्री नहीं होगी जो बीएस-6 मानक को पूरा नहीं करते हैं।
न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष अमाइकस क्यूरी ने कहा ‘प्रदूषण के कारण लोग मर रहे हैं। लोगों के स्वास्थ्य को लेकर किसी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता। हम कार के बगैर तो रह सकते हैं लेकिन सांस लिए बिना नहीं रह सकते। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद गंभीर है। देश में वायु प्रदूषण के कारण इमरजेंसी जैसे हालात हैं।’
दिल्ली में सांस संबंधी परेशानी से 581 की हुई है मौत
सरकार के प्रस्ताव का विरोध करते हुए अपराजिता सिंह ने एक रिपोर्ट का हवाला दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टरों ने बताया है कि दिल्ली के लोगों में उन्होंने गुलाबी फेफड़ा नहीं देखा। सांस संबंधी परेशानियों की वजह से 581 लोगों की मौत हुई और करीब 17 लाख लोग सांस संबंधी बीमारियों से ग्रसित हैं।
कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
केंद्र की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एएनएस नाडकर्णी ने कहा कि ऑटोमोबाइल कंपनियों को बीएस-4 वाहनों का स्टॉक खत्म करने के लिए उचित समय मिलना चाहिए। कार कंपनियों ने भी सरकार के प्रस्ताव का समर्थन किया।
नाडकर्णी ने कहा कि सरकार का मानना है कि बीएस- 4 उत्सर्जन मानक वाली कारों को जून 2020 और बीएस- 4 उत्सर्जन मानक वाले भारी वाहनों को सिंतबर,2020 तक बिक्री की इजाजत मिलनी चाहिए।
दोनों पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया किया कि बीएस- 4 उत्सर्जन मानक वाले वाहनों की ब्रिकी के लिए 31 मार्च, 2020 से अधिक का समय मिलना चाहिए या नहीं।
केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट से बीएस-4 उत्सर्जन मानक वाले वाहनों की बिक्री की इजाजत 1 अप्रैल 2020 तक देने का अनुरोध किया, ताकि कार कंपनियां अपना स्टॉक बेच सकें। सरकार के प्रस्ताव का विरोध करते हुए अमाइकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने कहा कि सरकार लोगों को प्रदूषण से मरने नहीं दे सकती।
हम गैस चेंबर में रह रहे हैं। यहां तक की गर्भ में पल रहे बच्चे भी इससे अछूते नहीं हैं। पिछली सुनवाई में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि 1 अप्रैल 2020 से ऐसे वाहनों की बिक्री नहीं होगी जो बीएस-6 मानक को पूरा नहीं करते हैं।
न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष अमाइकस क्यूरी ने कहा ‘प्रदूषण के कारण लोग मर रहे हैं। लोगों के स्वास्थ्य को लेकर किसी तरह का समझौता नहीं किया जा सकता। हम कार के बगैर तो रह सकते हैं लेकिन सांस लिए बिना नहीं रह सकते। उन्होंने कहा कि वायु प्रदूषण की स्थिति बेहद गंभीर है। देश में वायु प्रदूषण के कारण इमरजेंसी जैसे हालात हैं।’
दिल्ली में सांस संबंधी परेशानी से 581 की हुई है मौत
सरकार के प्रस्ताव का विरोध करते हुए अपराजिता सिंह ने एक रिपोर्ट का हवाला दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, डॉक्टरों ने बताया है कि दिल्ली के लोगों में उन्होंने गुलाबी फेफड़ा नहीं देखा। सांस संबंधी परेशानियों की वजह से 581 लोगों की मौत हुई और करीब 17 लाख लोग सांस संबंधी बीमारियों से ग्रसित हैं।
कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
केंद्र की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एएनएस नाडकर्णी ने कहा कि ऑटोमोबाइल कंपनियों को बीएस-4 वाहनों का स्टॉक खत्म करने के लिए उचित समय मिलना चाहिए। कार कंपनियों ने भी सरकार के प्रस्ताव का समर्थन किया।
नाडकर्णी ने कहा कि सरकार का मानना है कि बीएस- 4 उत्सर्जन मानक वाली कारों को जून 2020 और बीएस- 4 उत्सर्जन मानक वाले भारी वाहनों को सिंतबर,2020 तक बिक्री की इजाजत मिलनी चाहिए।
दोनों पक्ष की दलीलों को सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया किया कि बीएस- 4 उत्सर्जन मानक वाले वाहनों की ब्रिकी के लिए 31 मार्च, 2020 से अधिक का समय मिलना चाहिए या नहीं।