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Mukesh Sahni: जिन्हें डिप्टी सीएम बनना था, उनका खाता भी नहीं खुला! मुकेश सहनी का राजनीतिक भविष्य भंवर में

न्यूज डेस्क, अमर उजाला Published by: नितिन गौतम Updated Fri, 14 Nov 2025 02:54 PM IST
सार

मुकेश सहनी ने साल 2018 में विकासशील इंसान पार्टी का गठन किया था। यह पार्टी निषाद-मल्लाह समुदाय के हितों की पैरोकार होने का दावा करती है। बिहार में इस समुदाय की कुल आबादी महज 2.6 प्रतिशत ही है।

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Bihar election 2025 ebc leader mukesh sahni mahagathbandhan deputy cm face clean sweep lost
मुकेश सहनी - फोटो : पीटीआई
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विस्तार
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बिहार चुनाव के रुझानों से स्पष्ट हो गया है कि बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनने जा रही है। महागठबंधन दावों के विपरीत बुरी तरह से पिछड़ता नजर आ रहा है। महागठबंधन की सहयोगी पार्टियों की स्थिति बहुत बुरी है और मुकेश सहनी के नेतृत्व वाली वीआईपी पार्टी का तो खाता भी नहीं खुल सका है। मुकेश सहनी महागठबंधन के डिप्टी सीएम पद के चेहरे थे, लेकिन उनकी पार्टी के खराब प्रदर्शन ने उनकी राजनीतिक संभावनाओं पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है। 

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जातीय प्रभाव वाले राज्य बिहार में मुकेश सहनी की राह मुश्किल
महागठबंधन में सीट बंटवारे के तहत विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को 15 सीटें मिलीं थी, लेकिन वीआईपी पार्टी एक भी सीट पर जीत दर्ज नहीं कर सकी। मुकेश सहनी ने साल 2018 में विकासशील इंसान पार्टी का गठन किया था। यह पार्टी निषाद-मल्लाह समुदाय के हितों की पैरोकार होने का दावा करती है। बिहार में इस समुदाय की कुल आबादी महज 2.6 प्रतिशत ही है। उस पर भी इस समुदाय के कुछ बड़े नेता एनडीए के साथ हैं। ऐसे में मुकेश सहनी की संभावनाएं पहले ही कमजोर थीं, ऊपर से मुकेश सहनी खुद को सन ऑफ मल्लाह कहकर खुद ही अन्य जातियों से दूरी बना चुके हैं। बिहार जैसे राज्य में जहां जाति की राजनीति अभी भी बहुत प्रभावी है, ऐसे में वहां ये बात बेहद मायने रखती है। 
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महागठबंधन के बेरुखी की चुकाई कीमत
बिहार में साल 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी ने 11 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और पार्टी ने 4 सीटों पर जीत दर्ज की थी। हालांकि उस समय सहनी भाजपा के साथ थे। एनडीए सरकार में मुकेश सहनी को मछलीपालन मंत्री का पद मिला था, लेकिन साल 2022 में सरकार गिर गई और मुकेश सहनी का भी भाजपा से मोहभंग हो गया। बाद में सहनी महागठबंधन का हिस्सा बन गए। इस बार मुकेश सहनी काफी मोल-भाव के बाद महागठबंधन में आए ताकि अपने मतदाताओं को साफ संदेश दिया जा सके। इस बार मुकेश सहनी को प्रदर्शन सुधरने की उम्मीद थी, लेकिन महागठबंधन के सहयोगियों की उपेक्षा कहें या कुछ और वीआईपी पार्टी का खाता भी नहीं खुल सका है। वीआईपी को मिली सीटों में से पांच पर तो उसे महागठबंधन की सहयोगी पार्टियों सीपीआई, सीपीआईएमएल, कांग्रेस और राजद के उम्मीदवारों की ही चुनौती का सामना करना पड़ा। 

ये भी पढ़ें- बिहार नतीजों का नीतीश फैक्टर: सुशासन...बेदाग छवि और महिलाएं, नीतीश को बना गईं 'अजेय'

महागठबंधन की तरफ से जब तेजस्वी यादव को सीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया गया था, उसी समय मुकेश सहनी को भी डिप्टी सीएम पद का उम्मीदवार बताया गया था। महागठबंधन ने अन्य समुदाय के नेताओं को भी डिप्टी सीएम पद देने की बात कही थी, लेकिन एलान सिर्फ मुकेश सहनी के नाम का किया गया था। 

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