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Tejashwi Yadav Seat: 15 साल पहले राबड़ी को हराने वाले इस नेता ने तेजस्वी को उलझाया, राघोपुर ने बढ़ाई धड़कनें

स्पेशल डेस्क, अमर उजाला Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Fri, 14 Nov 2025 04:02 PM IST
सार

भले ही राघोपुर सीट लालू परिवार का गढ़ रही है, लेकिन 2025 के विधानसभा चुनाव में जो नेता तेजस्वी यादव को कड़ी चुनौती देते दिख रहे हैं, कभी उन्होंने ही लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी को करारी शिकस्त दी थी। 

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Bihar Election Result 2025 Raghopur Assembly Seat BJP Satish Kumar RJD Tejashwi Yadav Challenger from NDA
राघोपुर सीट पर तेजस्वी यादव बनाम सतीश कुमार। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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बिहार में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने जारी हैं। इस बीच सबसे दिलचस्प मुकाबला लालू प्रसाद यादव के परिवार का गढ़ मानी जाने वाली राघोपुर सीट पर हो रहा है। यहां भाजपा की तरफ से चुनावी मैदान में उतरे सतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव के बेटे और महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव के बीच कड़ी टक्कर है। इस सीट पर नतीजा क्या होगा यह तो 30 चरणों की गिनती के बाद ही पता चलेगा। हालांकि, राजद के अगले सुप्रीमो बनने की राह में खड़े तेजस्वी यादव का प्रभुत्व कम होता दिख रहा है। 
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मजेदार बात यह है कि भले ही राघोपुर सीट लालू परिवार का गढ़ रही है, लेकिन जिस नेता ने तेजस्वी यादव को कड़ी चुनौती दी है, कभी उन्होंने ही लालू प्रसाद यादव की पत्नी राबड़ी देवी को करारी शिकस्त दी थी। ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर सतीश कुमार कौन हैं? आखिरी बार उन्होंने राबड़ी यादव को चुनाव में कैसे हरा दिया था? राघोपुर सीट में किस तरह बाजियां पलटती रही हैं? आइये जानते हैं...
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कौन हैं सतीश कुमार, क्या है राघोपुर सीट पर उनका इतिहास?

सतीश कुमार का जन्म 9 फरवरी 1966 को बिहार के वैशाली जिले के राघोपुर में स्थित रामपुर श्यामचंद गांव में हुआ था। उनके पिता श्याम नारायण यादव एक किसान थे। सतीश कुमार ने मगध विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (एम.एससी) किया है।

1. जब राबड़ी से मिली हार का बदला लेकर बने जायंट किलर
59 वर्ष के सतीश कुमार के बारे में एक दिलचस्प जानकारी यह है कि उनका राजनीतिक करियर कभी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) यानी लालू प्रसाद यादव की पार्टी से ही शुरू हुआ था। सतीश कुमार को यादव समुदाय के बड़े नेताओं में से गिना जाता रहा है और वे राज्य की 15 फीसदी यादव आबादी के बीच काफी लोकप्रिय रहे। हालांकि, 2005 में जब नीतीश कुमार का सियासी करियर उठान पर आया तो सतीश कुमार ने राजद का दामन छोड़ कर जनता दल (यूनाइटेड) का हाथ पकड़ लिया। इसी साल उन्हें राघोपुर से चुनाव लड़ाया गया। हालांकि, यहां से राबड़ी देवी ने उन्हें करीब 25 हजार वोटों से हरा दिया। 

2010 को सतीश कुमार के राजनीतिक करियर के लिए सबसे अहम कहा जाता है। दरअसल, एक बार फिर जदयू ने उन्हें राघोपुर से ही उतारा और यादव समुदाय के बीच अपनी पैठ का इस्तेमाल करते हुए राबड़ी देवी को करीब 13 हजार वोटों से हरा दिया। 

2. भाजपा का दामन थामा, पर सीट राजद को मिली
2015 वो साल था, जब एनडीए गठबंधन बिखर चुका था और इसकी अहम कड़ी रहा जदयू अब राजद के साथ जा चुका था। इस टूट-फूट के बीच सतीश कुमार ने भाजपा का दामन थाम लिया और राघोपुर से फिर से प्रत्याशी बने। हालांकि, उनकी यह कलाबाजी काम नहीं आई और 2015 में उन्हें राजद के हाथों हार का सामना करना पड़ा। चुनावी दुनिया में अपने डेब्यू में तेजस्वी प्रसाद यादव ने सतीश कुमार को 22,733 वोट से हराया। इस जीत के बाद राज्य में बनी सरकार में तेजस्वी डिप्टी सीएम भी बने।  

इसी तरह 2020 में भी सतीश कुमार भाजपा के टिकट पर राघोपुर से ही उतरे लेकिन उन्हें फिर हार मिली। इस बार भी उन्हें तेजस्वी यादव ने हराया और हार का अंतर बढ़कर 38,174 वोट हो गया। 

3. 2025: भाजपा ने फिर जताया भरोसा, क्या साबित होंगे बचेगी जायंट किलर की छवि?
इस विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर सतीश कुमार पर भरोसा जताते हुए उन्हें टिकट दिया। दरअसल, इसके पीछे राघोपुर का जातीय समीकरण अहम है। इस सीट पर करीब 30% यादव वोटर हैं। भूमिहार वोटर भी यहां बड़ी संख्या में हैं। तो पासवान मतदाताओं की तादात भी काफी है। ऐसे में भाजपा अगड़ी जाति के वोटरों के साथ यादव वोटों के जुगाड़ की कोशिश में भी रहती है। 

चौंकाने वाली बात यह है कि राघोपुर पर 1995 के बाद से राजद सिर्फ एक ही बार हारी है, वह जीत तब सतीश कुमार के सेहरे सजी थी। अब 30 साल में इस सीट पर राजद की दूसरी हार सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सतीश कुमार पर ही है। 
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