भारतीय जनता पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश वाला राजनीतिक जाल फेंकना शुरू कर दिया है। इसके लिए बाकायदा भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों की एक टीम तैयार हुई है। इस टीम का मकसद चुनावी राज्यों में विपक्षी पार्टियों के नेताओं से न सिर्फ संपर्क करना है, बल्कि नाराज नेताओं को पार्टी में शामिल कराना भी है। शुरुआती चरण में भाजपा ने गुजरात और हिमाचल में अपना संपर्क बढ़ाना शुरू किया है। साथ ही साथ सामंजस्य बिठाने वाली भाजपा की कोर टीम के कुछ सदस्यों को मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी नाराज नेताओं को अपने साथ जोड़ने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
भारतीय जनता पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, जिन राज्यों में चुनाव होना है वहां पर पार्टी बहुत पहले से ही सक्रिय हो चुकी है। हालांकि उनका कहना है कि वह किसी भी राजनीतिक दल के नेताओं को तोड़ने में विश्वास नहीं करते हैं, लेकिन एक बात बिल्कुल तय है कि अगर किसी पार्टी का कोई नाराज नेता हमारी पार्टी में भरोसा रखता है तो उसका स्वागत करते हैं। हालांकि, उत्तर प्रदेश में जिस तरीके से भारतीय जनता पार्टी ने कई राजनीतिक दलों के नेताओं को न सिर्फ तोड़कर अपने साथ शामिल किया, बल्कि उनमें से कुछ को टिकट भी दिया। इसी लाइन पर भारतीय जनता पार्टी गुजरात और हिमाचल में अपनी पूरी राजनैतिक चौसर बिछा रही है।
भारतीय जनता पार्टी से जुड़े वरिष्ठ नेता कहते हैं कि बीते कुछ समय से जैसा कांग्रेस का प्रदर्शन रहा है और उनकी लीडरशिप को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं उससे पार्टी के नेता अब अपना राजनीतिक भविष्य तलाशने के लिए निश्चित तौर पर दूसरी पार्टियों की ओर रुख कर रहे हैं।
इसी साल के अंत में होने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा की रणनीति का असर भी दिखने लगा है। गुजरात में कांग्रेस से नाराज चल रहे कई बार के विधायक अश्विनी कोटवाल भाजपा में शामिल हो गए हैं। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का कहना है कि अश्विन कोटवाल के साथ लंबे समय से जुड़े कई कांग्रेसी विधायक भी पार्टी के संपर्क में हैं। हालांकि, किसी नेता को तोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल नहीं कराया जाएगा। लेकिन पार्टी के नेता उनके संपर्क में जरूर बने हुए हैं।
गुजरात की राजनीति को समझने वाले राजनीतिक विश्लेषक और इंडियन पॉलिटिकल कॉन्फ्रेंस के गुजरात चैप्टर के पूर्व कन्वीनर अंशु केडिया कहते हैं कि 2017 में कांग्रेस के 77 विधायक हुआ करते थे लेकिन आपसी कलह और राजनैतिक बिखराव के चलते उनकी पार्टी के 14 विधायक टूट गए। कांग्रेस में अब यह संख्या 63 रह गई है। हालांकि गुजरात कांग्रेस से जुड़े हुए एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि पार्टी में जो लोग शुरुआत से फूट डालो की राजनीति करो कि राह पर चल रहे थे उनमें से ही ज्यादातर लोग पार्टी छोड़कर गए हैं। उक्त कांग्रेस के नेता का कहना है कि ऐसे लोग अगर पार्टी छोड़कर जा रहे हैं तो वह पार्टी के लिए बेहतर ही है।
भारतीय जनता पार्टी की चुनावों से पहले सक्रियता को देखते हुए कांग्रेस भी हिमाचल प्रदेश में बहुत सक्रिय हो चुकी है। कांग्रेस ने अपने नेतृत्व परिवर्तन के साथ पार्टी के दूसरे नेताओं को बड़ी बड़ी जिम्मेदारियां दी हैं। हिमाचल कांग्रेस की पूरी कोशिश है कि पार्टी मजबूती से विधानसभा का चुनाव लड़े और वापस सत्ता में आए। हालांकि हिमाचल में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के साथ-साथ आम आदमी पार्टी से जुड़े नाराज नेताओं को अपने पाले में करना शुरू कर दिया है। कुछ दिन पहले ही हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष के साथ साथ पार्टी के कुछ अन्य पदाधिकारियों भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है।
इस पर राजनीतिक विश्लेषक एसएन भारद्वाज कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के लिए हिमाचल प्रदेश में अब निशाने पर आम आदमी पार्टी के नेता भी होंगे। इसकी वजह बताते हुए वह कहते हैं कि जिस तरीके से पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है और उसके लगते हुए प्रदेश में भी आम आदमी पार्टी अपना बड़ा विस्तार कर रही है।
भारतीय जनता पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है जिन चार लोगों की कमेटी बनाई गई है उनका फोकस हिमाचल, गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश है। टीम के नेता इन राज्यों में लगातार जा रहे हैं और दूसरी पार्टी के नाराज नेताओं से मुलाकात भी कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि अगले कुछ दिनों में भारतीय जनता पार्टी गुजरात के कई नाराज नेता शामिल हो सकते हैं। इसमें कांग्रेस के अलावा कुछ अन्य पार्टियों के नेता भी शामिल हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक गुजरात में आम आदमी पार्टी की सक्रियता बढ़ी है। ऐसे में इस बात से बिल्कुल इनकार नहीं किया जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के नेता आम आदमी पार्टी के संपर्क में नहीं है। सूत्रों का कहना है कि आगामी कुछ दिनों में गुजरात में बड़ी राजनीतिक हलचल दिखेगी। इसमें नेताओं का एक दूसरे दल में पलायन भी शामिल है।
विस्तार
भारतीय जनता पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनाव वाले राज्यों में उत्तर प्रदेश वाला राजनीतिक जाल फेंकना शुरू कर दिया है। इसके लिए बाकायदा भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों की एक टीम तैयार हुई है। इस टीम का मकसद चुनावी राज्यों में विपक्षी पार्टियों के नेताओं से न सिर्फ संपर्क करना है, बल्कि नाराज नेताओं को पार्टी में शामिल कराना भी है। शुरुआती चरण में भाजपा ने गुजरात और हिमाचल में अपना संपर्क बढ़ाना शुरू किया है। साथ ही साथ सामंजस्य बिठाने वाली भाजपा की कोर टीम के कुछ सदस्यों को मध्यप्रदेश और राजस्थान में भी नाराज नेताओं को अपने साथ जोड़ने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
भारतीय जनता पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, जिन राज्यों में चुनाव होना है वहां पर पार्टी बहुत पहले से ही सक्रिय हो चुकी है। हालांकि उनका कहना है कि वह किसी भी राजनीतिक दल के नेताओं को तोड़ने में विश्वास नहीं करते हैं, लेकिन एक बात बिल्कुल तय है कि अगर किसी पार्टी का कोई नाराज नेता हमारी पार्टी में भरोसा रखता है तो उसका स्वागत करते हैं। हालांकि, उत्तर प्रदेश में जिस तरीके से भारतीय जनता पार्टी ने कई राजनीतिक दलों के नेताओं को न सिर्फ तोड़कर अपने साथ शामिल किया, बल्कि उनमें से कुछ को टिकट भी दिया। इसी लाइन पर भारतीय जनता पार्टी गुजरात और हिमाचल में अपनी पूरी राजनैतिक चौसर बिछा रही है।
भारतीय जनता पार्टी से जुड़े वरिष्ठ नेता कहते हैं कि बीते कुछ समय से जैसा कांग्रेस का प्रदर्शन रहा है और उनकी लीडरशिप को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं उससे पार्टी के नेता अब अपना राजनीतिक भविष्य तलाशने के लिए निश्चित तौर पर दूसरी पार्टियों की ओर रुख कर रहे हैं।
इसी साल के अंत में होने वाले गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा की रणनीति का असर भी दिखने लगा है। गुजरात में कांग्रेस से नाराज चल रहे कई बार के विधायक अश्विनी कोटवाल भाजपा में शामिल हो गए हैं। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का कहना है कि अश्विन कोटवाल के साथ लंबे समय से जुड़े कई कांग्रेसी विधायक भी पार्टी के संपर्क में हैं। हालांकि, किसी नेता को तोड़कर भारतीय जनता पार्टी में शामिल नहीं कराया जाएगा। लेकिन पार्टी के नेता उनके संपर्क में जरूर बने हुए हैं।
गुजरात की राजनीति को समझने वाले राजनीतिक विश्लेषक और इंडियन पॉलिटिकल कॉन्फ्रेंस के गुजरात चैप्टर के पूर्व कन्वीनर अंशु केडिया कहते हैं कि 2017 में कांग्रेस के 77 विधायक हुआ करते थे लेकिन आपसी कलह और राजनैतिक बिखराव के चलते उनकी पार्टी के 14 विधायक टूट गए। कांग्रेस में अब यह संख्या 63 रह गई है। हालांकि गुजरात कांग्रेस से जुड़े हुए एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि पार्टी में जो लोग शुरुआत से फूट डालो की राजनीति करो कि राह पर चल रहे थे उनमें से ही ज्यादातर लोग पार्टी छोड़कर गए हैं। उक्त कांग्रेस के नेता का कहना है कि ऐसे लोग अगर पार्टी छोड़कर जा रहे हैं तो वह पार्टी के लिए बेहतर ही है।
भारतीय जनता पार्टी की चुनावों से पहले सक्रियता को देखते हुए कांग्रेस भी हिमाचल प्रदेश में बहुत सक्रिय हो चुकी है। कांग्रेस ने अपने नेतृत्व परिवर्तन के साथ पार्टी के दूसरे नेताओं को बड़ी बड़ी जिम्मेदारियां दी हैं। हिमाचल कांग्रेस की पूरी कोशिश है कि पार्टी मजबूती से विधानसभा का चुनाव लड़े और वापस सत्ता में आए। हालांकि हिमाचल में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के साथ-साथ आम आदमी पार्टी से जुड़े नाराज नेताओं को अपने पाले में करना शुरू कर दिया है। कुछ दिन पहले ही हिमाचल प्रदेश में आम आदमी पार्टी के अध्यक्ष के साथ साथ पार्टी के कुछ अन्य पदाधिकारियों भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया है।
इस पर राजनीतिक विश्लेषक एसएन भारद्वाज कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के लिए हिमाचल प्रदेश में अब निशाने पर आम आदमी पार्टी के नेता भी होंगे। इसकी वजह बताते हुए वह कहते हैं कि जिस तरीके से पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है और उसके लगते हुए प्रदेश में भी आम आदमी पार्टी अपना बड़ा विस्तार कर रही है।
भारतीय जनता पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है जिन चार लोगों की कमेटी बनाई गई है उनका फोकस हिमाचल, गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश है। टीम के नेता इन राज्यों में लगातार जा रहे हैं और दूसरी पार्टी के नाराज नेताओं से मुलाकात भी कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि अगले कुछ दिनों में भारतीय जनता पार्टी गुजरात के कई नाराज नेता शामिल हो सकते हैं। इसमें कांग्रेस के अलावा कुछ अन्य पार्टियों के नेता भी शामिल हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक गुजरात में आम आदमी पार्टी की सक्रियता बढ़ी है। ऐसे में इस बात से बिल्कुल इनकार नहीं किया जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के नेता आम आदमी पार्टी के संपर्क में नहीं है। सूत्रों का कहना है कि आगामी कुछ दिनों में गुजरात में बड़ी राजनीतिक हलचल दिखेगी। इसमें नेताओं का एक दूसरे दल में पलायन भी शामिल है।