मसाला बॉन्ड पर सियासी तूफान: 'जब भारत में कम ब्याज पर कर्ज मिलता था, तो..,' भाजपा ने केरल सरकार से पूछे सवाल
केरल में मसाला बॉन्ड को लेकर राजनीतिक तनाव बढ़ गया है। राज्य भाजपा अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने सीएम पिनाराई विजयन से पूछा कि जब देश में कम ब्याज पर कर्ज मिल सकता था, तो विदेश से 9.5% ब्याज दर पर 2,100 करोड़ रुपये क्यों उधार लिए गए? इस दौरान चंद्रशेखर ने बिचौलिये की भूमिका और एफईएमए मंजूरी को लेकर भी सवाल उठाए।
विस्तार
केरल में मसाला बॉन्ड को लेकर सियासत में गर्माहट तेज हो गई है। आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति भी अपने चरम पर है। ऐसे में अब इस मामले में केरल भाजपा अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने भी मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन से तीखे सवाल पूछे। मंगलवार को चंद्रशेखर ने सीएम विजयन से पूछा कि उन्होंने विदेश से 9.5% ब्याज दर पर मसाला बॉन्ड के जरिए 2,100 करोड़ रुपये क्यों उधार लिए, जबकि भारत में इससे कम ब्याज पर कर्ज आसानी से मिल सकता था।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर पोस्ट में चंद्रशेखर ने राज्य सरकार से कई तीखे सवाल पूछे। उन्होंने आरोप लगाया कि इस कर्ज को लेने के लिए 21 करोड़ रुपये कमीशन एक बिचौलिये को दिए गए। साथ चंद्रशेखर ने पूछा कि वह बिचौलिया कौन था। उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या इस कर्ज के लिए विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (एफईएमए) के तहत जरूरी अनुमति ली गई थी।
केरल सरकार की ईमानदारी पर उठाए सवाल
इस दौरान राज्य भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि मैंने जो सवाल किया वो महत्वपूर्ण सवाल हैं और अगर राज्य सरकार ईमानदार होती, तो अब तक जवाब दे देती। उनके अनुसार, देश के सभी राज्य भारत के भीतर से बॉन्ड के माध्यम से पैसा जुटाते हैं, लेकिन केरल ने ऐसा नहीं किया।
बता दें कि यह विवाद उस समय और बढ़ गया जब सोमवार को ईडी ने खुलासा किया कि उसने 466 करोड़ रुपये का एफईएमए शो-कॉज नोटिस मुख्यमंत्री विजयन, पूर्व वित्त मंत्री टीएम थॉमस आइजैक और सीएम के मुख्य प्रधान सचिव केएम अब्राहम को भेजा है। नोटिस लगभग 10–12 दिन पहले जारी किया गया था और इसमें व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने की आवश्यकता नहीं है।
सीएम के प्रतिक्रिया का इंतजार, आइजैक ने क्या कहा?
हालांकि पूरे मामले में सीएम ने अभी तक इस पर प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन आइजैक ने इसे राजनीतिक बदला बताया है। वहीं केआईआईएफबी के सीईओ अब्राहम का कहना है कि किसी भी कानून या एफईएमए के किसी नियम का उल्लंघन नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि ईडी के आरोप गलत आंकड़ों और गलत समझ पर आधारित हैं।
ईडी क्यों कर रही जांच?
गौरतलब है कि ईडी की जांच यह पता लगाने के लिए हो रही है कि केआईआईएफबी द्वारा मसाला बॉन्ड के जरिए जुटाए गए 2,000 करोड़ रुपये का इस्तेमाल कैसे किया गया और क्या यह एफईएमए नियमों के अनुसार था। ऐसे में ध्यान देने वाली बात है कि केआईआईबी राज्य के बड़े और महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के लिए फंड जुटाने वाली प्रमुख सरकारी एजेंसी है। उसने साल 2019 में पहली बार मसाला बॉन्ड जारी कर 2,150 करोड़ रुपये जुटाए थे, जो उसके 50,000 करोड़ रुपये के फंड जुटाने के लक्ष्य का हिस्सा था।