कोरोना काल की दूसरी लहर से निबटने के बाद और संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री का पहला मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार राजनीतिक, प्रशासनिक और कुशलता से जुड़ा एक बड़े संदेश की तरह होगा।
मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए नए चेहरों का दिल्ली पहुंचने का क्रम शुरू हो गया है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल के सूत्रों, केन्द्रीय सचिवालय के अधिकारियों के अनुसार थावर चंद गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल बनाए जाने के साथ ही प्रधानमंत्री ने पहला संदेश दे दिया है।
कम उम्र के मंत्री ज्यादा होंगे
मंगलवार छह जुलाई को आठ राज्यों को राज्यपाल मिले हैं, लेकिन इन आठ चेहरों में सबसे महत्वपूर्ण चेहरा 73 साल के थावर चंद गहलोत का है। वहीं प्रधानमंत्री द्वारा अपने मंत्रिमंडल के लिए चुने जाने वाले नए चेहरों में कम उम्र के मंत्रियों की संख्या ज्यादा बताई जा रही है।
एक मंत्री पिछले 15 दिन से खुद ले रहे हैं बैठक
शास्त्री भवन के एक एडिशनल सेक्रेटरी से मिली जानकारी के मुताबिक उनके मंत्री पिछले 15 दिनों से लगातार सभी अधिकारियों के साथ अलग-अलग बैठकें करके जानकारी ले रहे हैं। मंत्री पिछले कुछ दिन में खुद उनसे भी तीन बार भावी योजना में पूछ चुके हैं कि अधिकारी नया क्या करने वाले हैं।
इसी मंत्रालय के एक संयुक्त सचिव ने भी बताया कि प्रधानमंत्री के साथ मंत्रिमंडल विस्तार के क्रम में पहली बैठक के साथ ही मंत्री ने यह विधा शुरू की है। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से उन्होंने कभी इस तरह से कामकाज में बहुत सक्रियता, सतर्कता नहीं दिखाई थी। खंगालने पर पता चला कि प्रधानमंत्री की समीक्षा बैठक (रिपोर्ट कार्ड) में मंत्री प्रधानमंत्री को बहुत संतुष्ट करने वाला नया काम या कोई नई शुरुआत नहीं बता सके थे। कहा जा रहा है कि तब से मंत्री पर कामकाज के दबाव का असर साफ देखा जा रहा है। वह पिछले 15 दिन से कुछ नया करने का भी लगातार दबाव बना रहे हैं।
यही स्थिति उद्योग भवन में भी एक मंत्रालय में देखने में आई। कुल मिलाकर प्रधानमंत्री अपने सहयोगियों को दो खास संदेश देते नजर आ रहे हैं। पहला तो यह कि कामकाज में किसका रिपोर्ट कार्ड अच्छा है। दूसरा संदेश आयु को लेकर है। वह मंत्रिमंडल और सक्रिय राजनीति में बने रहने की आयु सीमा को लेकर संवेदनशील दिखाई दे रहे हैं। इसके साथ एक संदेश नए चेहरों को अवसर देने का भी है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया, 69 साल के नारायण राणे समेत तमाम नेता दिल्ली पहुंच गए हैं। प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल में जद(यू), लोजपा, अपना दल, कांग्रेस (वाईएसआर), अन्नाद्रमुक समेत सभी सहयोगी दलों की भागेदारी सुनिश्चित कर सकते हैं। इस क्रम में जद (यू) के कोटे से तीन मंत्री बनाया जाना करीब-करीब तय माना जा रहा है। लोजपा से पशुपति राम पारस मंत्रिमंडल में शामिल किए जा सकते हैं। नारायण राणे, ज्योतिरादित्य सिंधिया, अजय मिश्रा, सकलदीप राजभर, सर्वानंद सोनोवाल को दिल्ली बुलाया गया था। कुछ आ गए हैं और कुछ रास्ते में हैं। अनुप्रिया पटेल को भी दिल्ली में बने रहने को कहा गया है।
सिंधिया को रेलवे मिलने की चर्चा
इस तरह से प्रधानमंत्री अपने मंत्रिमंडल से आठ से दस लोगों को बाहर का रास्ता दिखाकर संगठन के लिए काम करने और 22-24 चेहरों को शामिल करने का निर्णय ले सकते हैं। म.प्र. के ग्वालियर, दमोह के पूरे क्षेत्र में प्रतिनिधित्व को देखते हुए नरेन्द्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया को शामिल करने के बाद इसी क्षेत्र के एक मंत्री को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि ज्योतिरादित्य को रेलवे जैसा महत्वपूर्ण विभाग भी दिया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने की सहयोगिययों के साथ उच्चस्तरीय बैठक
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले कुछ सप्ताह से मंत्रिमंडल के सहयोगियों के कामकाज की समीक्षा कर रहे हैं। वह कई दौर की बैठकें कर चुके हैं। मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार के क्रम में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, संगठन मंत्री बीएल संतोष, गृहमंत्री अमित शाह से उनकी कई दौर की चर्चा हो चुकी है। इसी रविवार को प्रधानमंत्री ने एक बार फिर अमित शाह और अन्य सहयोगियों के साथ बैठक करके खाका तैयार किया था। इसी आधार पर मंगलवार को उन्होंने मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, परिवहन और जहाजरानी मंत्री नितिन गड़करी से प्रधानमंत्री ने राय मशविरा किया और इसके बाद वह मंत्रिमंडल में फेरबदल तथा विस्तार का निर्णय लेेने जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री किसे अपने मंत्रिमंडल में शामिल करेंगे, किसे बाहर और किसको कौन सा विभाग दे सकते हैं? यह बड़ा जटिल सवाल है। स्थिति यह है कि प्रधानमंत्री के मंत्रिमंडल में शामिल कुछ वरिष्ठ केन्द्रीय मंत्रियों को भी इसका ठीक से अंदाजा नहीं हो पा रहा है। कुछ के चेहरे पर हवाईयां भी हैं। राजस्थान के एक केन्द्रीय मंत्री ने इस स्थिति को लेकर अपनी वेदना भी जाहिर की। उन्हें खुद के बने रहने पर भी संशय दिखाई दे रहा है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी अपना पत्ता समय पर खोलने के लिए ही जाने जाते हैं। उनकी किसी भी योजना की जानकारी जिसे वह चाहते हैं, उसके सिवा अन्य को बमुश्किल हो पाती है। समझा जा रहा है कि इस बारे में कोई भी वास्तविक जानकारी प्रधानमंत्री के अलावा काफी हद तक केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, कुछ हद तक भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा को हो सकती है। फिर भी माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मंत्रिमंडल के फेरबदल विस्तार में दलित, अन्य पिछड़ा वर्ग, पिछड़ा वर्ग को वरीयता दे सकते हैं। युवाओं को मंत्रिमंडल में मंत्री बनने का अधिक अवसर मिल सकता है
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 70 साल के हो चुके हैं। 17 सितंबर को वह अपना 71 वां जन्मदिन मनाएंगे। ऐसे में प्रधानमंत्री संसद से लेकर केन्द्रीय मंत्रिमंडल तक अपने बोझ को कम करने पर ध्यान दे सकते हैं। वह केन्द्र सरकार के कामकाज में तेजी लाने तथा सरकार की छवि को निखारने के लिए मंत्रिमंडल में भाजपा के अनुभवी प्रशासनिक क्षमता में दक्ष नेताओं के चयन को वरीयता दे सकते हैं।
विस्तार
कोरोना काल की दूसरी लहर से निबटने के बाद और संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री का पहला मंत्रिमंडल में फेरबदल और विस्तार राजनीतिक, प्रशासनिक और कुशलता से जुड़ा एक बड़े संदेश की तरह होगा।
मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए नए चेहरों का दिल्ली पहुंचने का क्रम शुरू हो गया है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल के सूत्रों, केन्द्रीय सचिवालय के अधिकारियों के अनुसार थावर चंद गहलोत को कर्नाटक का राज्यपाल बनाए जाने के साथ ही प्रधानमंत्री ने पहला संदेश दे दिया है।
कम उम्र के मंत्री ज्यादा होंगे
मंगलवार छह जुलाई को आठ राज्यों को राज्यपाल मिले हैं, लेकिन इन आठ चेहरों में सबसे महत्वपूर्ण चेहरा 73 साल के थावर चंद गहलोत का है। वहीं प्रधानमंत्री द्वारा अपने मंत्रिमंडल के लिए चुने जाने वाले नए चेहरों में कम उम्र के मंत्रियों की संख्या ज्यादा बताई जा रही है।
एक मंत्री पिछले 15 दिन से खुद ले रहे हैं बैठक
शास्त्री भवन के एक एडिशनल सेक्रेटरी से मिली जानकारी के मुताबिक उनके मंत्री पिछले 15 दिनों से लगातार सभी अधिकारियों के साथ अलग-अलग बैठकें करके जानकारी ले रहे हैं। मंत्री पिछले कुछ दिन में खुद उनसे भी तीन बार भावी योजना में पूछ चुके हैं कि अधिकारी नया क्या करने वाले हैं।
इसी मंत्रालय के एक संयुक्त सचिव ने भी बताया कि प्रधानमंत्री के साथ मंत्रिमंडल विस्तार के क्रम में पहली बैठक के साथ ही मंत्री ने यह विधा शुरू की है। 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से उन्होंने कभी इस तरह से कामकाज में बहुत सक्रियता, सतर्कता नहीं दिखाई थी। खंगालने पर पता चला कि प्रधानमंत्री की समीक्षा बैठक (रिपोर्ट कार्ड) में मंत्री प्रधानमंत्री को बहुत संतुष्ट करने वाला नया काम या कोई नई शुरुआत नहीं बता सके थे। कहा जा रहा है कि तब से मंत्री पर कामकाज के दबाव का असर साफ देखा जा रहा है। वह पिछले 15 दिन से कुछ नया करने का भी लगातार दबाव बना रहे हैं।
यही स्थिति उद्योग भवन में भी एक मंत्रालय में देखने में आई। कुल मिलाकर प्रधानमंत्री अपने सहयोगियों को दो खास संदेश देते नजर आ रहे हैं। पहला तो यह कि कामकाज में किसका रिपोर्ट कार्ड अच्छा है। दूसरा संदेश आयु को लेकर है। वह मंत्रिमंडल और सक्रिय राजनीति में बने रहने की आयु सीमा को लेकर संवेदनशील दिखाई दे रहे हैं। इसके साथ एक संदेश नए चेहरों को अवसर देने का भी है।