अंतरराष्ट्रीय सीमा की चौकसी और घुसपैठ को लेकर कांग्रेस पार्टी कोई न कोई बयान जारी कर केंद्र सरकार की मुसीबत बढ़ाती रहती है। ऐसे किसी मुद्दे पर जैसे ही कांग्रेस पार्टी की प्रेसवार्ता खत्म होती है, उसका मुकाबला करने के लिए भाजपा प्रवक्ता अपने मुख्यालय पहुंच जाते हैं। भाजपा के अलावा केंद्र सरकार भी उस सूत्र का पता जानने को उत्सुक रहती है, जिसके माध्यम से विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी को वह सूचना मिलती है। पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस मुख्यालय में ऐसी कई प्रेसवार्ता हुई हैं, जिनमें चीन के हस्तक्षेप या घुसपैठ को लेकर बाकायदा सबूत जारी किए गए हैं। इन सबूतों में सैटेलाइट इमेज भी शामिल हैं। अब यह खुलासा हुआ है कि ऐसी सैटेलाइट इमेज कहां से मिलती हैं।
कांग्रेस नेता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने रविवार को आरोप लगाया कि चीन छह या सात किलोमीटर भारत की जमीन के अंदर आ बैठा है। ये जानकारी 'मैक्सर' और 'प्लैनेट लैब्स' से मिली हैं। वहीं से सैटेलाइट इमेज हासिल हुई हैं। खास बात ये है कि इन कंपनियों द्वारा तैयार की गई सैटेलाइट इमेज की जांच पड़ताल, निरीक्षण-परीक्षण अमेरिकी रक्षा मुख्यालय 'पेंटागन' करता है।
डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, मैक्सर और प्लैनेट लैब्स से मिली सैटेलाइट इमेज की जांच पड़ताल पेंटागन करता है। कांग्रेस नेता ने सवाल पूछने के लहजे में कहा, अब पेंटागन किसी के पक्ष या विरोध में कोई गलत रिपोर्ट क्यों देगा। उसे मैप में काला दिखाने या सफेद दिखाने से कोई मतलब नहीं है। जो वस्तुस्थिति है, पेंटागन तो वही दिखाता है। एक ही जगह पर 2019 की इमेज और 2021 की इमेज में अंतर साफ नजर आता है। बॉर्डर के अंदर 60 इमारतें खड़ी हो जाती हैं। यह खुलासा करने वाली कंपनी को देश की राजनीति से कोई मतलब नहीं है। वे अपने क्षेत्र के एक्सपर्ट हैं। विश्व सुप्रसिद्ध मैक्सर और प्लैनेट लैब्स, द्वारा तैयार सैटेलाइट इमेज पर भरोसा किया जाता है। सिंघवी ने अरूणाचल प्रदेश का नक्शा दिखाते हुए उन प्वाइंट की तरफ इंगित किया है, जहां पर चीन का निर्माण नजर आता है।
बतौर कांग्रेस नेता, अरूणाचल प्रदेश में 60-70 घरों का एक नया क्लस्टर बना है। ये उस खबर से अलग है, जिसमें चीन द्वारा भारतीय सीमा में सौ घरों का एक गांव बसाया गया है। अब चीन ने छह-सात किलोमीटर अंदर आकर वैसी ही हरकत की है। केंद्र सरकार, बॉर्डर की सुरक्षा को लेकर देश के सामने झूठ बोलती है। राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय में लोगों के साथ फरेब, छलावा और मिथ्या प्रचार का सहारा लिया जाता है। डोकलाम भूल जाएं, हॉट स्प्रिंग्स भूल जाएं और डेपसांग भूलने के अलावा और भी कई नाम ऐसे हैं, जहां भूलने के लिए मजबूर किया जाता है। नक्शे में सितंबर या अक्तूबर के दौरान अरूणाचल प्रदेश के शि-योमी जिले में एक बिंदु है। यहां 60 इमारतों का एक कस्बा दिख रहा है। भारत ने इस हिस्से को अपना माना है।
भारतीय संसद में भाजपा के सांसद जो अरूणाचल प्रदेश से आते हैं, कांग्रेस नेता ने उनका जिक्र भी किया है। उनका नाम तापिर गाओ है। उन्होंने एक साल पहले चीन की घुसपैठ का खुलासा किया था। मैप में दिखाया गया क्षेत्र अरूणाचल प्रदेश के शि-योमी डिस्ट्रिक्ट में आता है। उस बिंदु से वह इलाका 33 किलोमीटर दक्षिण में है। यहां पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी दौरा कर चुके हैं। केंद्र सरकार गैर जिम्मेदाराना तरीके से काम कर रही है। एक प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा, प्रधानमंत्री और उनकी सरकार लगातार चीन के कब्जे को नकार रहे हैं। दूसरी तरफ नए तथ्य सामने आ रहे हैं। इस मामले पर संसदीय कमेटी बनाई जानी चाहिए। कांग्रेस नेता ने कहा, ये देश की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है। ऐसे में केंद्र सरकार को गंभीरता दिखानी चाहिए।
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अंतरराष्ट्रीय सीमा की चौकसी और घुसपैठ को लेकर कांग्रेस पार्टी कोई न कोई बयान जारी कर केंद्र सरकार की मुसीबत बढ़ाती रहती है। ऐसे किसी मुद्दे पर जैसे ही कांग्रेस पार्टी की प्रेसवार्ता खत्म होती है, उसका मुकाबला करने के लिए भाजपा प्रवक्ता अपने मुख्यालय पहुंच जाते हैं। भाजपा के अलावा केंद्र सरकार भी उस सूत्र का पता जानने को उत्सुक रहती है, जिसके माध्यम से विपक्षी दल कांग्रेस पार्टी को वह सूचना मिलती है। पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस मुख्यालय में ऐसी कई प्रेसवार्ता हुई हैं, जिनमें चीन के हस्तक्षेप या घुसपैठ को लेकर बाकायदा सबूत जारी किए गए हैं। इन सबूतों में सैटेलाइट इमेज भी शामिल हैं। अब यह खुलासा हुआ है कि ऐसी सैटेलाइट इमेज कहां से मिलती हैं।
कांग्रेस नेता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने रविवार को आरोप लगाया कि चीन छह या सात किलोमीटर भारत की जमीन के अंदर आ बैठा है। ये जानकारी 'मैक्सर' और 'प्लैनेट लैब्स' से मिली हैं। वहीं से सैटेलाइट इमेज हासिल हुई हैं। खास बात ये है कि इन कंपनियों द्वारा तैयार की गई सैटेलाइट इमेज की जांच पड़ताल, निरीक्षण-परीक्षण अमेरिकी रक्षा मुख्यालय 'पेंटागन' करता है।
डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, मैक्सर और प्लैनेट लैब्स से मिली सैटेलाइट इमेज की जांच पड़ताल पेंटागन करता है। कांग्रेस नेता ने सवाल पूछने के लहजे में कहा, अब पेंटागन किसी के पक्ष या विरोध में कोई गलत रिपोर्ट क्यों देगा। उसे मैप में काला दिखाने या सफेद दिखाने से कोई मतलब नहीं है। जो वस्तुस्थिति है, पेंटागन तो वही दिखाता है। एक ही जगह पर 2019 की इमेज और 2021 की इमेज में अंतर साफ नजर आता है। बॉर्डर के अंदर 60 इमारतें खड़ी हो जाती हैं। यह खुलासा करने वाली कंपनी को देश की राजनीति से कोई मतलब नहीं है। वे अपने क्षेत्र के एक्सपर्ट हैं। विश्व सुप्रसिद्ध मैक्सर और प्लैनेट लैब्स, द्वारा तैयार सैटेलाइट इमेज पर भरोसा किया जाता है। सिंघवी ने अरूणाचल प्रदेश का नक्शा दिखाते हुए उन प्वाइंट की तरफ इंगित किया है, जहां पर चीन का निर्माण नजर आता है।
बतौर कांग्रेस नेता, अरूणाचल प्रदेश में 60-70 घरों का एक नया क्लस्टर बना है। ये उस खबर से अलग है, जिसमें चीन द्वारा भारतीय सीमा में सौ घरों का एक गांव बसाया गया है। अब चीन ने छह-सात किलोमीटर अंदर आकर वैसी ही हरकत की है। केंद्र सरकार, बॉर्डर की सुरक्षा को लेकर देश के सामने झूठ बोलती है। राष्ट्रीय सुरक्षा के विषय में लोगों के साथ फरेब, छलावा और मिथ्या प्रचार का सहारा लिया जाता है। डोकलाम भूल जाएं, हॉट स्प्रिंग्स भूल जाएं और डेपसांग भूलने के अलावा और भी कई नाम ऐसे हैं, जहां भूलने के लिए मजबूर किया जाता है। नक्शे में सितंबर या अक्तूबर के दौरान अरूणाचल प्रदेश के शि-योमी जिले में एक बिंदु है। यहां 60 इमारतों का एक कस्बा दिख रहा है। भारत ने इस हिस्से को अपना माना है।
भारतीय संसद में भाजपा के सांसद जो अरूणाचल प्रदेश से आते हैं, कांग्रेस नेता ने उनका जिक्र भी किया है। उनका नाम तापिर गाओ है। उन्होंने एक साल पहले चीन की घुसपैठ का खुलासा किया था। मैप में दिखाया गया क्षेत्र अरूणाचल प्रदेश के शि-योमी डिस्ट्रिक्ट में आता है। उस बिंदु से वह इलाका 33 किलोमीटर दक्षिण में है। यहां पर राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी दौरा कर चुके हैं। केंद्र सरकार गैर जिम्मेदाराना तरीके से काम कर रही है। एक प्रश्न के उत्तर में डॉ. सिंघवी ने कहा, प्रधानमंत्री और उनकी सरकार लगातार चीन के कब्जे को नकार रहे हैं। दूसरी तरफ नए तथ्य सामने आ रहे हैं। इस मामले पर संसदीय कमेटी बनाई जानी चाहिए। कांग्रेस नेता ने कहा, ये देश की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है। ऐसे में केंद्र सरकार को गंभीरता दिखानी चाहिए।