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सहूलियत: गांवों में मिलेंगी सिकलसेल एनीमिया और रेबीज की दवाएं, केंद्र सरकार ने नई दवाओं की खरीद शुरू की
परीक्षित निर्भय, नई दिल्ली
Published by: यशोधन शर्मा
Updated Thu, 25 Jan 2024 06:06 AM IST
सार
हीमोफीलिया रोगियों में रक्त के थक्के बनाने वाले कारक फैक्टर सात, आठ और नौ से बनी प्रोथ्रोम्बिन कॉम्प्लेक्स कॉन्संट्रेट दवा उपलब्ध होगी। साथ ही सरकार ने गांव-गांव तक सिकलसेल एनीमिया और रेबीज संक्रमण रोधी दवाओं को भी पहुंचाने का फैसला लिया है।
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सिकलसेल एनीमिया
- फोटो : सोशल मीडिया
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विस्तार
आनुवांशिक बीमारी और रेबीज संक्रमण को लेकर केंद्र सरकार ने आवश्यक दवाओं की सूची में संशोधन किया है। नई सूची के तहत हीमोफीलिया की दवाएं प्रत्येक जिला और उप जिला अस्पताल में उपलब्ध रहेंगी। हीमोफीलिया रोगियों में रक्त के थक्के बनाने वाले कारक फैक्टर सात, आठ और नौ से बनी प्रोथ्रोम्बिन कॉम्प्लेक्स कॉन्संट्रेट दवा उपलब्ध होगी। साथ ही सरकार ने गांव-गांव तक सिकलसेल एनीमिया और रेबीज संक्रमण रोधी दवाओं को भी पहुंचाने का फैसला लिया है।
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नई सूची में इन सभी दवाओं को शामिल कर इन्हें खरीदने के आदेश भी जारी हुए हैं। इसी के तहत अब जिला अस्पतालों में निशुल्क मिलने वाली आवश्यक दवाओं की संख्या 377 से बढ़कर 381, उप जिला अस्पतालों में 314 से बढ़कर 318 और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 171 से बढ़कर 172 तक पहुंच गई है।
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रेबीज रोधी टीका भी मिलेगा
सभी राज्यों के स्वास्थ्य निदेशकों व सचिवों को लिखे पत्र में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अपर सचिव एवं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक एलएस चांगसन ने कहा है कि सिकलसेल एनीमिया, हीमोफीलिया और रेबीज संक्रमण स्वास्थ्य के लिए सबसे जोखिम स्थितियों में हैं।
सिकलसेल एनीमिया की दवा हाइड्रोक्सीयूरिया को देश के 30 हजार से अधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर निशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा। इन्हीं केंद्रों पर रेबीज रोधी सीरम भी उपलब्ध कराए जाएंगे। साथ ही भविष्य में रेबीज रोधी टीका भी यहां मिलेगा।
पीड़ित परिवारों की जानकारी भी मांगी
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने देश के सभी जिला और उप जिला अस्पतालों में हीमोफीलिया ग्रस्त मरीजों की जानकारी देने के लिए भी कहा है। हीमोफिलिया एक आनुवांशिक विकार है जो आमतौर पर पुरुषों को होती है। इसमें शरीर के बाहर बहता हुआ रक्त जमता नहीं है। इसके कारण चोट या दुर्घटना में यह जानलेवा साबित होती है क्योंकि रक्त का बहना जल्द ही बंद नहीं होता। एनएचएम निदेशक ने पत्र में लिखा है कि इस रोग का कारण एक रक्त प्रोटीन की कमी होती है, जिसे क्लॉटिंग फैक्टर कहा जाता है।
इस फैक्टर की विशेषता यह है कि यह बहते हुए रक्त के थक्के जमाकर उसका बहना रोकता है। इस रोग से पीड़ित रोगियों की संख्या भारत में कम है लेकिन दुर्गम व ग्रामीण क्षेत्रों में दवाएं भी सीमित उपलब्ध हैं। दवा न मिलने से रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।
राज्यों की खरीदी में मदद करेगा केंद्र
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, इन सभी दवाओं की उपलब्धता के लिए केंद्र सरकार की ओर से पूरा सहयोग किया जाएगा। फिलहाल, सभी राज्यों से कहा गया है कि वे अपने यहां के अस्पतालों में इन दवाओं का भंडार रखने के लिए प्रस्तावित बजट केंद्र सरकार के साथ साझा करें।