श्रीनगर के ट्रेनिंग सेंटर को लेथपोरा 'पुलवामा' शिफ्ट करने बाबत कई नियमों का उल्लंघन करने की बात सामने आई है। ऐसे मामलों के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से केएलपी यानी 'की लोकेशन प्लान' को स्वीकृत कराना होता है। इस पर करीब छह सौ करोड़ रुपये खर्च होने थे। जब बल के शीर्ष अफसरों को लगा कि गृह मंत्रालय इस प्रपोजल को कभी मंजूरी नहीं देगा, तो उन्होंने एक सुरक्षित रास्ता निकाल लिया। श्रीनगर आरटीसी को लेथपोरा ले जाने वाली फाइल में बड़ी चालाकी से 'अस्थायी' शब्द जोड़ दिया गया। इसके बाद फाइल दौड़ने लगी। मई 2021 में बल मुख्यालय में हुई एक बैठक में जो कुछ तय हुआ था, उसे किनारे रख दिया गया। श्रीनगर आरटीसी, अब 40 फीसदी शिफ्ट हो चुका है।
सीआरपीएफ के तत्कालीन एडीजी (मुख्यालय) जुल्फिकार हसन के चेंबर में 21 मई 2021 को बैठक हुई थी। इसमें राकेश यादव आईजी (ट्रेनिंग) व अनुपमा कुलश्रेष्ठ आईजी (वर्क्स) सहित डीआईजी बीके शर्मा भी मौजूद थे। एडीजी मुख्यालय ने बैठक में कहा, श्रीनगर आरटीसी के पास पर्याप्त स्पेस नहीं है। उसके जरिए श्रीनगर सेक्टर और ट्रांजिट पर्सनल की जरुरतें पूरी हो नहीं सकतीं, इसलिए रिक्रूट ट्रेनिंग सेंटर को किसी दूसरी जगह पर शिफ्ट किया जाना चाहिए। इस संबंध में जो कुछ भी किया जाए, वह कम से कम खर्च में पूरा हो।
आईजी (वर्क्स) ने दिया ये सुझाव
इस सेंटर को शिफ्ट करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से केएलपी यानी 'की लोकेशन प्लान' स्वीकृत कराना होगा। नए सेंटर पर निर्माण के लिए 400 से 600 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। श्रीनगर आरटीसी के लिए 104 करोड़ रुपये मंजूर हुए थे। बजट का एक बड़ा हिस्सा खर्च हो चुका है। नए ट्रेनिंग सेंटर के लिए 160 से 170 एकड़ जमीन चाहिए। जो मौजूदा लोकेशन देखी जा रही हैं, उनमें नगरोटा में 35 एकड़ और सूरतगढ़ में 62 एकड़ जमीन है। इन दोनों जगह की जमीन, ट्रेनिंग सेंटर के लिए अपर्याप्त है। विभाग को चाहिए कि वह श्रीनगर के आसपास तीन-चार जगह पर ट्रेनिंग सेंटर के लिए जमीन की खोज करे। किसी दूसरी जगह पर ट्रेनिंग सेंटर शिफ्ट करना, अभी ठीक नहीं है। इस पर भारी धनराशि खर्च होगी और सरकार से मंजूरी भी नहीं मिलेगी।
आईजी (ट्रेनिंग) ने रखी अपनी ये राय
एटीसी सूरतगढ़ में केवल 62 एकड़ जमीन है। नए ट्रेनिंग सेंटर के लिए यह जमीन बहुत ही कम है। 1500 रिक्रूट के लिए तो लगभग 170 एकड़ जमीन लेनी होगी। एटीसी सूरतगढ़ में जो बिल्डिंग बनी है, वह उबड़-खाबड़ जमीन है। 1970 के आसपास वह बिल्डिंग बनी थी। उस बिल्डिंग को गिराकर जब नया ट्रेनिंग सेंटर बनेगा तो उस पर बहुत अधिक खर्च आएगा। केएलपी भी नहीं मिला है। ऐसे में वहां बड़ी धनराशि खर्च करना संभव नहीं है। नगरोटा में भी 35 एकड़ जगह है। वह भी अपर्याप्त है। यदि आरटीसी को अलवर में ले जाया जाता है तो वह ठीक है। वहां आरटीसी की सारी जरूरतें पूरी हो सकती हैं। हालांकि इसके लिए भी पहले संबंधित राज्य सरकार से मंजूरी लेनी पड़ेगी। जेएंडके जोन की जरूरत 700 लोगों को ठहराने की है। इसमें ट्रांजिट एवं अन्य ड्यूटी शामिल हैं। इसके लिए एक सुझाव यह भी है कि मौजूदा आरटीसी में ही करीब एक हजार जवानों के लिए तीन-चार नई बैरक बना दी जाएं। हमहामा में करीब तीस एकड़ जमीन नॉन ट्रेनिंग कार्य के लिए है, उसका इस्तेमाल किया जा सकता है। जेएंडके जोन के आपरेशनल मकसद और रिक्रूट ट्रेनिंग के लिए आरटीसी बहुत जरुरी है।
सीआरपीएफ ट्रेनिंग महानिदेशालय ने मना किया
आरटीसी श्रीनगर बहुत पुराना है। नब्बे के दशक से लेकर अब तक यहां 104 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं। अब नया सेंटर खड़ा करना, बहुत खर्चीला है। विभाग को सरकार से 600 करोड़ रुपये खर्च करने की मंजूरी मिलना आसान नहीं है। साल 2012 के बाद से बेसिक ट्रेनिंग के 19 बैच (प्रत्येक 44 सप्ताह), ट्रेड्समैन ट्रेनिंग के आठ बैच (प्रत्येक 44 सप्ताह), योगा कोर्स के छह बैच, घाटी में आने वाले जवानों की प्री इंडक्शन ट्रेनिंग एवं दूसरे कार्य, आरटीसी श्रीनगर में सफलता से पूरे किए गए हैं। 2012 से 2018 तक नियमित रिक्रूट बेसिक ट्रेनिंग हुए हैं। इसके बाद 2018 से 2020 के बीच कोई भर्ती नहीं हुई। इससे यह मैसेज गया कि यहां पर नियमित ट्रेनिंग कोर्स नहीं हो रहे। हकीकत यह है कि दो वर्ष के दौरान सीआरपीएफ में कहीं पर भी बेसिक ट्रेनिंग कोर्स आयोजित नहीं किया गया। यहां के मौसम में भी कोई बदलाव नहीं हुआ है। आरटीसी श्रीनगर ने खुद को साबित कर दिखाया है। यहीं पर तीन चार नई बैरक बना दी जाएं, ताकि वहां 700 से 1000 जवानों को एडजस्ट किया जा सके।
केएलपी और बजट की मंजूरी लेनी होगी
अलवर में भले ही 319 एकड़ लैंड है, लेकिन वहां शिफ्ट करना, बहुत खर्चीला कदम होगा। गृह मंत्रालय से केएलपी और बजट की मंजूरी लेनी होगी। जब तक मंजूरी नहीं मिलती, तब तक यहीं पर 15 से 20 एकड़ में तीन चार बैरक बनाई जा सकती हैं। अगर इस ट्रेनिंग सेंटर को शिफ्ट किया जाता है, तो जेएंडके जोन के वर्किंग एनवॉयरमेंट से एक ट्रेनिंग सेंटर खो दिया जाएगा। यहां पर तैनात अन्य सभी बलों के ट्रेनिंग सेंटर हैं। यहां पर जवानों को कठोर मौसम में ट्रेनिंग करने का अनुभव प्राप्त होता है। उदाहरण के लिए जैसे जोधपुर में बहुत ज्यादा गर्मी होती है, वहां के मौसम में भी ट्रेनिंग होती है। सीआईएटी सिलचर में बहुत अधिक नमी होती है, जवानों को उस मौसम में भी ट्रेनिंग कराई जाती है। ऐसे में सीआरपीएफ का ट्रेनिंग महानिदेशालय, आरटीसी श्रीनगर को शिफ्ट करने के पक्ष में नहीं है। बाद में बैठक के इन प्वाइंट्स को एडीजी ट्रेनिंग एसएस चतुर्वेदी, डीजी कुलदीप सिंह व राकेश कुमार यादव की भी सहमति मिली थी।
40 फीसदी मैन एंड मैटेरियल हुआ शिफ्ट
आरटीसी श्रीनगर को लेथपोरा में शिफ्ट करने का काम चल रहा है। 40 फीसदी मैन एंड मैटेरियल, शिफ्ट हो चुका है। हालांकि यहां पर बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। सीआरपीएफ के 117 लोगों ने आरटीसी शिफ्ट करने के खिलाफ केस किया था। मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा, मगर राहत नहीं मिल सकी। केस करने वालों का कहना है कि वे यहां पीस पोस्टिंग के तहत आए हैं। अब पुलवामा जैसे आतंक ग्रस्त इलाके में परिवार कैसे रखेंगे। वह श्रीनगर से करीब 40 किलोमीटर दूर है। ऐसे किसी भी संस्थान को कहीं दूसरी जगह ले जाने के लिए गृह मंत्रालय और वित्त मंत्रालय में चर्चा होती है।
अगर बदलाव करना है तो उसके लिए केएलपी लेना अनिवार्य होता है। इसमें पैसा बहुत ज्यादा खर्च होता है। सीआरपीएफ के आईपीएस अफसरों ने केएलपी न लेने का एक तरीका ढूंढ लिया। उसमें बजट का मुद्दा भी दब गया। आईपीएस अधिकारी जानते थे कि उन्हें गृह मंत्रालय ने केएलपी नहीं मिलेगी, ऐसे में उन्होंने आरटीसी श्रीनगर को अस्थायी तौर पर शिफ्ट करना शुरू कर दिया। खास बात है कि गृह मंत्रालय उनके इस प्रस्ताव को पहले कई बार वापस लौटा चुका था।
जुलाई में आए थे आरटीसी को शिफ्ट करने के आदेश
श्रीनगर के हमहामा स्थित केंद्रीय अर्धसैनिक बल 'सीआरपीएफ' भर्ती प्रशिक्षण केंद्र 'आरटीसी' को पुलवामा के लेथपोरा में शिफ्ट किया जा रहा है। सीआरपीएफ मुख्यालय ने 25 जुलाई को आदेश जारी किए थे। श्रीनगर के रामबाग में स्थित ग्रुप सेंटर भी 'हमहामा' में शिफ्ट होगा। लेथपोरा स्थित आरटीसी में प्री-इंडक्शन ट्रेनिंग भी शुरू की गई है। आरटीसी श्रीनगर का ऑपरेशनल कंट्रोल अब कश्मीर ऑपरेशनल सेक्टर के पास रहेगा। यहां की प्रशासनिक जरूरतें मुख्यालय के ट्रेनिंग सेक्टर द्वारा पूरी की जाएंगी। जब तक यह अस्थायी व्यवस्था रहेगी, तब तक श्रीनगर ग्रुप सेंटर के डीआईजी और आरटीसी 4 के डीआईजी अपनी अन्य जिम्मेदारियों के साथ-साथ एस्टेट अफसर की भूमिका भी निभाते रहेंगे। मुख्यालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि यह अदला-बदली कम से कम बजट में पूरी होनी चाहिए। यह नई व्यवस्था कश्मीर में हालात सुधरने तक जारी रहेगी। इस अदला-बदली को लेकर बल के अफसरों में खींचतान शुरु हो गई थी।
हर समय लगानी होगी 'रोड ओपनिंग पार्टी' …
कुछ अफसरों का कहना था कि अभी तक ये ट्रेनिंग सेंटर एक महफूज इलाके में रहा है। वहां कोई आतंकी हमला भी नहीं हुआ, जबकि पुलवामा को आतंकियों का गढ़ माना जाता है। दूसरी यूनिटों से जिन अधिकारियों या जवानों ने यह सोचकर श्रीनगर के इस सेंटर पर तबादला कराया था कि वहां तीन-चार साल बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल जाएगी, अब उन्हें यह डर सता रहा है कि वे पुलवामा में कहां पर बच्चों को पढ़ाएंगे। लेथपोरा में न तो कोई बेहतर स्कूल है और न ही कोई मेडिकल सेंटर। लेथपोरा सेंटर, इन मापदंडों पर खरा नहीं उतरता। वहां बल का कैंपस भी मुख्य सड़क से करीब तीन-चार किलोमीटर अंदर है। इसके लिए वहां हर समय आरओपी 'रोड ओपनिंग पार्टी' लगानी होगी। वह इलाका आतंकियों के प्रभाव वाला माना जाता है। वहां पर नए रिक्रूट को ट्रेनिंग देना जोखिम से भरा कदम होगा। सीआरपीएफ के रिटायर्ड एडीजी एसएस संधू का कहना है कि इस मामले में केएलपी भी नहीं मिली है। आरटीसी श्रीनगर के बड़े हाल, बैरक और फायरिंग रेंज का इस्तेमाल कैसे होगा। यह तो सरकारी पैसे की बर्बादी है। ट्रेनिंग निदेशालय ने भी इसे शिफ्ट करने का विरोध किया था।