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Demographic Changes Amit Shah Why demographic change in border area raises alarm bells China Pakistan in doubt
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Demographic Changes: सीमा क्षेत्र में 'डेमोग्राफिक' बदलाव खतरे की घंटी क्यों? संदेह में दो पड़ोसियों की मंशा
उत्तर प्रदेश से लगती नेपाल सीमा, राजस्थान से लगता पाकिस्तान बॉर्डर, असम और पश्चिम बंगाल से लगता बांग्लादेश बॉर्डर, बिहार के नेपाल बॉर्डर, उत्तराखंड से लगती चीन सीमा और पंजाब से लगती पाकिस्तान की सीमा सहित उत्तर पूर्व के कई राज्यों में भी 'डेमोग्राफिक' बदलाव के संकेत मिले हैं।
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अमित शाह
- फोटो :
ANI
विस्तार
भारत के कुछ सीमावर्ती इलाकों में देखने को मिल रहे 'डेमोग्राफिक' बदलाव को लेकर केंद्र सरकार सकते में आ गई है। इस बदलाव को सुरक्षा के मद्देनजर, खतरे की घंटी माना जा रहा है। खास बात है कि इस मुद्दे पर दो पड़ोसी मुल्क, पाकिस्तानी और चीन की मंशा भी संदेह के घेरे में है। यही वजह है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अब सार्वजनिक तौर से सभी राज्यों के डीजीपी से स्पष्ट तौर पर कहा है कि वे सीमावर्ती क्षेत्रों में हो रहे डेमोग्राफिक परिवर्तन पर सजग निगरानी रखें। सभी राज्यों को चाहिए कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों को शीर्ष प्राथमिकता दें। ये देश और युवाओं के भविष्य की लड़ाई है, इसके लिए हमें एक दिशा में एक साथ लड़कर हर हालत में जीतना है। उत्तर प्रदेश से लगती नेपाल सीमा, राजस्थान से लगता पाकिस्तान बॉर्डर, असम और पश्चिम बंगाल से लगता बांग्लादेश बॉर्डर, बिहार के नेपाल बॉर्डर, उत्तराखंड से लगती चीन सीमा और पंजाब से लगती पाकिस्तान की सीमा सहित उत्तर पूर्व के कई राज्यों में भी 'डेमोग्राफिक' बदलाव के संकेत मिले हैं।
डेमोग्राफिक बदलाव के चलते बढ़ाई ये सीमा
सीमावर्ती राज्यों में करीब एक दशक से 'डेमोग्राफिक' बदलावों की आहट सुनाई पड़ रही है। हाल के कुछ वर्षों में इन बदलावों में तेजी देखी गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 11 अक्टूबर, 2021 को असम, पश्चिम बंगाल और पंजाब, इन राज्यों में अंतरराष्ट्रीय सीमा से 50 किमी के भीतर 'गिरफ्तारी, तलाशी और जब्त' करने के लिए सीमा सुरक्षा बल की शक्तियों में इजाफा किया गया था। इसके पीछे कहीं न कहीं, 'डेमोग्राफिक' बदलाव और उन इलाकों में बढ़े रहे अपराध को मुख्य वजह माना गया है।
इसके अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा को जोखिम में डालने वाली बातें भी सामने आई हैं। कई वर्ष पहले बीएसएफ की एक रिपोर्ट में राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में ऐसे बदलाव देखने को मिले थे। वहां मुस्लिम आबादी में अप्रत्याशित बढ़ोतरी देखी गई थी। पाकिस्तानी आईएसआई और चीन की सीक्रेट एजेंसियां, भारतीय सीमा क्षेत्रों में ऐसे बदलावों को हवा दे रही हैं। उत्तर प्रदेश और असम से लगते अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर पर पिछले एक दशक के दौरान तेजी से जनसांख्यिक बदलाव हुआ है।
इस बाबत केंद्रीय गृह मंत्रालय को विस्तृत रिपोर्ट भेजी गई थी। रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी करीब 32 प्रतिशत तक बढ़ चुकी है। ये आंकड़े इसलिए हैरान करने वाले हैं, क्योंकि देश में मुस्लिमों की आबादी बढ़ने का प्रतिशत लगभग 14 फीसदी है। अब इन दोनों राज्यों की ओर से केंद्रीय गृह मंत्रालय से यह सिफारिश की गई है कि यहां 'सीमा सुरक्षा बल' का दायरा बढ़ाकर सौ किलोमीटर कर दिया जाए।
दो पड़ोसी मुल्कों की नीयत पर शक
केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि यह एक संजीदा मुद्दा है। कई वर्षों से ऐसी रिपोर्ट मांगी जा रही हैं। बॉर्डर एरिया में जब किसी समुदाय विशेष की आबादी अप्रत्याशित तरीके से बढ़ती है तो उस पर शक होना लाजमी है। यहां बड़ी बात राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर है। चीन और पाकिस्तान, ये दोनों राष्ट्र न केवल अपनी सीमा से, बल्कि दूसरे राष्ट्र की सीमा से भी अपने हितों की पूर्ति करने का प्रयास करते हैं। इन दोनों देशों ने भारत के खिलाफ 'नेपाल' की सीमा का इस्तेमाल करने की कोशिश की है। संभव है कि वहां सीमावर्ती क्षेत्र की जनसंख्या में दुश्मन के स्लीपर सेल बैठे हों। वहां पर घुसपैठ की बड़ी वारदात का प्लान तैयार हो सकता है। दुश्मन राष्ट्र को लेकर सूचनाओं का प्रवाह धीमा पड़ सकता है। सुरक्षा एजेंसियों को गुमराह करने की संभावनाएं बनी रहती हैं। उत्तर प्रदेश के पांच जिले, पीलीभीत, खीरी, महराजगंज, बलरामपुर और बहराइच में मुस्लिमों की आबादी तेजी से बढ़ रही है। यहां आबादी बढ़ने का औसत, मुस्लिमों की राष्ट्रीय स्तर पर आबादी बढ़ने के औसत से करीब बीस प्रतिशत ज्यादा है।
मानवीय इंटेलिजेंस का अधिक इस्तेमाल बढ़ाना होगा
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस सप्ताह दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति सम्मलेन में कहा कि राज्यों के पुलिस महानिदेशकों की जिम्मेदारी है कि वे अपने राज्यों में, विशेषकर सीमांत जिलों में, सभी तकनीकी और रणनीतिक महत्व की जानकारियां नीचे तक पहुंचाएं। आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद, उत्तरपूर्व में विभिन्न उग्रवादी गुटों और वामपंथी उग्रवाद के रूप में जो तीन नासूर थे, उन्हें खत्म करने की दिशा में हमने बहुत बड़ी सफलता हासिल की है। नए कानून बनाए गए हैं। राज्यों के साथ समन्वय बढ़ा है और बजटीय आवंटन बढ़ाया गया है। तकनीक का अधिकतम उपयोग किया गया है। हर राज्य के अच्छे इन्वेस्टिगेटिड केसेस की हमें डिटेल्ड अनालिसिस करनी चाहिए। केन्द्र सरकार ने विभिन्न प्रकार के अपराधों का राष्ट्रीय डाटाबेस तैयार किया है। इंटेलिजेंस एजेंसियों को तकनीक के साथ साथ ह्यूमन इंटेलिजेंस के उपयोग पर भी बराबर ध्यान देना चाहिए।
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