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ED: एसआरएस ग्रुप का 2200 करोड़ रुपये का घोटाला, सैकड़ों फर्जी कंपनियों में लगाया निवेशकों और बैंकों का पैसा
डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: राहुल कुमार
Updated Wed, 12 Nov 2025 07:10 PM IST
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ED
- फोटो : Adobe Stock
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रियल्टी फर्म एसआरएस ग्रुप ने निवेशकों और बैंकों को यह भरोसा दिलाया कि वे उनका पैसा, आवासीय एवं व्यावसायिक परियोजनाओं में निवेश कर रहे हैं। इसके जरिए उन्हें भारी रिटर्न मिलेगा। लाभ के चक्कर में लोगों ने खूब पैसा निवेश कर दिया। जब उन्हें रिटर्न देने की बारी आई तो कंपनी संचालकों ने खुद के हाथ खाली दिखाए। ईडी की जांच में पता चला कि एसआरएस समूह ने वह पैसा, सैकड़ों फर्जी कंपनियों में जमा कर दिया।
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पीएमएलए मामलों में तेजी से सुनवाई के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के प्रयासों के अनुरूप, गुरुग्राम में जिला और सत्र न्यायालय परिसर में विशेष न्यायालय (पीएमएलए) ने रियल्टी फर्म एसआरएस ग्रुप द्वारा घोटाले में शामिल व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ आरोप तय किए हैं।
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ईडी के मुताबिक, न्यायालय ने 3 नवंबर के आदेश के तहत एसआरएस समूह के प्रमोटर-निदेशक अनिल जिंदल और अन्य शामिल व्यक्तियों, विनोद जिंदल, बिशन बंसल, राजेश सिंगला, विनोद कुमार गर्ग, नवनीत क्वात्रा, सीमा नारंग, धीरज गुप्ता, देवेंद्र अधाना और संबंधित कंपनियों, मेसर्स एसआरएस रियल एस्टेट लिमिटेड, मेसर्स होराइजन ग्लोबल लिमिटेड और मेसर्स एसआरएस फाइनेंस लिमिटेड के खिलाफ आरोप तय किए हैं। ईडी की जांच से पता चला है कि एसआरएस समूह के आरोपी व्यक्तियों/संस्थाओं ने निवेशकों को उनके निवेश पर उच्च रिटर्न और विभिन्न आवासीय एवं व्यावसायिक परियोजनाओं में निवेश करने के लिए लुभाया।
ऐसे निवेशों से प्राप्त धनराशि को एसआरएस समूह द्वारा बनाई गई सैकड़ों फर्जी कंपनियों में जमा किया गया। बाद में उनका धन शोधन किया गया। इस मामले में 2215.98 करोड़ रुपये का एक अनंतिम कुर्की आदेश पहले ही जारी किया जा चुका है। इसके बाद ईडी द्वारा 29.08.2022 को कोमा 14/2022 के तहत पीएमएलए की विशेष अदालत, गुरुग्राम में अभियोजन शिकायत दायर की गई। वर्तमान घटनाक्रम ने आरोपी व्यक्तियों/संस्थाओं के मुकदमे और जब्त संपत्तियों को वैध दावेदारों/घर खरीदारों को वापस करने का मार्ग प्रशस्त किया है। ईडी के मुताबिक, यह न्याय की खोज और धोखाधड़ी के परिणामस्वरूप पीड़ित निवेशकों के अधिकारों के प्रवर्तन में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
इससे पहले मामले में, तीन अन्य आरोपी व्यक्ति, प्रवीण कुमार कपूर, सुनील जिंदल और जितेंद्र गर्ग को विशेष अदालत ने अपराधी घोषित किया था। ईडी द्वारा इंटरपोल को रेड कॉर्नर नोटिस प्रकाशित करने का अनुरोध किया गया था। इसके अलावा, ईडी द्वारा उनके खिलाफ भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम के तहत कार्यवाही भी शुरू की गई थी। इंटरपोल रेड कॉर्नर नोटिस के आधार पर, प्रवीण कुमार कपूर को नेवार्क अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे, यूएसए में प्रवेश से वंचित कर दिया गया था। दो नवंबर को यूएसए के अधिकारियों द्वारा भारत निर्वासित कर दिया गया।