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CJI: 'नागरिकों की सतर्कता से जवाबदेह बनी न्यायपालिका', गवई बोले- जनता का संवाद लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु चंदेल Updated Wed, 12 Nov 2025 10:49 PM IST
सार

सीजेआई जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि नागरिक समाज, महिला आंदोलनों और आम नागरिकों की सतर्कता ने न्यायपालिका को जवाबदेह बनाए रखा है। उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता की दिशा में भारत ने असाधारण यात्रा तय की है, लेकिन यह यात्रा निरंतर चलने वाली है।

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Gavai says  judiciary become accountable due vigilance of citizens public dialogue strength of democracy
सीजेआई बी.आर. गवई - फोटो : एएनआई (फाइल)
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विस्तार
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मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी.आर. गवई ने कहा है कि भारत में न्यायपालिका को संवैधानिक मूल्यों के प्रति जवाबदेह बनाए रखने में नागरिक समाज, महिला आंदोलनों और आम नागरिकों की भूमिका बेहद अहम रही है। उन्होंने कहा कि देश की लोकतांत्रिक शक्ति का सबसे बड़ा स्रोत यही जनसंवाद है, जो न्याय हमेशा ने न्याय की दिशा तय करता आया है।
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सीजेआई जस्टिस गवई 30वें जस्टिस सुनंदा भंडारे स्मृति व्याख्यान को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि पिछले 75 वर्षों में भारत ने महिलाओं के अधिकारों को मजबूत करने और एक समावेशी समाज बनाने की दिशा में असाधारण यात्रा तय की है। अदालतों ने इस सफर में बराबरी और मानवीय गरिमा के संरक्षक के रूप में काम किया है।
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चुनौतियां और न्यायिक व्याख्याएं
जस्टिस गवई ने कहा कि यह यात्रा चुनौतियों से भरी रही है। कई बार अदालतें महिलाओं की वास्तविक परिस्थितियों को समझने में विफल रहीं या संविधान की परिवर्तनकारी भावना के अनुरूप न्याय नहीं दे पाईं। ऐसे समय में नागरिक समाज और महिला आंदोलनों ने न्यायपालिका को आत्ममंथन के लिए मजबूर किया।

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नागरिक समाज की भूमिका
सीजेआई ने स्पष्ट किया कि लैंगिक न्याय में प्रगति केवल अदालतों की उपलब्धि नहीं रही है। नागरिक समाज और महिला आंदोलनों ने सुनिश्चित किया है कि किसी भी प्रतिगामी फैसले पर सवाल उठे, उस पर बहस हो और अंततः उसे सुधार या पुनर्व्याख्या के माध्यम से संवैधानिक दायरे में लाया जाए।

न्याय और जनता के संवाद की अहमियत
उन्होंने कहा कि अदालतों और जनता के बीच यह संवाद भारत की लोकतांत्रिक ताकत का मुख्य आधार है। सीजेआई के अनुसार, लैंगिक समानता कोई अंतिम लक्ष्य नहीं बल्कि एक निरंतर जारी प्रक्रिया है, जिसे हर पीढ़ी को नई प्रतिबद्धता के साथ आगे बढ़ाना होगा।

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