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Goa Fire Tragedy: नाइट क्लब में वर्षों से अवैध निर्माण की हो रही थी शिकायत, जमीन के मालिक का खुलासा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, गोवा
Published by: नितिन गौतम
Updated Tue, 09 Dec 2025 11:54 AM IST
सार
गोवा के जिस नाइट क्लब में आग लगने से 25 लोगों की मौत हुई, उसमें अवैध निर्माण की कई वर्षों से शिकायत हो रही थी। साथ ही क्लब जिस जमीन पर बना है, उसकी खरीद को लेकर भी विवाद है, जिसका मामला 20 वर्षों से अदालत में चल रहा है।
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गोवा के नाइट क्लब में लगी भीषण आग ने 25 जिंदगियां छीन लीं।
- फोटो : पीटीआई
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विस्तार
गोवा के जिस नाइट क्लब में आग लगने से 25 लोगों की जान गई, उसकी कई वर्षों से शिकायत हो रही थी। जिस जगह नाइट क्लब बिर्क बाय रोमियो लेन बना था, उस जमीन के मालिक प्रदीप घडी अमोनकर ने ये खुलासा किया। अमोनकर ने मंगलवार को बताया कि नाइट क्लब में वर्षों से गैर कानूनी निर्माण की शिकायत हो रहीं थी और वे इसके खिलाफ बीते 20 वर्षों से कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे।
अवैध तरीके से हो रहा था नाइट क्लब का संचालन
अमोनकर ने बताया कि उन्होंने साल 1994 में अरपोरा गांव में दो प्लॉट लिए थे और साल 2004 में उन्होंने सुरिंदर कुमार खोसला के साथ इस प्लॉट को बेचने का समझौता किया था, लेकिन छह महीने बाद ये सौदा खारिज हो गया क्योंकि खोसला पैसों का भुगतान नहीं कर सके। इसके बावजूद खोसला ने इस जमीन पर नाइट क्लब बनाया, जिसे बाद में सौरभ और गौरव लूथरा ने ले लिया। फिलहाल ये दोनों ही यहां बिर्क बाय रोमियो लेन नाइट क्लब का संचालन कर रहे थे।
अमोनकर ने ही अरपोरा नागोवा पंचायत के सरपंच सुनील दिवकर के साथ मिलकर इस नाइट क्लब के निर्माण के खिलाफ शिकायत की थी। जिसके बाद नाइट क्लब को गिराने के आदेश जारी हुए थे, लेकिन सुरिंदर खोसला की अपील पर पंचायत निदेशालय ने नाइट क्लब को गिराने के आदेश पर रोक लगा दी थी। अरपोरा गांव में संचालित हो रहे बिर्क बाय रोमियो लेन नाइट क्लब में बीती 7 दिसंबर को आग लग गई थी। जिसमें नाइट क्लब के कर्मचारियों और स्टाफ समेत 25 लोगों की मौत हो गई थी।
ये भी पढ़ें- IndiGo Crisis: आज भी 200+ विमान रद्द, सरकार बोली- इंडिगो मार्गों की संख्या घटाएंगे; 10 एयरपोर्ट पर अफसर तैनात
नाइट क्लब का लाइसेंस भी हो गया था खत्म
अमोनकर ने आरोप लगाया कि सुरिंदर खोसला इस पूरे मामले में मुख्य आरोपी है। उन्होंने कहा कि खोसला देश छोड़कर भाग सकता है। वहीं राज्य प्रशासन ने स्थानीय पंचायतों पर अवैध निर्माण की मंजूरी देने का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया कि नाइट क्लब के बिजली कनेक्शन, पानी कनेक्शन और भवन मरम्मत की एनओसी पर हस्ताक्षर किए। नाइट क्लब का ट्रेड लाइसेंस भी मार्च 2024 में खत्म हो गया था, लेकिन इसके बावजूद नाइट क्लब का संचालन हो रहा था। गोवा पंचायत राज कानून की धारा 72-ए के तहत पंचायतों को बिना लाइसेंस चल रहे परिसरों को सील करने का अधिकार है, लेकिन इसके बावजूद पंचायत ने ऐसा नहीं किया।
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अवैध तरीके से हो रहा था नाइट क्लब का संचालन
अमोनकर ने बताया कि उन्होंने साल 1994 में अरपोरा गांव में दो प्लॉट लिए थे और साल 2004 में उन्होंने सुरिंदर कुमार खोसला के साथ इस प्लॉट को बेचने का समझौता किया था, लेकिन छह महीने बाद ये सौदा खारिज हो गया क्योंकि खोसला पैसों का भुगतान नहीं कर सके। इसके बावजूद खोसला ने इस जमीन पर नाइट क्लब बनाया, जिसे बाद में सौरभ और गौरव लूथरा ने ले लिया। फिलहाल ये दोनों ही यहां बिर्क बाय रोमियो लेन नाइट क्लब का संचालन कर रहे थे।
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अमोनकर ने ही अरपोरा नागोवा पंचायत के सरपंच सुनील दिवकर के साथ मिलकर इस नाइट क्लब के निर्माण के खिलाफ शिकायत की थी। जिसके बाद नाइट क्लब को गिराने के आदेश जारी हुए थे, लेकिन सुरिंदर खोसला की अपील पर पंचायत निदेशालय ने नाइट क्लब को गिराने के आदेश पर रोक लगा दी थी। अरपोरा गांव में संचालित हो रहे बिर्क बाय रोमियो लेन नाइट क्लब में बीती 7 दिसंबर को आग लग गई थी। जिसमें नाइट क्लब के कर्मचारियों और स्टाफ समेत 25 लोगों की मौत हो गई थी।
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नाइट क्लब का लाइसेंस भी हो गया था खत्म
अमोनकर ने आरोप लगाया कि सुरिंदर खोसला इस पूरे मामले में मुख्य आरोपी है। उन्होंने कहा कि खोसला देश छोड़कर भाग सकता है। वहीं राज्य प्रशासन ने स्थानीय पंचायतों पर अवैध निर्माण की मंजूरी देने का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री कार्यालय से जारी बयान में कहा गया कि नाइट क्लब के बिजली कनेक्शन, पानी कनेक्शन और भवन मरम्मत की एनओसी पर हस्ताक्षर किए। नाइट क्लब का ट्रेड लाइसेंस भी मार्च 2024 में खत्म हो गया था, लेकिन इसके बावजूद नाइट क्लब का संचालन हो रहा था। गोवा पंचायत राज कानून की धारा 72-ए के तहत पंचायतों को बिना लाइसेंस चल रहे परिसरों को सील करने का अधिकार है, लेकिन इसके बावजूद पंचायत ने ऐसा नहीं किया।
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