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Karnataka: 'कम मिल रही केंद्रीय हिस्सेदारी, लेकिन अपनी गारंटियों को पूरा करेंगे', सिद्धारमैया केंद्र पर हमलावर
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मैसूर
Published by: पवन पांडेय
Updated Fri, 03 Oct 2025 05:29 PM IST
सार
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। मैसूर में बोलते हुए उन्होंने कहा कि केंद्र से मिलने वाली फंडिंग कम हो गई है, लेकिन राज्य सरकार गारंटियों का बोझ उठाने में पीछे नहीं हटेगी। उन्होंने आगे कहा कि जीएसटी से राज्य को भारी नुकसान होगा, जिसके लिए केंद्र जिम्मेदार है।
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सिद्धारमैया, कर्नाटक के मुख्यमंत्री
- फोटो : ANI
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विस्तार
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि राज्य सरकार को अपनी गारंटियों का खर्च उठाना बड़ी चुनौती है, खासकर तब जब केंद्र से मिलने वाली फंडिंग कम हो गई है। उन्होंने साफ कहा कि यह मुश्किल जरूर है, लेकिन सरकार इसे डटकर सामना करेगी।
जीएसटी पर सरकार की चुनौती
उन्होंने आगे बताया कि जीएसटी में किए गए सरलीकरण से राज्य सरकारों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा। कर्नाटक को ही हर साल करीब 15,000 करोड़ रुपये का घाटा होने का अनुमान है। उनका आरोप है कि केंद्र सरकार राज्यों को जीएसटी राहत अपनी सुविधा के हिसाब से दे रही है, खासकर उन राज्यों को जो एनडीए में शामिल हैं।
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जाति जनगणना पर स्थिति
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बताया कि राज्य में 3 करोड़ लोगों का सर्वे पहले ही पूरा हो चुका है। यह सर्वे करीब 80 लाख घरों से जुड़ा था। अब शेष 1.80 करोड़ परिवारों का सर्वेक्षण किया जाना बाकी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह काम 7 अक्तूबर तक पूरा कर लिया जाएगा।
क्या है सर्वे का मकसद?
सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि यह केवल जाति की गिनती नहीं है, बल्कि एक आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण है। इसका मकसद राज्य की जनता की असल स्थिति को समझना है। उन्होंने बताया कि कांताराजु समिति की रिपोर्ट में कई जातियों का जिक्र था- जैसे ब्राह्मण, ईसाई आदि। लेकिन अब आयोग ने ऐसी जातियों को सूची से हटा दिया है। अगर लोग खुद अपनी जाति लिखवाना चाहते हैं, तो उसकी जिम्मेदारी सरकार की नहीं होगी।
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भाजपा पर मुख्यमंत्री ने साधा निशाना
मुख्यमंत्री ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि वह इस सर्वे को लेकर लोगों को गुमराह कर रही है। उनका कहना है कि इस प्रक्रिया का मकसद समाज को बांटना नहीं, बल्कि लोगों की वास्तविक स्थिति को समझना है।
जीएसटी पर सरकार की चुनौती
उन्होंने आगे बताया कि जीएसटी में किए गए सरलीकरण से राज्य सरकारों को बड़ा नुकसान झेलना पड़ेगा। कर्नाटक को ही हर साल करीब 15,000 करोड़ रुपये का घाटा होने का अनुमान है। उनका आरोप है कि केंद्र सरकार राज्यों को जीएसटी राहत अपनी सुविधा के हिसाब से दे रही है, खासकर उन राज्यों को जो एनडीए में शामिल हैं।
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जाति जनगणना पर स्थिति
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बताया कि राज्य में 3 करोड़ लोगों का सर्वे पहले ही पूरा हो चुका है। यह सर्वे करीब 80 लाख घरों से जुड़ा था। अब शेष 1.80 करोड़ परिवारों का सर्वेक्षण किया जाना बाकी है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह काम 7 अक्तूबर तक पूरा कर लिया जाएगा।
क्या है सर्वे का मकसद?
सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि यह केवल जाति की गिनती नहीं है, बल्कि एक आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक सर्वेक्षण है। इसका मकसद राज्य की जनता की असल स्थिति को समझना है। उन्होंने बताया कि कांताराजु समिति की रिपोर्ट में कई जातियों का जिक्र था- जैसे ब्राह्मण, ईसाई आदि। लेकिन अब आयोग ने ऐसी जातियों को सूची से हटा दिया है। अगर लोग खुद अपनी जाति लिखवाना चाहते हैं, तो उसकी जिम्मेदारी सरकार की नहीं होगी।
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भाजपा पर मुख्यमंत्री ने साधा निशाना
मुख्यमंत्री ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि वह इस सर्वे को लेकर लोगों को गुमराह कर रही है। उनका कहना है कि इस प्रक्रिया का मकसद समाज को बांटना नहीं, बल्कि लोगों की वास्तविक स्थिति को समझना है।