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Madani Interview: जिहाद के असली मायने, आतंकवाद से लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक; जमीयत प्रमुख ने दिए सभी जवाब

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली। Published by: ज्योति भास्कर Updated Tue, 02 Dec 2025 03:22 PM IST
सार

हाल ही में जिहाद जैसे शब्द और इसके असली मायने को लेकर चर्चा में रहे जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी एक बार फिर अपनी बातों को स्पष्ट किया है। उन्होंने आतंकवाद, हिंसा करने की मानसिकता, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जुड़ी टिप्पणियों पर भी विस्तार से बात की। जानिए जमीयत प्रमुख ने एक साक्षात्कार में क्या बातें कहीं?

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Jamiat Ulama-i-Hind Chief Madani Jihad meaning divide in election Muslim Issues Supreme Court terror violence
मौलान महमूद मदनी (फाइल) - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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मौलाना महमूद मदनी ने एक साक्षात्कार में जिहाद के असली अर्थ स्पष्ट करने का दावा किया है। उन्होंने कहा, 'इस शब्द के वास्तविक अर्थ को लेकर कुछ भ्रम पैदा किया गया है। जिहाद के कई अर्थ हैं। सबसे बड़ा जिहाद अपने लक्ष्य के बारे में स्पष्ट दृष्टिकोण रखना और खुद का व्यक्तित्व बेहतर बनाने की दिशा में काम करना है। जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष ने कहा, 'अगर अन्याय हो रहा है, तो उसके खिलाफ आवाज उठाना भी जिहाद है।
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आतंकवादियों ने इस्लामिक शब्दों को गलत तरीके से इस्तेमाल किया
मदनी ने कहा, 'जब से मैंने इस संगठन में एक सचिव के रूप में प्रवेश किया है, मैंने इसे अपने जीवन का मिशन बना लिया है कि आतंकवादियों ने जिन इस्लामिक शब्दों को गलत तरीके से समझाया है, उसे ठीक करके सबके सामने लाऊं।' उन्होंने कहा, 'हम जिहाद का मतलब आतंकवादियों से लड़ना समझते हैं। मैंने हमेशा कहा है कि वे 'फसादी' हैं, और हम 'जिहादी' हैं।
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मुसलमानों को गाली देने के लिए नए शब्द गढ़े जा रहे हैं
उन्होंने सत्ताधारी खेमे पर भी गंभीर आरोप लगाए। मदनी ने कहा, चाहे केंद्र हो या राज्य सरकार के मंत्रालय, सबने फैसला किया है कि अगर मुसलमानों से जुड़ी कोई भी नकारात्मक बात सामने आती है, तो उसे जिहाद कहा जाएगा। हालांकि, सच्चाई ये है कि जिहाद एक पवित्र शब्द है। हम जिहाद के असली अर्थ के लिए लड़ रहे हैं... लव जिहाद, जमीन जिहाद, 'ठूठ' जिहाद और वोट जिहाद मुसलमानों को गाली देने के लिए नए शब्दों के रूप में गढ़े गए हैं।

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जिहाद के असली अर्थ...
उन्होंने कहा कि जिहाद शब्द को इस्लाम से जोड़कर बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से गालियां दी जाती थी। यह सिलसिला लंबे समय तक जारी रहा। बकौल मदनी, 'अब सरकारी स्तर पर मुसलमानों को गाली दी जा रही है। यह मान लिया गया है कि सभी मुसलमान 'जिहादी' और 'फसादी' हैं। ऐसे में यह मेरी जिम्मेदारी बन गई है कि मैं जिहाद के असली अर्थ समझाऊं।'

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मदनी ने PM, गृह मंत्री शाह और मुख्यमंत्रियों के बारे में क्या कहा?

एक और सवाल के जवाब में मदनी ने कहा, 'हम परेशान हैं, और ऐसा अचानक नहीं हुआ है। हमें प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री और मुख्यमंत्रियों से उम्मीदें हैं। मैं समझता हूं कि ये लोग सियासत के लिए फूट डालते हैं। मैं यह नहीं कह रहा कि हर कोई हमारे खिलाफ है, लेकिन सभी लोगों को बैठकर मुस्लिम समुदाय की चिंताओं का समाधान करना चाहिए। इस्तेमाल की जा रही शब्दावली बदलनी चाहिए... हम इस मुद्दे पर सरकार से भी संपर्क करेंगे। कई बार अलग-अलग मुद्दों पर हमने सरकारी प्रतिनिधियों से भी संपर्क किया है। 

पाकिस्तान और परवेज मुशर्रफ से जुड़ी घटना का जिक्र
मदनी ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ से जुड़ी एक घटना का जिक्र करते हुए कहा, उस समय 90% मौन बहुमत था; अब यह घटकर 60 फीसदी हो गया है। जमीयत प्रमुख ने सुप्रीम कोर्ट से जुड़े एक अन्य सवाल के जवाब में कहा, 'आप मुझ पर यह कहने का आरोप लगा रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट गलत है... मैं केवल कोई व्यक्ति नहीं हूं; मैं एक ऐसे संगठन से जुड़ा हूं जो एक खास समुदाय से जुड़ा है। अगर मैं अपने समुदाय की भावनाओं को देश को नहीं बताऊंगा, तो ऐसा करना नाइंसाफी होगी।

देश के हालात को देखते हुए चेतावनी...
उन्होंने कहा, 'संविधान की अवधारणा बहुसंख्यकवाद के खिलाफ है। हालांकि, एक ऐसी जगह है, जहां हमें लगता है कि हमारी असुरक्षा की भावना को समझने के लिए आपका मुसलमान होना जरूरी है। बदले हुए परिदृश्यों की तरफ संकेत करते हुए जमीयत प्रमुख मदनी ने कहा, आज हमें एक ऐसी जगह पर खड़ा कर दिया गया है जहां हमें लगता है कि हमें हाशिये पर धकेला जा रहा है। मैं इस बात का सम्मान करता हूं कि आप मुझसे असहमत हो सकते हैं, लेकिन अगर मैं कुछ कहना चाहूं, तो नहीं कह सकता। देश के हालात को देखते हुए मैं चेतावनी देना चाहता हूं।

हमारी चिंताओं को विश्वासघात मानना ठीक नहीं
जमीयत प्रमुख मदनी के मुताबिक अगर स्थिति वास्तव में चिंताजनक नहीं है, तो हमारे समुदाय को ये बात समझने की जरूरत है, अगर परिस्थियां सामान्य नहीं हैं तो आपको (सरकार) को समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा, बीते कई दिनों से हम अपनी चिंताओं के बारे में अपने समुदाय के साथ-साथ पूरे देश के सामने रखने की कोशिश कर रहे हैं। अगर हमारी चिंताओं को विश्वासघात के रूप में साबित किया जाएगा, तो यह बहुत गलत होगा। हम 60 फीसदी मौन को संबोधित करना और स्वीकार करना चाहते हैं। बहुमत हमारे साथ है।





इंटरव्यू से पहले मदनी की किस बात पर उपजा विवाद

गौरतलब है कि बीते दिनों मौलाना मदनी की वह टिप्पणी चर्चा में रही जिसमें उन्होंने जुल्म खत्म न होने तक जिहाद जारी रहने की बात कही थी। इस्लामी विद्वान मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि देश की वर्तमान स्थिति अत्यंत संवेदनशील और चिंताजनक है। दुःख की बात है कि एक विशेष समुदाय को जबरन निशाना बनाया जा रहा है, जबकि अन्य समुदायों को कानूनी रूप से शक्तिहीन, सामाजिक रूप से अलग-थलग और आर्थिक रूप से अपमानित किया जा रहा है। मदनी ने कहा कि इस्लाम और मुसलमानों के दुश्मनों ने जिहाद जैसी इस्लाम की पवित्र अवधारणा को दुर्व्यवहार, अव्यवस्था और हिंसा से जुड़े शब्दों में बदल दिया है। 'लव जिहाद', 'भूमि जिहाद', 'शिक्षा जिहाद' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके मुसलमानों को गहरी ठेस पहुंचाई गई है। इससे धर्म का अपमान होता है। 

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