Madani Interview: जिहाद के असली मायने, आतंकवाद से लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक; जमीयत प्रमुख ने दिए सभी जवाब
हाल ही में जिहाद जैसे शब्द और इसके असली मायने को लेकर चर्चा में रहे जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी एक बार फिर अपनी बातों को स्पष्ट किया है। उन्होंने आतंकवाद, हिंसा करने की मानसिकता, सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जुड़ी टिप्पणियों पर भी विस्तार से बात की। जानिए जमीयत प्रमुख ने एक साक्षात्कार में क्या बातें कहीं?
विस्तार
आतंकवादियों ने इस्लामिक शब्दों को गलत तरीके से इस्तेमाल किया
मदनी ने कहा, 'जब से मैंने इस संगठन में एक सचिव के रूप में प्रवेश किया है, मैंने इसे अपने जीवन का मिशन बना लिया है कि आतंकवादियों ने जिन इस्लामिक शब्दों को गलत तरीके से समझाया है, उसे ठीक करके सबके सामने लाऊं।' उन्होंने कहा, 'हम जिहाद का मतलब आतंकवादियों से लड़ना समझते हैं। मैंने हमेशा कहा है कि वे 'फसादी' हैं, और हम 'जिहादी' हैं।
#WATCH | Delhi: On his remarks on Jihad, Jamiat Ulama-i-Hind president Maulana Mahmood Madani, in an interview to ANI, says, "It is correct that some confusion has been created... Jihad has many meanings... The biggest jihad is to have a clear vision of your aim and work on… pic.twitter.com/XPnGyAJtWe
— ANI (@ANI) December 2, 2025
मुसलमानों को गाली देने के लिए नए शब्द गढ़े जा रहे हैं
उन्होंने सत्ताधारी खेमे पर भी गंभीर आरोप लगाए। मदनी ने कहा, चाहे केंद्र हो या राज्य सरकार के मंत्रालय, सबने फैसला किया है कि अगर मुसलमानों से जुड़ी कोई भी नकारात्मक बात सामने आती है, तो उसे जिहाद कहा जाएगा। हालांकि, सच्चाई ये है कि जिहाद एक पवित्र शब्द है। हम जिहाद के असली अर्थ के लिए लड़ रहे हैं... लव जिहाद, जमीन जिहाद, 'ठूठ' जिहाद और वोट जिहाद मुसलमानों को गाली देने के लिए नए शब्दों के रूप में गढ़े गए हैं।
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जिहाद के असली अर्थ...
उन्होंने कहा कि जिहाद शब्द को इस्लाम से जोड़कर बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से गालियां दी जाती थी। यह सिलसिला लंबे समय तक जारी रहा। बकौल मदनी, 'अब सरकारी स्तर पर मुसलमानों को गाली दी जा रही है। यह मान लिया गया है कि सभी मुसलमान 'जिहादी' और 'फसादी' हैं। ऐसे में यह मेरी जिम्मेदारी बन गई है कि मैं जिहाद के असली अर्थ समझाऊं।'
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मदनी ने PM, गृह मंत्री शाह और मुख्यमंत्रियों के बारे में क्या कहा?
एक और सवाल के जवाब में मदनी ने कहा, 'हम परेशान हैं, और ऐसा अचानक नहीं हुआ है। हमें प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री और मुख्यमंत्रियों से उम्मीदें हैं। मैं समझता हूं कि ये लोग सियासत के लिए फूट डालते हैं। मैं यह नहीं कह रहा कि हर कोई हमारे खिलाफ है, लेकिन सभी लोगों को बैठकर मुस्लिम समुदाय की चिंताओं का समाधान करना चाहिए। इस्तेमाल की जा रही शब्दावली बदलनी चाहिए... हम इस मुद्दे पर सरकार से भी संपर्क करेंगे। कई बार अलग-अलग मुद्दों पर हमने सरकारी प्रतिनिधियों से भी संपर्क किया है।
#WATCH | Delhi: Jamiat Ulama-i-Hind president Maulana Mahmood Madani, in an interview to ANI, says, "We are upset, and it is not sudden. We have hopes from you, from our Prime Minister, from the Home Minister, from the Chief Ministers. I understand that they have to create a… pic.twitter.com/WdcMSR9y5D
— ANI (@ANI) December 2, 2025
पाकिस्तान और परवेज मुशर्रफ से जुड़ी घटना का जिक्र
मदनी ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ से जुड़ी एक घटना का जिक्र करते हुए कहा, उस समय 90% मौन बहुमत था; अब यह घटकर 60 फीसदी हो गया है। जमीयत प्रमुख ने सुप्रीम कोर्ट से जुड़े एक अन्य सवाल के जवाब में कहा, 'आप मुझ पर यह कहने का आरोप लगा रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट गलत है... मैं केवल कोई व्यक्ति नहीं हूं; मैं एक ऐसे संगठन से जुड़ा हूं जो एक खास समुदाय से जुड़ा है। अगर मैं अपने समुदाय की भावनाओं को देश को नहीं बताऊंगा, तो ऐसा करना नाइंसाफी होगी।
देश के हालात को देखते हुए चेतावनी...
उन्होंने कहा, 'संविधान की अवधारणा बहुसंख्यकवाद के खिलाफ है। हालांकि, एक ऐसी जगह है, जहां हमें लगता है कि हमारी असुरक्षा की भावना को समझने के लिए आपका मुसलमान होना जरूरी है। बदले हुए परिदृश्यों की तरफ संकेत करते हुए जमीयत प्रमुख मदनी ने कहा, आज हमें एक ऐसी जगह पर खड़ा कर दिया गया है जहां हमें लगता है कि हमें हाशिये पर धकेला जा रहा है। मैं इस बात का सम्मान करता हूं कि आप मुझसे असहमत हो सकते हैं, लेकिन अगर मैं कुछ कहना चाहूं, तो नहीं कह सकता। देश के हालात को देखते हुए मैं चेतावनी देना चाहता हूं।
#WATCH | Delhi: On his remarks on Jihad, Jamiat Ulama-i-Hind president Maulana Mahmood Madani, in an interview to ANI, says, "You are accusing me of saying that the Supreme Court is wrong... I am not an individual; I belong to an organisation that belongs to a particular… pic.twitter.com/BZT3uCkjNO
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हमारी चिंताओं को विश्वासघात मानना ठीक नहीं
जमीयत प्रमुख मदनी के मुताबिक अगर स्थिति वास्तव में चिंताजनक नहीं है, तो हमारे समुदाय को ये बात समझने की जरूरत है, अगर परिस्थियां सामान्य नहीं हैं तो आपको (सरकार) को समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा, बीते कई दिनों से हम अपनी चिंताओं के बारे में अपने समुदाय के साथ-साथ पूरे देश के सामने रखने की कोशिश कर रहे हैं। अगर हमारी चिंताओं को विश्वासघात के रूप में साबित किया जाएगा, तो यह बहुत गलत होगा। हम 60 फीसदी मौन को संबोधित करना और स्वीकार करना चाहते हैं। बहुमत हमारे साथ है।
#WATCH | Delhi: On his remarks on Jihad, Jamiat Ulama-i-Hind president Maulana Mahmood Madani, in an interview to ANI, says, "What I said has nothing to do with terrorism and violence... We are united on matters of national development and national security. When we agree on… pic.twitter.com/KupX79Nq1M
— ANI (@ANI) December 2, 2025
इंटरव्यू से पहले मदनी की किस बात पर उपजा विवाद
गौरतलब है कि बीते दिनों मौलाना मदनी की वह टिप्पणी चर्चा में रही जिसमें उन्होंने जुल्म खत्म न होने तक जिहाद जारी रहने की बात कही थी। इस्लामी विद्वान मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि देश की वर्तमान स्थिति अत्यंत संवेदनशील और चिंताजनक है। दुःख की बात है कि एक विशेष समुदाय को जबरन निशाना बनाया जा रहा है, जबकि अन्य समुदायों को कानूनी रूप से शक्तिहीन, सामाजिक रूप से अलग-थलग और आर्थिक रूप से अपमानित किया जा रहा है। मदनी ने कहा कि इस्लाम और मुसलमानों के दुश्मनों ने जिहाद जैसी इस्लाम की पवित्र अवधारणा को दुर्व्यवहार, अव्यवस्था और हिंसा से जुड़े शब्दों में बदल दिया है। 'लव जिहाद', 'भूमि जिहाद', 'शिक्षा जिहाद' जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके मुसलमानों को गहरी ठेस पहुंचाई गई है। इससे धर्म का अपमान होता है।
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