सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने डाबर के उस विज्ञापन को वापस लिए जाने पर चिंता जताई जिसमें एक समलैंगिक जोड़े को करवा चौथ त्योहार मनाते हुए दिखाया गया था। उन्होंने इसे सार्वजनिक असहिष्णुता बताया है।
डाबर इंडिया ने अनजाने में लोगों की भावनाओं को आहत करने के लिए बिना शर्त माफी मांगी थी। हिंदू त्योहारों से संबंधित विज्ञापन के कारण कंपनी को लेकर सोशल मीडिया पर कड़ी प्रतिक्रिया के कई उदाहरण सामने आए थे जिसके बाद कंपनी को अपने उस विज्ञापन को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
राष्ट्रीय महिला आयोग के सहयोग से आयोजित नालसा के ‘कानूनी जागरूकता के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने न केवल महिलाओं के मुद्दे पर जागरूकता लाने पर जोर दिया बल्कि हमारे समाज की मानसिकता बदलने को लेकर पुरुषों की युवा पीढ़ी को भी जागरूक करने की बात कही।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, एक विज्ञापन था जिसे सार्वजनिक असहिष्णुता के आधार पर कंपनी को हटाना पड़ा। जितना अधिक हम यह महसूस करेंगे कि महिलाओं की श्रेणी में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक नुकसान हैं, उतना ही हम उनकी व्यक्तिगत और वास्तविक जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होंगे। महिलाओं के लिए सच्ची स्वतंत्रता, वास्तव में परस्पर विरोधी है।
हमारा संविधान एक परिवर्तनकारी दस्तावेज है जो पितृसत्ता में निहित संरचनात्मक असमानताओं को दूर करने की मांग करता है। घरेलू हिंसा अधिनियम, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकथाम जैसे कानून महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों को पूरा करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ही बनाए गए हैं।
विस्तार
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने डाबर के उस विज्ञापन को वापस लिए जाने पर चिंता जताई जिसमें एक समलैंगिक जोड़े को करवा चौथ त्योहार मनाते हुए दिखाया गया था। उन्होंने इसे सार्वजनिक असहिष्णुता बताया है।
डाबर इंडिया ने अनजाने में लोगों की भावनाओं को आहत करने के लिए बिना शर्त माफी मांगी थी। हिंदू त्योहारों से संबंधित विज्ञापन के कारण कंपनी को लेकर सोशल मीडिया पर कड़ी प्रतिक्रिया के कई उदाहरण सामने आए थे जिसके बाद कंपनी को अपने उस विज्ञापन को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा।
राष्ट्रीय महिला आयोग के सहयोग से आयोजित नालसा के ‘कानूनी जागरूकता के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने न केवल महिलाओं के मुद्दे पर जागरूकता लाने पर जोर दिया बल्कि हमारे समाज की मानसिकता बदलने को लेकर पुरुषों की युवा पीढ़ी को भी जागरूक करने की बात कही।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, एक विज्ञापन था जिसे सार्वजनिक असहिष्णुता के आधार पर कंपनी को हटाना पड़ा। जितना अधिक हम यह महसूस करेंगे कि महिलाओं की श्रेणी में सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक नुकसान हैं, उतना ही हम उनकी व्यक्तिगत और वास्तविक जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होंगे। महिलाओं के लिए सच्ची स्वतंत्रता, वास्तव में परस्पर विरोधी है।
हमारा संविधान एक परिवर्तनकारी दस्तावेज है जो पितृसत्ता में निहित संरचनात्मक असमानताओं को दूर करने की मांग करता है। घरेलू हिंसा अधिनियम, कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकथाम जैसे कानून महिलाओं के संवैधानिक अधिकारों को पूरा करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ही बनाए गए हैं।