रामविलास पासवान की बरसी में जहां चिराग के साथ लालू की पार्टी खड़ी दिखी वहीं नीतीश ने किनारा कर लिया। भाजपा सहित सभी दल के नेता बरसी में शामिल हुए लेकिन बिहार के के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पासवान की पहली बरसी में शामिल नहीं हुए। जिसे लेकर बिहार में जमकर सियासत शुरू हो गई है।
विपक्ष का आरोप है कि नीतीश कुमार व्यस्तता की वजह से नहीं जानबूझकर चिराग से नहीं मुलाकात की। रामविलास पासवान सबसे बनाकर चलने वाले थे। उनके संबंध सबसे बहुत ही अच्छे रहे हैं। नीतीश कुमार से भी उनके संबंध अच्छे रहे हैं।केंद्र की राजनीति में 6 प्रधानमंत्री के साथ काम करने का अनुभव रामविलास पासवान के पास था। लेकिन अभी वर्तमान में रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान के साथ सिर्फ लालू प्रसाद खड़े हैं।
चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस के ऊपर नीतीश का हाथ है। चिराग पासवान का पोलिटिकल ग्राफ काफी नीचे आ चुका है। जिस भाई और बेटे का पोलिटिकल कैरियर बनाने के लिए रामविलास पासवान पर परिवारवाद का आरोप लगा।
बिखरा पड़ा हुआ है परिवार
रामविलास पासवान का परिवार जहां एकता का मिसाल हुआ करता था वह बिखरा पड़ा हुआ है। चिराग पासवान ने रामविलास पासवान की पहली बरसी पर अपने चाचा पशुपति कुमार पारस को निमंत्रण भेजा था।
केंद्रीय मंत्री पारस रामविलास पासवान की बरसी में शामिल होने के लिए चिराग पासवान के घर पहुंचे और कहा कि यदि चिराग ने न्योता नहीं भी दिया होता तो मैं इस समारोह में जरूर शिरकत करता। यह मेरे भाई की बरसी है । मेरे लिए दुर्भाग्य है कि मुझे न्योता दिया जा रहा है ।
बिहार के राज्यपाल फागू चौहान सहित सभी दल के नेता ने पहली बरसी पर रामविलास पासवान को श्रद्धांजलि अर्पित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने रामविलास पासवान के लिए दो पेज का संदेश चिराग पासवान को भेजा। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी पासवान के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। लेकिन उनके बरसी में शामिल नहीं हुए।
जून में चाचा और भतीजे हो गए थे अलग-अलग
रामविलास पासवान के निधन के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद को लेकर चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस का विवाद खूल कर सामने आ गया था । उस दौरान चिराग पशुपति कुमार से मिलने उनके घर पहुंचे थे।जहां उनकी मुलाकात पशुपति कुमार पारस से नहीं हो सकी थी। इसके बाद लोक जनशक्ति पार्टी दो फाड़ में बट गया ।
राजधानी पटना में मीटिंग कर पशुपति कुमार पारस ने खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया। इसके बाद केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार के समय नीतीश कुमार के हाथ रहने की वजह से पशुपति कुमार पारस को केंद्रीय कैबिनेट में जगह मिल गया।
नीतीश कुमार ने निमंत्रण को किया अस्वीकार
चिराग पासवान ने कहा कि राम विलास पासवान के व्यक्तिगत कर्मों का ही असर है कि इतनी बड़ी संख्या में लोग श्रद्धांजलि देने आए हैं। उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार उन्हें मिलने का समय नहीं दिया, संभवत: उनके भेजे निमंत्रण पत्र को भी सीएम आवास पर स्वीकार नहीं किया गया।
चिराग पासवान ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री आएंगे, लेकिन वे नहीं आए हैं। उन्होंने केवल लाइन का शोक संदेश जारी किया है। जबकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो पन्ने में चिट्ठी लिखकर श्रद्धांजलि दी है। चिराग ने पीएम मोदी की केंद्र सरकार से रामविलास पासवान को भारत रत्न देने की मांग फिर दुहराई।
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रामविलास पासवान की बरसी में जहां चिराग के साथ लालू की पार्टी खड़ी दिखी वहीं नीतीश ने किनारा कर लिया। भाजपा सहित सभी दल के नेता बरसी में शामिल हुए लेकिन बिहार के के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पासवान की पहली बरसी में शामिल नहीं हुए। जिसे लेकर बिहार में जमकर सियासत शुरू हो गई है।
विपक्ष का आरोप है कि नीतीश कुमार व्यस्तता की वजह से नहीं जानबूझकर चिराग से नहीं मुलाकात की। रामविलास पासवान सबसे बनाकर चलने वाले थे। उनके संबंध सबसे बहुत ही अच्छे रहे हैं। नीतीश कुमार से भी उनके संबंध अच्छे रहे हैं।केंद्र की राजनीति में 6 प्रधानमंत्री के साथ काम करने का अनुभव रामविलास पासवान के पास था। लेकिन अभी वर्तमान में रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान के साथ सिर्फ लालू प्रसाद खड़े हैं।
चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस के ऊपर नीतीश का हाथ है। चिराग पासवान का पोलिटिकल ग्राफ काफी नीचे आ चुका है। जिस भाई और बेटे का पोलिटिकल कैरियर बनाने के लिए रामविलास पासवान पर परिवारवाद का आरोप लगा।
बिखरा पड़ा हुआ है परिवार
रामविलास पासवान का परिवार जहां एकता का मिसाल हुआ करता था वह बिखरा पड़ा हुआ है। चिराग पासवान ने रामविलास पासवान की पहली बरसी पर अपने चाचा पशुपति कुमार पारस को निमंत्रण भेजा था।
केंद्रीय मंत्री पारस रामविलास पासवान की बरसी में शामिल होने के लिए चिराग पासवान के घर पहुंचे और कहा कि यदि चिराग ने न्योता नहीं भी दिया होता तो मैं इस समारोह में जरूर शिरकत करता। यह मेरे भाई की बरसी है । मेरे लिए दुर्भाग्य है कि मुझे न्योता दिया जा रहा है ।
बिहार के राज्यपाल फागू चौहान सहित सभी दल के नेता ने पहली बरसी पर रामविलास पासवान को श्रद्धांजलि अर्पित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने रामविलास पासवान के लिए दो पेज का संदेश चिराग पासवान को भेजा। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी पासवान के प्रति अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। लेकिन उनके बरसी में शामिल नहीं हुए।
जून में चाचा और भतीजे हो गए थे अलग-अलग
रामविलास पासवान के निधन के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद को लेकर चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस का विवाद खूल कर सामने आ गया था । उस दौरान चिराग पशुपति कुमार से मिलने उनके घर पहुंचे थे।जहां उनकी मुलाकात पशुपति कुमार पारस से नहीं हो सकी थी। इसके बाद लोक जनशक्ति पार्टी दो फाड़ में बट गया ।
राजधानी पटना में मीटिंग कर पशुपति कुमार पारस ने खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित कर दिया। इसके बाद केंद्रीय कैबिनेट के विस्तार के समय नीतीश कुमार के हाथ रहने की वजह से पशुपति कुमार पारस को केंद्रीय कैबिनेट में जगह मिल गया।
नीतीश कुमार ने निमंत्रण को किया अस्वीकार
चिराग पासवान ने कहा कि राम विलास पासवान के व्यक्तिगत कर्मों का ही असर है कि इतनी बड़ी संख्या में लोग श्रद्धांजलि देने आए हैं। उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश कुमार उन्हें मिलने का समय नहीं दिया, संभवत: उनके भेजे निमंत्रण पत्र को भी सीएम आवास पर स्वीकार नहीं किया गया।
चिराग पासवान ने कहा कि उन्हें उम्मीद थी कि मुख्यमंत्री आएंगे, लेकिन वे नहीं आए हैं। उन्होंने केवल लाइन का शोक संदेश जारी किया है। जबकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो पन्ने में चिट्ठी लिखकर श्रद्धांजलि दी है। चिराग ने पीएम मोदी की केंद्र सरकार से रामविलास पासवान को भारत रत्न देने की मांग फिर दुहराई।