कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी शुक्रवार को विपक्षी दलों के नेताओं व विपक्ष शासित कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वर्चुअल मीटिंग की। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई इस बैठक में देश के राजनीतिक हालात और विपक्ष की भावी रणनीति पर चर्चा की गई। बैठक में सोनिया गांधी ने कहा कि हमारा अंतिम लक्ष्य 2024 के लोकसभा चुनाव हैं, स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों में विश्वास करने वाली सरकार देने के लिए व्यवस्थित रूप से योजना बनानी होगी। बैठक करीब तीन घंटे चली। इसके बाद साझा बयान में 20 से 30 सितंबर तक विभिन्न मांगों को लेकर देशभर में प्रदर्शन का एलान किया गया।
सोनिया गांधी ने यह भी कहा कि इस समय विपक्षी दलों की एकजुटता राष्ट्रहित की मांग है और कांग्रेस अपनी ओर से कोई कमी नहीं रखेगी। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने भी विपक्षी दलों का आह्वान किया कि देश के लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बचाने के लिए सभी को साथ मिलकर काम करना चाहिए।
सोनिया ने कांग्रेस समेत 19 विपक्षी दलों के नेताओं की डिजिटल बैठक में संसद के हालिया मानसून सत्र के दौरान दिखी विपक्षी एकजुटता का उल्लेख किया और कहा, ‘‘मुझे भरोसा है कि यह विपक्षी एकजुटता संसद के आगे के सत्रों में भी बनी रहेगी। परंतु व्यापक राजनीतिक लड़ाई संसद से बाहर लड़ी जानी है।’’
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर (हमारा) लक्ष्य 2024 का लोकसभा चुनाव है। हमें देश को एक ऐसी सरकार देने के उद्देश्य के साथ व्यवस्थिति ढंग से योजना बनाने की शुरुआत करनी है कि जो स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों और संविधान के सिद्धांतों एवं प्रावधानों में विश्वास करती हो।’’
उन्होंने विपक्षी दलों का आह्वान किया, ‘‘ यह एक चुनौती है, लेकिन हम साथ मिलकर इससे पार पा सकते हैं और अवश्य पाएंगे क्योंकि मिलकर काम करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। हम सभी की अपनी मजबूरियां हैं, लेकिन अब समय आ गया है जब राष्ट्र हित यह मांग करता है कि हम इन विवशताओं से ऊपर उठें।’’ सोनिया कहा, ‘‘देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ अपने व्यक्तिगत और सामूहिक संकल्प पर फिर जोर देने का सबसे उचित अवसर है। मैं यह कहूंगी कि कांग्रेस की तरफ से कोई कमी नहीं रहेगी।’’
साझा बयान में कृषि कानून वापस लेने की मांग, 20 सितंबर देशभर में प्रदर्शन
वर्चुअल बैठक के बाद जारी साझा बयान में कहा गया है कि सभी 19 दल 20 से 30 सितंबर तक पूरे देश में विरोध प्रदर्शन करेंगे। साझा बयान में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और राजनीतिक बंदियों को रिहा करने समेत 11 मांगें की गईं।
केंद्र सरकार से ये प्रमुख मांगें की गईं
- जम्मू-कश्मीर में सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जाए।
- जम्मू-कश्मीर कैडर सहित पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करें।
- राज्य में जल्द से जल्द स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराएं।
- किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की अनिवार्य गारंटी दी जाए।
- भीमा कोरेगांव मामले और सीएए का विरोध करने वाले राजनीतिक बंदियों को रिहा करें।
विपक्षी नेताओं का कोर ग्रुप बने : ममता बनर्जी
टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने सुझाव दिया कि विपक्ष के नेताओं का एक कोर ग्रुप बनना चाहिए, जो कि साझा कार्यक्रमों व आंदोलनों पर निर्णय करे। ममता ने विपक्षी नेताओं से कहा वे अपने मतभेद अलग रखें और 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को परास्त करने के लिए एकजुट होकर काम करें। लोकतांत्रिक जनता दल के प्रमुख शरद यादव ने बैठक के बाद कहा कि ममता बनर्जी ने कोर ग्रुप बनाने और उसकी हर तीन चार दिनों में बैठक करने का सुझाव दिया।
लंबे अरसे बाद हुई विपक्ष की साझा बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह व कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी शामिल हुए। इनके अलावा द्रमुक प्रमुख एमके स्टालिन, टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, राकांपा नेता शरद पवार, लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव, माकपा नेता सीताराम येचुरी भी जुड़े।
इन दलों के नेता शामिल हुए
कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा बुलाई गई इस अहम बैठक में कुल 19 दलों के नेताओं ने भाग लिया। ये दल हैं- कांग्रेस, टीएमसी, द्रमुक, एनसीपी, शिवसेना, झारखंड मुक्ति मोर्चा, माकपा, भाकपा, नेशनल कांफ्रेंस, राजद, एआईयूडीएफ, विदुथलाई चिरुथाईगल कताची, लोकतांत्रिक जनता दल, जेडीएस, आरएलडी, आरएसपी, केरल कांग्रेस एम, पीडीपी व आईयूएमएल।
महंगाई, पेगासस मामले, कोविड प्रबंधन को लेकर केंद्र की निंदा
साझा बयान में संसद के मानसून सत्र में पेगासस मामले में चर्चा से इनकार करने, किसान विरोधी कानूनों को रद्द नहीं करने, कोविड-19 प्रबंधन में नाकामी और बढ़ती महंगाई को लेकर सरकार की निंदा की गई।
बसपा व आप को बुलावा नहीं, सपा शामिल नहीं हुई
कांग्रेस ने इस वर्चुअल बैठक में आम आदमी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी को न्यौता नहीं भेजा, जबकि सपा का कोई नेता मीटिंग से नहीं जुड़ा।
कांग्रेस खो चुकी है आत्म विश्वास : भाजपा
2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी एकता के कांग्रेस के आह्वान पर तंज करते हुए भाजपा ने कहा है कि इससे साबित हो चुका है कि जनता द्वारा ठुकराए जाने के बाद उसे खुद पर ही भरोसा नहीं रहा। लोगों का विश्वास देश के विकास के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के प्रति है।
विस्तार
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी शुक्रवार को विपक्षी दलों के नेताओं व विपक्ष शासित कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ वर्चुअल मीटिंग की। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई इस बैठक में देश के राजनीतिक हालात और विपक्ष की भावी रणनीति पर चर्चा की गई। बैठक में सोनिया गांधी ने कहा कि हमारा अंतिम लक्ष्य 2024 के लोकसभा चुनाव हैं, स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों में विश्वास करने वाली सरकार देने के लिए व्यवस्थित रूप से योजना बनानी होगी। बैठक करीब तीन घंटे चली। इसके बाद साझा बयान में 20 से 30 सितंबर तक विभिन्न मांगों को लेकर देशभर में प्रदर्शन का एलान किया गया।
सोनिया गांधी ने यह भी कहा कि इस समय विपक्षी दलों की एकजुटता राष्ट्रहित की मांग है और कांग्रेस अपनी ओर से कोई कमी नहीं रखेगी। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने भी विपक्षी दलों का आह्वान किया कि देश के लोकतांत्रिक सिद्धांतों को बचाने के लिए सभी को साथ मिलकर काम करना चाहिए।
सोनिया ने कांग्रेस समेत 19 विपक्षी दलों के नेताओं की डिजिटल बैठक में संसद के हालिया मानसून सत्र के दौरान दिखी विपक्षी एकजुटता का उल्लेख किया और कहा, ‘‘मुझे भरोसा है कि यह विपक्षी एकजुटता संसद के आगे के सत्रों में भी बनी रहेगी। परंतु व्यापक राजनीतिक लड़ाई संसद से बाहर लड़ी जानी है।’’
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर (हमारा) लक्ष्य 2024 का लोकसभा चुनाव है। हमें देश को एक ऐसी सरकार देने के उद्देश्य के साथ व्यवस्थिति ढंग से योजना बनाने की शुरुआत करनी है कि जो स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों और संविधान के सिद्धांतों एवं प्रावधानों में विश्वास करती हो।’’
उन्होंने विपक्षी दलों का आह्वान किया, ‘‘ यह एक चुनौती है, लेकिन हम साथ मिलकर इससे पार पा सकते हैं और अवश्य पाएंगे क्योंकि मिलकर काम करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है। हम सभी की अपनी मजबूरियां हैं, लेकिन अब समय आ गया है जब राष्ट्र हित यह मांग करता है कि हम इन विवशताओं से ऊपर उठें।’’ सोनिया कहा, ‘‘देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ अपने व्यक्तिगत और सामूहिक संकल्प पर फिर जोर देने का सबसे उचित अवसर है। मैं यह कहूंगी कि कांग्रेस की तरफ से कोई कमी नहीं रहेगी।’’
साझा बयान में कृषि कानून वापस लेने की मांग, 20 सितंबर देशभर में प्रदर्शन
वर्चुअल बैठक के बाद जारी साझा बयान में कहा गया है कि सभी 19 दल 20 से 30 सितंबर तक पूरे देश में विरोध प्रदर्शन करेंगे। साझा बयान में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने और राजनीतिक बंदियों को रिहा करने समेत 11 मांगें की गईं।
केंद्र सरकार से ये प्रमुख मांगें की गईं
- जम्मू-कश्मीर में सभी राजनीतिक बंदियों को रिहा किया जाए।
- जम्मू-कश्मीर कैडर सहित पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करें।
- राज्य में जल्द से जल्द स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराएं।
- किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की अनिवार्य गारंटी दी जाए।
- भीमा कोरेगांव मामले और सीएए का विरोध करने वाले राजनीतिक बंदियों को रिहा करें।
विपक्षी नेताओं का कोर ग्रुप बने : ममता बनर्जी
टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने सुझाव दिया कि विपक्ष के नेताओं का एक कोर ग्रुप बनना चाहिए, जो कि साझा कार्यक्रमों व आंदोलनों पर निर्णय करे। ममता ने विपक्षी नेताओं से कहा वे अपने मतभेद अलग रखें और 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को परास्त करने के लिए एकजुट होकर काम करें। लोकतांत्रिक जनता दल के प्रमुख शरद यादव ने बैठक के बाद कहा कि ममता बनर्जी ने कोर ग्रुप बनाने और उसकी हर तीन चार दिनों में बैठक करने का सुझाव दिया।
लंबे अरसे बाद हुई विपक्ष की साझा बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह व कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी शामिल हुए। इनके अलावा द्रमुक प्रमुख एमके स्टालिन, टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे, राकांपा नेता शरद पवार, लोकतांत्रिक जनता दल के नेता शरद यादव, माकपा नेता सीताराम येचुरी भी जुड़े।
इन दलों के नेता शामिल हुए
कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा बुलाई गई इस अहम बैठक में कुल 19 दलों के नेताओं ने भाग लिया। ये दल हैं- कांग्रेस, टीएमसी, द्रमुक, एनसीपी, शिवसेना, झारखंड मुक्ति मोर्चा, माकपा, भाकपा, नेशनल कांफ्रेंस, राजद, एआईयूडीएफ, विदुथलाई चिरुथाईगल कताची, लोकतांत्रिक जनता दल, जेडीएस, आरएलडी, आरएसपी, केरल कांग्रेस एम, पीडीपी व आईयूएमएल।
महंगाई, पेगासस मामले, कोविड प्रबंधन को लेकर केंद्र की निंदा
साझा बयान में संसद के मानसून सत्र में पेगासस मामले में चर्चा से इनकार करने, किसान विरोधी कानूनों को रद्द नहीं करने, कोविड-19 प्रबंधन में नाकामी और बढ़ती महंगाई को लेकर सरकार की निंदा की गई।
बसपा व आप को बुलावा नहीं, सपा शामिल नहीं हुई
कांग्रेस ने इस वर्चुअल बैठक में आम आदमी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी को न्यौता नहीं भेजा, जबकि सपा का कोई नेता मीटिंग से नहीं जुड़ा।
कांग्रेस खो चुकी है आत्म विश्वास : भाजपा
2024 के लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी एकता के कांग्रेस के आह्वान पर तंज करते हुए भाजपा ने कहा है कि इससे साबित हो चुका है कि जनता द्वारा ठुकराए जाने के बाद उसे खुद पर ही भरोसा नहीं रहा। लोगों का विश्वास देश के विकास के लिए पीएम नरेंद्र मोदी के प्रति है।