साथी कार्यकर्ताओं के बीच आप की 'सिंघम' के नाम से मशहूर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल 27 जुलाई को दूसरी बार आयोग का कार्यभार सम्भलेंगी। आयोग के अध्यक्ष के रूप में पहली पारी के अनुभवों और दूसरी पारी की चुनौतियों पर अमर उजाला से उनकी बातचीत हुई। पेश है वार्ता के प्रमुख अंश-
दिल्ली महिला आयोग के अध्यक्ष के रूप में आपका कार्यकाल बहुत चर्चित रहा। क्या कहेंगी?
देखिए, दिल्ली की महिलाओं की समस्या खत्म हो, उन्हें अपने घर से लेकर कार्यस्थलों तक में उनका सम्मान हो, यही मेरी प्राथमिकता है। बाकी चर्चा होना, न होना मेरे लिए बिल्कुल आवश्यक नहीं है।
आपके कार्य को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी सराहा है। इसीलिए आपको दूसरी बार भी अवसर प्रदान किया है?
यह मेरे लिए खुशकिस्मती की बात है कि सीएम साहब ने मेरे काम को सराहा, मुझे दूसरा मौका दिया, इसके लिए भी मैं उनका धन्यवाद करती हूं।
राष्ट्रीय महिला आयोग से आपको कितना सहयोग मिलता है?
अगर सच कहूं, तो न के बराबर। वैसे मुझे किसी के खिलाफ कुछ नहीं कहना है। एक जिम्मेदारी मिली है, उसे सही से निभाने की कोशिश करती हूं। मेरे कार्य सम्भालने के बाद इसी आयोग के काम में 7 गुना की वृद्धि हुई है। हमने 52,473 शिकायतें सुनी हैं। दुष्कर्म की 35,606 शिकायतों में पीड़ित को कानूनी सहयोग उपलब्ध कराया है। 559 दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं को वित्तीय सहायता दिलाई है। लगभग ढाई लाख फोन कॉल 181 नम्बर पर मिले हैं। इन सब पर संज्ञान लिया गया है। मुझे लगता है कि अगर राष्ट्रीय महिला आयोग भी सक्रिय भूमिका निभाता तो देश की महिलाओं का ज्यादा भला होता।
आज लोकसभा में बिहार की दुष्कर्म पीड़ित बच्चीयों का मुद्दा उठा। दिल्ली में भी इस तरह की घटनाएं हुई थी। आप क्या कहेंगी?
बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि ये घटनाएं हमारे समाज के बीच घट रही हैं। लेकिन मैं कहना चाहूंगी कि इसके लिए जिम्मेदारी तय होनी चाहिये। निश्चित समय के भीतर दोषियों को दंड मिलना चाहिए। बिना तेज कार्यवाही के आप इस बुराई को खत्म नहीं कर सकते। मैंने छोटी बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों के खिलाफ मौत की सजा की मांग की, इसके लिए अनशन किया। मुझे खुशी है कि सरकार ने हमारी बात सुनी।
अगली पारी में आपके सामने क्या चुनौती होगी?
मैंने जिस काम को शुरू किया है, उसे लगातार आगे बढ़ाऊंगी। दिल्ली की सभी महिलाओं का अधिकार और सम्मान उन्हें दिलाना मेरी जिम्मेदारी है और मैं इसके लिए हमेशा प्रयासरत रहूंगी।
आपने राजघाट पर जो अनशन किया उसे राजनीतिक रूप से ज्यादा देखा गया। क्या कहेंगी?
मैंने आपसे कहा, कोई भी महिला कभी कमजोर नहीं होती। सिर्फ हमें अपने अधिकारों के लिए खड़े होना है। अनशन का उद्देश्य उन्हीं महिलाओं को हक़ दिलाना था जो किसी वजह से अपने अधिकारों के लिए खड़ी नहीं हो पातीं। मेरे अनशन के बाद ही बच्चियों से दुष्कर्म मामले में फांसी देने की बात आगे बढ़ी। मैं इसे ही अपनी उपलब्धि मानती हूं। बाकी जिसे जो कहना है, कहे।
चर्चा है कि आम आदमी पार्टी ने आपको राजनीतिक तौर पर और आगे बढ़ाने का फैसला लिया है। क्या आप लोकसभा चुनाव भी लड़ेंगी?
अभी मेरे सामने दिल्ली की महिलाओं की बड़ी जिम्मेदारी है। बाकी कुछ नहीं। ये सब चर्चा
साथी कार्यकर्ताओं के बीच आप की 'सिंघम' के नाम से मशहूर दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल 27 जुलाई को दूसरी बार आयोग का कार्यभार सम्भलेंगी। आयोग के अध्यक्ष के रूप में पहली पारी के अनुभवों और दूसरी पारी की चुनौतियों पर अमर उजाला से उनकी बातचीत हुई। पेश है वार्ता के प्रमुख अंश-
दिल्ली महिला आयोग के अध्यक्ष के रूप में आपका कार्यकाल बहुत चर्चित रहा। क्या कहेंगी?
देखिए, दिल्ली की महिलाओं की समस्या खत्म हो, उन्हें अपने घर से लेकर कार्यस्थलों तक में उनका सम्मान हो, यही मेरी प्राथमिकता है। बाकी चर्चा होना, न होना मेरे लिए बिल्कुल आवश्यक नहीं है।
आपके कार्य को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी सराहा है। इसीलिए आपको दूसरी बार भी अवसर प्रदान किया है?
यह मेरे लिए खुशकिस्मती की बात है कि सीएम साहब ने मेरे काम को सराहा, मुझे दूसरा मौका दिया, इसके लिए भी मैं उनका धन्यवाद करती हूं।
राष्ट्रीय महिला आयोग से आपको कितना सहयोग मिलता है?
अगर सच कहूं, तो न के बराबर। वैसे मुझे किसी के खिलाफ कुछ नहीं कहना है। एक जिम्मेदारी मिली है, उसे सही से निभाने की कोशिश करती हूं। मेरे कार्य सम्भालने के बाद इसी आयोग के काम में 7 गुना की वृद्धि हुई है। हमने 52,473 शिकायतें सुनी हैं। दुष्कर्म की 35,606 शिकायतों में पीड़ित को कानूनी सहयोग उपलब्ध कराया है। 559 दुष्कर्म पीड़ित महिलाओं को वित्तीय सहायता दिलाई है। लगभग ढाई लाख फोन कॉल 181 नम्बर पर मिले हैं। इन सब पर संज्ञान लिया गया है। मुझे लगता है कि अगर राष्ट्रीय महिला आयोग भी सक्रिय भूमिका निभाता तो देश की महिलाओं का ज्यादा भला होता।
आज लोकसभा में बिहार की दुष्कर्म पीड़ित बच्चीयों का मुद्दा उठा। दिल्ली में भी इस तरह की घटनाएं हुई थी। आप क्या कहेंगी?
बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि ये घटनाएं हमारे समाज के बीच घट रही हैं। लेकिन मैं कहना चाहूंगी कि इसके लिए जिम्मेदारी तय होनी चाहिये। निश्चित समय के भीतर दोषियों को दंड मिलना चाहिए। बिना तेज कार्यवाही के आप इस बुराई को खत्म नहीं कर सकते। मैंने छोटी बच्चियों के साथ दुष्कर्म करने वालों के खिलाफ मौत की सजा की मांग की, इसके लिए अनशन किया। मुझे खुशी है कि सरकार ने हमारी बात सुनी।
अगली पारी में आपके सामने क्या चुनौती होगी?
मैंने जिस काम को शुरू किया है, उसे लगातार आगे बढ़ाऊंगी। दिल्ली की सभी महिलाओं का अधिकार और सम्मान उन्हें दिलाना मेरी जिम्मेदारी है और मैं इसके लिए हमेशा प्रयासरत रहूंगी।
आपने राजघाट पर जो अनशन किया उसे राजनीतिक रूप से ज्यादा देखा गया। क्या कहेंगी?
मैंने आपसे कहा, कोई भी महिला कभी कमजोर नहीं होती। सिर्फ हमें अपने अधिकारों के लिए खड़े होना है। अनशन का उद्देश्य उन्हीं महिलाओं को हक़ दिलाना था जो किसी वजह से अपने अधिकारों के लिए खड़ी नहीं हो पातीं। मेरे अनशन के बाद ही बच्चियों से दुष्कर्म मामले में फांसी देने की बात आगे बढ़ी। मैं इसे ही अपनी उपलब्धि मानती हूं। बाकी जिसे जो कहना है, कहे।
चर्चा है कि आम आदमी पार्टी ने आपको राजनीतिक तौर पर और आगे बढ़ाने का फैसला लिया है। क्या आप लोकसभा चुनाव भी लड़ेंगी?
अभी मेरे सामने दिल्ली की महिलाओं की बड़ी जिम्मेदारी है। बाकी कुछ नहीं। ये सब चर्चा