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NIA: एनआईए ने 2008 से अब तक दर्ज हुए 692 केस, 172 मामलों में सुनाए गए निर्णयों में दोषसिद्धि दर 92.44 प्रतिशत

डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: राहुल कुमार Updated Tue, 02 Dec 2025 05:11 PM IST
सार

एनआईए की स्थापना राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम, 2008 के तहत 26/11 के मुंबई हमलों के बाद एक केंद्रीय आतंकवाद निरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी के रूप में की गई थी। एनआईए की स्थापना के बाद से लेकर अभी तक 692 केस दर्ज किए गए हैं।

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NIA registered 692 cases since 2008 delivered verdicts in 172 cases with a conviction rate of 92 per cent
NIA - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की स्थापना राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम, 2008 के तहत 26/11 के मुंबई हमलों के बाद एक केंद्रीय आतंकवाद निरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी के रूप में की गई थी। एनआईए की स्थापना के बाद से लेकर अभी तक 692 केस दर्ज किए गए हैं। 172 मामलों में सुनाए गए निर्णयों में दोषसिद्धि दर 92.44 प्रतिशत रही है। एनआईए अब एक विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित जाँच एजेंसी के रूप में उभरी है। भारत सरकार ने गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के प्रावधानों के अनुसार गैरकानूनी गतिविधियों में संलिप्त पाए गए विभिन्न संगठनों के विरुद्ध निरंतर और कड़ी कार्रवाई की है। पिछले पांच वर्षों में, सरकार ने 23 संगठनों को गैरकानूनी संघ घोषित किया है। 

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यह एजेंसी भारत की संप्रभुता, सुरक्षा और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों, अंतर्राष्ट्रीय संधियों से संबंधित मामलों आदि को प्रभावित करने वाले अपराधों की जाँच और अभियोजन करती है, जो एनआईए अधिनियम, 2008 की अनुसूची में निर्दिष्ट हैं। एनआईए की क्षमता बढ़ाने के लिए, राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित/खतरा करने वाले अपराधों की रोकथाम, जांच और अभियोजन में अपनी ज़िम्मेदारियों को कुशलतापूर्वक निभाते हुए इसे एक विश्वस्तरीय जाँच एजेंसी बनाने के उद्देश्य से कई कदम उठाए गए हैं। सरकार ने 'एनआईए (संशोधन) अधिनियम, 2019' के माध्यम से एनआईए को भारत के बाहर किए गए भारतीय नागरिकों या भारतीय हितों से जुड़े अनुसूचित अपराधों की जाँच करने का अधिकार दिया है। इसके अतिरिक्त, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, 1908, मानव तस्करी, साइबर आतंकवाद और शस्त्र अधिनियम, 1959 से संबंधित अपराधों की जाँच के लिए एनआईए के कार्यक्षेत्र का भी विस्तार किया गया है।
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देश के विभिन्न भागों में 21 शाखा कार्यालय स्थापित करके, जिनमें 02 क्षेत्रीय कार्यालय (गुवाहाटी और जम्मू में) और दिल्ली में मुख्यालय शामिल हैं, एनआईए का कार्यक्षेत्र पूरे भारत में विस्तारित किया गया है। वर्तमान में एनआईए के कुल 1901 स्वीकृत पद हैं, जिनमें से 769 पद पिछले पाँच वर्षों के दौरान स्वीकृत किए गए हैं। सरकार ने देश भर में 52 एनआईए विशेष न्यायालयों की स्थापना की है, जिनमें से रांची, जम्मू और मुंबई स्थित 03 एनआईए विशेष न्यायालयों को एनआईए द्वारा जाँचे गए अनुसूचित अपराधों की सुनवाई के लिए विशेष रूप से विशेष न्यायालयों के रूप में नामित किया गया है। बिग डेटा एनालिटिक्स को सक्षम बनाने और विभिन्न जाँच प्रक्रियाओं के स्वचालन और डिजिटलीकरण को सुगम बनाने के लिए एनआईए में 'राष्ट्रीय आतंकवाद डेटा संलयन एवं विश्लेषण केंद्र (एनटीडीएफएसी)' की स्थापना की गई है, जिससे पर्यवेक्षण सुदृढ़ होगा और दक्षता, स्थिरता व जवाबदेही बढ़ेगी। सरकार ने जनवरी, 2018 में एनआईए में आईएसआईएस जाँच अनुसंधान प्रकोष्ठ (आईआईआरसी) का गठन किया है। आतंकवाद के अन्य क्षेत्रों तक इसके दायरे का विस्तार करते हुए इसका नाम बदलकर आतंकवाद निरोधी अनुसंधान प्रकोष्ठ (सीटीआरसी) कर दिया है।

एनआईए में विशिष्ट प्रभाग, जैसे 'मानव तस्करी निरोधक प्रभाग (एएचटीडी)', 'साइबर आतंकवाद निरोधक प्रभाग (एसीटीडी)', 'वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) प्रकोष्ठ', 'वित्तीय विश्लेषण इकाई (एफएयू)' और कानूनी विशेषज्ञों से युक्त एक विशेष प्रकोष्ठ भी बनाया गया है। विदेशी क्षेत्राधिकार से संबंधित जाँचों को संभालने में भारत की क्षमता को संस्थागत बनाने के लिए, 2024 में एनआईए के भीतर एक समर्पित 'विदेशी जाँच अनुरोध इकाई (एफआईआरयू)' की स्थापना की गई है। एनआईए को आतंकी वित्तपोषण और उच्च गुणवत्ता वाले 'नकली भारतीय मुद्रा नोट (एफआईसीएन)' मामलों की जाँच के लिए केंद्रीय स्तर पर नोडल एजेंसी बनाया गया है, जिसके लिए एनआईए में एक 'आतंकवादी वित्तपोषण और नकली मुद्रा (टीएफएफसी) प्रकोष्ठ' का गठन किया गया है ताकि केंद्रित जाँच की जा सके।

दुनिया भर के देशों के साथ सहयोग करने के लिए, एनआईए ने 2022 के दौरान मंत्रिस्तरीय स्तरीय सम्मेलन 'आतंकवाद के लिए धन नहीं 'एनएमएफटी' के तीसरे संस्करण का आयोजन किया। उक्त सम्मेलन में 78 देशों और 16 बहुपक्षीय संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। पिछले 5 वर्षों के दौरान, एनआईए ने विदेशी एजेंसियों के सहयोग से एनआईए अधिकारियों और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की पुलिस, केंद्रीय पुलिस संगठनों (सीपीओ) और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के लिए 'क्षमता निर्माण प्रशिक्षण कार्यक्रम (सीबीटीपी)' आयोजित किए हैं। एनआईए ने पिछले 3 वर्षों के दौरान विदेशी अधिकारियों के लिए भी ऐसे कार्यक्रम आयोजित किए हैं।

एफआईसीएन से संबंधित सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए भारत और बांग्लादेश के बीच एक संयुक्त कार्य बल (जेटीएफ) का गठन किया गया है। एनआईए ने एफआईसीएन तस्करी से निपटने के लिए केंद्र और राज्य स्तर पर विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों (एलईए) के साथ-साथ बांग्लादेश और नेपाल सहित पड़ोसी देशों के पुलिस अधिकारियों के लिए क्षमता निर्माण कार्यक्रम आयोजित किए हैं।

राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित/खतरा करने वाले अपराधों की रोकथाम, जांच और अभियोजन में एनआईए की क्षमता को बढ़ाने के लिए, दुनिया की सर्वश्रेष्ठ आतंकवाद-रोधी एजेंसियों के कामकाज के मानदंडों के अनुरूप एनआईए की क्षमताओं को निर्धारित करने का प्रयास किया गया है। इन कदमों के परिणामस्वरूप, एनआईए की क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे यह एक प्रमुख जाँच एजेंसी के रूप में विकसित हुई है। भारत सरकार राष्ट्र की संप्रभुता, एकता, अखंडता और सुरक्षा के लिए हानिकारक किसी भी प्रकार की गैरकानूनी गतिविधियों के प्रति 'शून्य-सहिष्णुता नीति' अपनाती है।

भारत सरकार ने गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के प्रावधानों के अनुसार गैरकानूनी गतिविधियों में संलिप्त पाए गए विभिन्न संगठनों के विरुद्ध निरंतर और कड़ी कार्रवाई की है।
पिछले पाँच वर्षों में, सरकार ने 23 संगठनों को गैरकानूनी संघ घोषित किया है। 

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