प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को घोषणा कर दी और केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उनकी घोषणा को मंजूरी देते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की सिफारिश कर दी है। विपक्ष पहले से ही इन कानूनों को रद्द करने की मांग करता रहा है, इसलिए तीनों कृषि कानूनों के वापस होने में बाधा नहीं आएगी। लेकिन सरकार को इसके लिए किरकिरी झेलनी पड़ेगी। विपक्ष ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। संसद में लखीमपुर खीरी हिंसा समेत तमाम मुद्दे उठेंगे। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य सहयोगी दल फ्लोर साझा करेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने नेताओं को इसकी मंजूरी दे दी है।
कांग्रेस की पार्टी नेताओं के साथ बैठक
लोकसभा में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सरकार को घेरने और सवालों की बौछार के लिए अपनी टीम के साथ तैयार हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संसद के शीतकालीन सत्र को लेकर गुरुवार को पार्टी नेताओं के साथ बैठक की थी। शुक्रवार को भी संसद के शीतकालीन सत्र को लेकर कांग्रेस के नेताओं ने सहयोगियों के साथ मंथन किया है। पार्टी के एक पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हंगामा, हल्ला और संसद में सवाल खड़ा करके न चलने देने की रणनीति से अलग हटकर संसद के लिए जवाबदेह सरकार से सवाल पूछना ज्यादा उपयुक्त रहेगा।
केंद्र सरकार की तरफ से लोकसभा में राजनाथ सिंह संकट मोचक की भूमिका में रहेंगे। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कार्यालय तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए अपनी तैयारी कर रहा है। विधि एवं न्याय मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी का कहना है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने में कोई समस्या आने की उम्मीद कम है। क्योंकि विपक्ष भी चाहता है कि तीनों कृषि कानून वापस ले लिए जाएं।
एनसीपी, शिवसेना, तृणमूल, सपा दिखाएंगी तेवर
एनसीपी के शरद पवार केंद्र सरकार के कामकाज के तौर तरीकों से काफी नाराज चल रहे हैं। कृषि कानूनों को लेकर भी वह अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। समझा जा रहा है कि संसद के शीतकालीन सत्र में उनकी पार्टी एनसीपी सत्ता पक्ष को घेरने में मुख्य विपक्षी दल का पूरा साथ देगी। तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने भी अपना रुख साफ कर दिया है। बताते हैं कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस में संसद के सदन में संयुक्त रूप से मुद्दों को उठाने पर सहमति बन गई है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को देखते हुए समाजवादी पार्टी भी केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करने के लिए तैयार है।
शीत सत्र के लिए सरकार तैयार, राजनाथ सिंह के आवास पर हुआ मंथन
संसद के शीतकालीन सत्र में कृषि कानूनों पर विपक्ष के वार पर जवाबी हमले की रणनीति शुक्रवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर बनी। दो घंटे के मंथन के बाद तय हुआ कि कृषि कानूनों की वापसी के मुद्दे पर सरकार विपक्ष को किसानों को भड़काने और इस कानून के संबंध में दुष्प्रचार का आरोप लगाएगी।
बैठक में गृहमंत्री अमित शाह, सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने हिस्सा लिया। बैठक में कृषि कानून, क्रिप्टो करेंसी और सार्वजनिक बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 51 फीसदी से 26 फीसदी करने संबंधी बिल पर चर्चा हुई।
सरकार सत्र के पहले ही दिन सोमवार को कृषि कानूनों को वापस लेने वाला बिल पेश करेगी। कानून वापसी बिल पर चर्चा के दौरान सरकार इन कानून को लाने की जरूरत के बारे में जानकारी देगी। सरकार की ओर से कहा जाएगा कि कृषि क्षेत्र में सुधार सालों से लंबित था। हालांकि किसान संगठनों का एक वर्ग विपक्ष के दुष्प्रचार से प्रभावित हो गया।
विस्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को घोषणा कर दी और केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उनकी घोषणा को मंजूरी देते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की सिफारिश कर दी है। विपक्ष पहले से ही इन कानूनों को रद्द करने की मांग करता रहा है, इसलिए तीनों कृषि कानूनों के वापस होने में बाधा नहीं आएगी। लेकिन सरकार को इसके लिए किरकिरी झेलनी पड़ेगी। विपक्ष ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। संसद में लखीमपुर खीरी हिंसा समेत तमाम मुद्दे उठेंगे। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य सहयोगी दल फ्लोर साझा करेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने नेताओं को इसकी मंजूरी दे दी है।
कांग्रेस की पार्टी नेताओं के साथ बैठक
लोकसभा में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सरकार को घेरने और सवालों की बौछार के लिए अपनी टीम के साथ तैयार हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने संसद के शीतकालीन सत्र को लेकर गुरुवार को पार्टी नेताओं के साथ बैठक की थी। शुक्रवार को भी संसद के शीतकालीन सत्र को लेकर कांग्रेस के नेताओं ने सहयोगियों के साथ मंथन किया है। पार्टी के एक पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हंगामा, हल्ला और संसद में सवाल खड़ा करके न चलने देने की रणनीति से अलग हटकर संसद के लिए जवाबदेह सरकार से सवाल पूछना ज्यादा उपयुक्त रहेगा।
केंद्र सरकार की तरफ से लोकसभा में राजनाथ सिंह संकट मोचक की भूमिका में रहेंगे। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कार्यालय तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए अपनी तैयारी कर रहा है। विधि एवं न्याय मंत्रालय के संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी का कहना है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने में कोई समस्या आने की उम्मीद कम है। क्योंकि विपक्ष भी चाहता है कि तीनों कृषि कानून वापस ले लिए जाएं।
एनसीपी, शिवसेना, तृणमूल, सपा दिखाएंगी तेवर
एनसीपी के शरद पवार केंद्र सरकार के कामकाज के तौर तरीकों से काफी नाराज चल रहे हैं। कृषि कानूनों को लेकर भी वह अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं। समझा जा रहा है कि संसद के शीतकालीन सत्र में उनकी पार्टी एनसीपी सत्ता पक्ष को घेरने में मुख्य विपक्षी दल का पूरा साथ देगी। तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ने भी अपना रुख साफ कर दिया है। बताते हैं कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस में संसद के सदन में संयुक्त रूप से मुद्दों को उठाने पर सहमति बन गई है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 को देखते हुए समाजवादी पार्टी भी केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा करने के लिए तैयार है।
शीत सत्र के लिए सरकार तैयार, राजनाथ सिंह के आवास पर हुआ मंथन
संसद के शीतकालीन सत्र में कृषि कानूनों पर विपक्ष के वार पर जवाबी हमले की रणनीति शुक्रवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के आवास पर बनी। दो घंटे के मंथन के बाद तय हुआ कि कृषि कानूनों की वापसी के मुद्दे पर सरकार विपक्ष को किसानों को भड़काने और इस कानून के संबंध में दुष्प्रचार का आरोप लगाएगी।
बैठक में गृहमंत्री अमित शाह, सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने हिस्सा लिया। बैठक में कृषि कानून, क्रिप्टो करेंसी और सार्वजनिक बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 51 फीसदी से 26 फीसदी करने संबंधी बिल पर चर्चा हुई।
सरकार सत्र के पहले ही दिन सोमवार को कृषि कानूनों को वापस लेने वाला बिल पेश करेगी। कानून वापसी बिल पर चर्चा के दौरान सरकार इन कानून को लाने की जरूरत के बारे में जानकारी देगी। सरकार की ओर से कहा जाएगा कि कृषि क्षेत्र में सुधार सालों से लंबित था। हालांकि किसान संगठनों का एक वर्ग विपक्ष के दुष्प्रचार से प्रभावित हो गया।