मुद्दों की गहमागहमी के बीच सोमवार से संसद के शीतकालीन सत्र का आगाज होगा। पहले ही दिन कृषिमंत्री नरेंद्रसिंह तोमर तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने वाला बिल लोकसभा में पेश करेंगे। विपक्ष ने भी किसान आंदोलन, महंगाई, पेगासस जासूसी, निजीकरण जैसे मुद्दों पर तीखे तेवर अपनाने के संकेत दिए हैं। वहीं, सरकार की पलटवार की रणनीति है। कृषि कानूनों को निरस्त करने वाला बिल पेश करते समय कृषिमंत्री तोमर कानूनों को छोटे किसानों के हक में बताएंगे।
सरकार तीन नए कानून को निरस्त करने, क्रिप्टोकरेंसी और आधिकारिक मुद्रा विनियमन समेत 26 बिल पेश करेगी। कृषि कानूनों की वापसी वाला बिल पास कराना प्राथमिकता है। भाजपा ने सभी सांसदों को सदन में उपस्थित रहने का व्हिप जारी किया है। विपक्ष ने खासतौर पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी देने, किसान आंदोलन के दौरान हुई मौतों पर मुआवजा देने, पेट्रोल-डीजल सहित जरूरी वस्तुओं की कीमतें बढ़ने, पेगासस जासूसी, बेतहाशा निजीकरण और सीमा सुरक्षा बल अधिकार क्षेत्र का दायरा बढ़ाने जैसे मामले को जोरशोर से उठाने की रणनीति बनाई है।
चर्चा को तैयार सरकार...
सर्वदलीय बैठक में 31 दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए। कई मुद्दों पर चर्चा की मांग की। सरकार सभी मुद्दों पर नियमों के अनुरूप चर्चा के लिए तैयार है। उम्मीद है विपक्ष सत्र चलने देने में सहयोग करेगा। -प्रह्लाद जोशी, संसदीय कार्यमंत्री
सर्वदलीय बैठक में शामिल हुए 31 दल
सर्वदलीय बैठक में 31 दलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सभी दलों ने कृषि कानून के संदर्भ में एक स्वर में व्यापक चर्चा कराने की मांग की। तृणमूल कांग्रेस ने सीमा सुरक्षा बल का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के फैसले पर संघीय ढांचे को कमजोर करने का आरोप लगाया। पार्टी ने महिला आरक्षण बिल पेश किए जाने की भी मांग की। वहीं, अधीर रंजन चौधरी ने स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिख आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के लिए शोक प्रस्ताव पारित करने की मांग की।
संसद के सोमवार से शुरू होने वाले शीत सत्र से पहले रविवार को हुई एनडीए की बैठक में सरकार को नीतिगत मामलों के साथ सामाजिक न्याय के मामले में भी सहयोगियों की नसीहत सुनने को मिली। नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने जहां नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को वापस लेने की मांग की वहीं जदयू, अपना दल, आरपीआई जैसे दल जातिगत जनगणना के मामले में सरकार से स्पष्ट रुख अपनाने की मांग की।
पीएम मोदी व अमित शाह की अनुपस्थिति में शीतकालीन सत्र पर रणनीति बनाने के लिए हुई एनडीए की बैठक के बाद एनपीपी की नेता अगाथा संगमा ने कहा, मैंने सीएए को वापस लेने की मांग रखी है। इस कानून के कारण पूर्वोत्तर में असमंजस की स्थिति बनी हुई है। वहीं जदयू, अपना दल और आरपीआई ने सरकार से जातिगत जनगणना मामले में स्पष्ट रुख अपनाने की मांग की। अपना दल की अनुप्रिया पटेल ने कहा, सरकार नीतिगत स्तर पर इसकी विरोधी नहीं है।
अगर कुछ समस्या है तो इस मामले में एनडीए के घटक दलों की विशेष बैठक बुलाई जानी चाहिए। इस मुद्दे पर देश को सरकार के स्पष्ट रुख का पता चलना चाहिए। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी इसी तरह की मांग की। बैठक की अध्यक्षता कर रहे रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सीएए की वापसी पर तो कुछ नहीं कहा, मगर जातिगत जनगणना संबंधी मांग पर विचार करने का आश्वासन दिया।
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मुद्दों की गहमागहमी के बीच सोमवार से संसद के शीतकालीन सत्र का आगाज होगा। पहले ही दिन कृषिमंत्री नरेंद्रसिंह तोमर तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने वाला बिल लोकसभा में पेश करेंगे। विपक्ष ने भी किसान आंदोलन, महंगाई, पेगासस जासूसी, निजीकरण जैसे मुद्दों पर तीखे तेवर अपनाने के संकेत दिए हैं। वहीं, सरकार की पलटवार की रणनीति है। कृषि कानूनों को निरस्त करने वाला बिल पेश करते समय कृषिमंत्री तोमर कानूनों को छोटे किसानों के हक में बताएंगे।
सरकार तीन नए कानून को निरस्त करने, क्रिप्टोकरेंसी और आधिकारिक मुद्रा विनियमन समेत 26 बिल पेश करेगी। कृषि कानूनों की वापसी वाला बिल पास कराना प्राथमिकता है। भाजपा ने सभी सांसदों को सदन में उपस्थित रहने का व्हिप जारी किया है। विपक्ष ने खासतौर पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी देने, किसान आंदोलन के दौरान हुई मौतों पर मुआवजा देने, पेट्रोल-डीजल सहित जरूरी वस्तुओं की कीमतें बढ़ने, पेगासस जासूसी, बेतहाशा निजीकरण और सीमा सुरक्षा बल अधिकार क्षेत्र का दायरा बढ़ाने जैसे मामले को जोरशोर से उठाने की रणनीति बनाई है।
चर्चा को तैयार सरकार...
सर्वदलीय बैठक में 31 दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए। कई मुद्दों पर चर्चा की मांग की। सरकार सभी मुद्दों पर नियमों के अनुरूप चर्चा के लिए तैयार है। उम्मीद है विपक्ष सत्र चलने देने में सहयोग करेगा।
-प्रह्लाद जोशी, संसदीय कार्यमंत्री
सर्वदलीय बैठक में शामिल हुए 31 दल
सर्वदलीय बैठक में 31 दलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सभी दलों ने कृषि कानून के संदर्भ में एक स्वर में व्यापक चर्चा कराने की मांग की। तृणमूल कांग्रेस ने सीमा सुरक्षा बल का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने के फैसले पर संघीय ढांचे को कमजोर करने का आरोप लगाया। पार्टी ने महिला आरक्षण बिल पेश किए जाने की भी मांग की। वहीं, अधीर रंजन चौधरी ने स्पीकर ओम बिरला को पत्र लिख आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के लिए शोक प्रस्ताव पारित करने की मांग की।