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लाल किला विस्फोट: क्या सीमा पार से आईएसआई और मुनीर की सेना ने चुनौती दे दी है?

Shashidhar Pathak शशिधर पाठक
Updated Wed, 12 Nov 2025 09:07 PM IST
सार

जनरल मुनीर की सेना दुनिया में संदेश देना चाहती है कि भारत में आतंकी हमला, भारतीय लोगों की नाराजगी का नतीजा है और इसका पाकिस्तान से कोई लेना देना नहीं है। भारत आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी निभा नहीं पाता और दोष पाकिस्तान पर मढ़ता है।

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Red Fort blast: Has ISI and Munir's army posed a challenge from across border
दिल्ली में हुए धमाके में जले वाहन - फोटो : पीटीआई (फाइल)
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विस्तार
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10 दिसंबर को दिल्ली में हुए कार विस्फोट ने भारतीय खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के पैरों तले जमीन खींच ली है। कहा जा रहा है कि यह एक बड़ी साजिश का हिस्सा है। सवाल उठ रहा है कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और वहां के सेना प्रमुख जनरल मुनीर ने दबे पांव चुनौती दे दी है?
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पूर्व एयर वाइस माशर्ल एनबी सिंह कहते हैं कि लाल किला में विस्फोट एक बड़ी साजिश का हिस्सा प्रतीत हो रहा है। अभी जो सूचना आ रही है, उसमें आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का स्लीपिंग सेल चर्चा में है। इसे अप्रैल 2025 में‘बायसरन घाटी’ में आतंकी हमला और आपरेशन सिन्दूर से जोड़कर देखा जा रहा है। पूर्व वायुसेना के अधिकारी का कहना है कि ‘आपरेशन सिन्दूर’ में भारतीय सैन्यबलों ने जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने पर हमला किया था। इसलिए लाल किला में 10 नवंबर को हुए विस्फोट को काफी गंभीरता से लेना होगा।
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लाल किला विस्फोट की पीछे क्या हो सकती है पाकिस्तान की मंशा?
20 अप्रैल 2025 को पहलगाम की बायसरन घाटी में आतंकी हमला हुआ था। भारत ने इसके पीछे पाकिस्तान की जमीन से चल रहे आतंकी संगठनों का हाथ बताया था। भारत का आरोप था कि पाकिस्तान आतंकियों को पनाह देता है और सीमापार की घुसपैठ कराता है। पाकिस्तान ने भारत के आरोप से पल्ला झाड़ लिया था। उसने इसे भारत की जमीन पर भारत के लोगों द्वारा और भारतीयों पर किया हमला बताया था। देश के रणनीतिक और सामरिक मामलों के जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान दुनिया में यही तथ्य प्रसारित करना चाहता है। लाल किला विस्फोट देश की राजधानी में हुआ है। इसमें भारतीय जांच एजेंसियां जिन सूत्रधारों तक पहुंच रही हैं, सभी भारतीय हैं। ऐसा माना जा रहा है कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ हो सकता है। इसके बहाने जनरल मुनीर की सेना दुनिया में संदेश देना चाहती है कि भारत में आतंकी हमला, भारतीय लोगों की नाराजगी का नतीजा है और इसका पाकिस्तान से कोई लेना देना नहीं है। भारत आंतरिक सुरक्षा की जिम्मेदारी निभा नहीं पाता और दोष पाकिस्तान पर मढ़ता है।

कारगिल से मुंबई पर आतंकी हमले ने खोल दिया था पाकिस्तान का चिट्ठा
कारगिल में पाकिस्तान के सैनिक घुसपैठियों के भेष में बैठ गए थे। भारत को घुसपैठियों को भगाने के लिए क्षेत्रीय युद्ध जैसे हालात का सामना करना पड़ा था। इसके बाद पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन के गुर्गे भारतीय विमान का अपहरण करके कंधार (अफगानिस्तान) ले गए थे। यात्री सहित विमान की रिहाई के लिए भारत को जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर समेत तीन आतंकियों को छोड़ना पड़ा था। भारत की संसद पर आतंकी हमला हुआ था और भारत ने पाकिस्तान को करारा जवाब देने के लिए ‘आपरेशन पराक्रम’की शुरुआत की थी। इसके बाद पाकिस्तान की जमीन से उसकी सह पर चलने वाले आतंकी संगठनों ने मुंबई में 26 नवंबर 2008 को आतंकी हमले को अंजाम दिया था। इसमें सुरक्षा बलों ने पाकिस्तान के नागरिक आतंकी आमिर अजमल कसाब को जिंदा पकड़ लिया था। पहली बार भारत को पाकिस्तान की सह पर संचालित होने वाले आतंकी संगठन के स्पष्ट सबूत मिले। भारत ने इसके तथ्यों को पाकिस्तान के साथ-साथ दुनिया से साझा किया। आतंकी संगठनों पर प्रतिबंध की आवाज उठाई और आतंक को सह देने वाले पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर मिलने वाली अंतरराष्ट्रीय मदद को बंद करने पर जोर दिया। विदेश और रक्षा मामलों के वरिष्ठ पत्रकार रंजीत कुमार कहते हैं कि इसके बाद पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक मदद और अमेरिका से मिलने वाली सैन्य मदद के मामले में बड़ा झटका लगा। नतीजतन पाकिस्तान ने अपने हित में अमेरिका के बजाय चीन को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया।

‘आपरेशन सिन्दूर’ से पाकिस्तान ने बदली रणनीति, जनरल मुनीर और शाहबाज खेल रहे हैं नया खेल
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दौर में भारत और अमेरिका का रिश्ता कठिन दौर से गुजर रहा है। पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष फील्ड मार्शल जनरल मुनीर ने अमेरिका के साथ रिश्ते में नए आयाम को जोड़ा है। राष्ट्रपति ट्रंप ने उन्हें ह्वाइट हाऊस में लंच पर आमंत्रित किया था। इसमें जनरल मुनीर ने राष्ट्रपति ट्रंप को भारत-पाकिस्तान के बीच में युद्ध रुकवाने का श्रेय देते हुए नोबेल पुरस्कार देने की मांग कर दी। नोबल पुरस्कार की घोषणा हो जाने के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने भी अगला नोबल शांति पुरस्कार ट्रंप को देने की मांग दोहरा दी। माना जा रहा है कि इस समय पाकिस्तान नया कूटनीतिक खेल खेल रहा है। पाकिस्तान के इस खेल में उसे चीन, तुर्किए का साथ मिल सकता है। ऐसा माना जा रहा है कि पाकिस्तान के पीठ पीछे ‘आतंक का छद्म खेल’ खेलने वाले रणनीतिकार आतंकवाद के पुराने ढर्रे पर लौटने का षड़यंत्र रच सकते हैं।

यह कडि़यां जोड़ना जरूरी है
महीना नवंबर का चल रहा है। इसी महीने में मुंबई में आतंकी हमला हुआ था। उसमें जैश, लश्कर के आतंकियों का हाथ था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पहलगाम की ‘बायसरन घाटी’ में हुए आतंकी हमले को भारत पर हमला करार दिया था। भारत के शब्दों में ‘आपरेशन सिन्दूर’ अभी जारी है। भारत ने साफ कहा है कि उस पर कोई भी आतंकी हमला हुआ तो वह इसका करारा और मुंहतोड़ जवाब देगा। भारत ने आतंकी हमले को ‘देश के खिलाफ युद्ध’ माना था। अब लौट आइए लाल किला में विस्फोट की घटना पर। 7-8 नवंबर के दरम्यान कुपवाड़ा के केरन सेक्टर में भारतीय सुरक्षा बलों ने आपरेशन पिंपल चलाकर आतंकियों की घुसपैठ नाकाम की। दो आतंकी मारे गए। आमतौर पर अक्टूबर नवंबर में आतंकी घुसपैठ बढ़ जाती है। इसके ठीक बाद दिल्ली से सटे फरीदाबाद में भारी मात्रा (2900 किग्रा) में अमोनियम नाइट्रेट और हथियार पकड़े गए। इसमें सफेद पोश आतंकियों का एक नेटवर्क सामने आया। इसके पीछे कुख्यात और दुर्दान्त आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद से इसके तार जुड़े हैं। सुरक्षा और खुफिया एजेंसियां फरीदाबाद के इस नेटवर्क का पता लगाने, ध्वस्त करने में जुटी थी कि अचानक 10 नवंबर को शाम 6 बजकर 52 मिनट पर लाल किला के सामने विस्फोट ने सबकी नींद उड़ा दी।

बड़े आतंकी हमले से बच गए
पूर्व एयर मार्शल एनबी सिंह कहते हैं कि आतंकी संगठन किसी बड़े और ‘श्रंखलाबद्ध हमले’ को अंजाम देना चाहते थे। खुफिया एजेंसी के पूर्व अधिकारी भी इस संभावना से इनकार नहीं कर रहे हैं। सूत्र का कहना है कि फरीदाबाद तक इतनी मात्रा में विस्फोटक, हथियार आने का मतलब क्या है? फिर इसमें पढ़े-लिखे और डाक्टर, इंजीनियर सामने आ रहे हैं। आतंकवाद पर लंबे समय तक काम कर चुके एक अन्य पूर्व अधिकारी का कहना है कि आतंकी किसी बड़ी योजना में लगे थे।  वारदात को अंजाम देने से पहले उन तक सुरक्षा एजेंसियों के पहुंचने के बाद वह कुछ हड़बड़ी में आ गए। एनबी सिंह कहते हैं जल्दबाजी में लाल किला के पास विस्फोट की घटना को अंजाम दे दिया गया।  

भारत के सामने क्या है चुनौती?
रंजीत कुमार के मुताबिक पाकिस्तान की सह पर आतंकी हमले के पुराने ढर्रे की तरफ जा सकता है। पाकिस्तान को अमेरिका का साथ मिलने के कारण वहां की खुफिया एजेंसी आईएसआई  इस तरह की गतिविधियों को बढ़ा सकती है। भारत आतंकी हमले को लेकर सर्जिकल स्ट्राइक-1, आपरेशन बालाकोट कर चुका है। आपरेशन सिन्दूर चल रहा है। ऐसे में सीमापार के दहशतगर्द और आस्थिरकारी ताकतें भारत में आतंकी हमले को अंजाम दिलाकर भारत चुनौती बढ़ा सकती हैं।


 
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