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RSS: 'अंग्रेजों ने झूठ बोला कि एकता नहीं थी', गांधी की किताब का जिक्र कर मोहन भागवत बोले- देश पहले से ही एकजुट

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मुंबई Published by: हिमांशु चंदेल Updated Tue, 02 Dec 2025 04:40 PM IST
सार

Mohan Bhagwat Speech: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में कहा कि महात्मा गांधी ने 'हिंद स्वराज' में लिखा था कि अंग्रेजों ने यह झूठ फैलाया कि भारत उनके आने से पहले एकजुट नहीं था। साथ ही उन्होंने वसुधैव कुटुंबकम को असली वैश्वीकरण बताया।

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RSS Chief Mohan Bhagwat speech British false narrative India unity Mahatma Gandhi Hind Swaraj Nagpur book fest
मोहन भागवत, आरएसएस प्रमुख - फोटो : अमर उजाला ग्राफिक
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विस्तार
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा है कि महात्मा गांधी ने अपने लेखन में साफ तौर पर बताया था कि अंग्रेजों ने भारत के बारे में यह झूठी कहानी फैलाई कि यहां उनके आने से पहले एकता नहीं थी। भागवत ने कहा कि ब्रिटिश शासन ने भारत की एकता और उसकी प्राचीन राष्ट्र अवधारणा पर संदेह पैदा करने की कोशिश की, जबकि देश प्राचीन काल से ही सांस्कृतिक रूप से एकजुट रहा है।

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नागपुर में राष्ट्रीय पुस्तक महोत्सव में बोलते हुए भागवत ने महात्मा गांधी की किताब 'हिंद स्वराज' का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि 1908 में लिखी गई इस पुस्तक में गांधी ने स्पष्ट कहा था कि अंग्रेज हमेशा यही झूठा नैरेटिव फैलाते थे कि भारत पहले एक राष्ट्र नहीं था और इसे एक राष्ट्र बनने में सदियों लगेंगी। भागवत ने बताया कि गांधी के अनुसार भारत सांस्कृतिक रूप से पहले से एक था और इसी एकता के चलते अंग्रेज यहां शासन स्थापित कर पाए।
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भारत की राष्ट्र अवधारणा पश्चिम से अलग
भागवत ने कहा कि भारत का राष्ट्र का विचार बहुत पुराना, नैसर्गिक और पश्चिमी नेशन-स्टेट मॉडल से बिलकुल अलग है। उन्होंने जोर दिया कि भारत की संस्कृति विवादों से दूर रहने और एकता को बढ़ावा देने वाली रही है। उनके अनुसार दुनिया के अन्य हिस्सों में संघर्ष और टकराव के बीच राष्ट्रवाद की अवधारणा विकसित हुई, लेकिन भारत में राष्ट्र की भावना लोगों, परंपराओं और प्रकृति के बीच गहरे संबंधों से बनी।

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राष्ट्रवाद नहीं, राष्ट्रीयता सही...
भागवत ने कहा कि भारत में राष्ट्रीयता शब्द का प्रयोग सही है, जबकि राष्ट्रवाद कई देशों में विनाशकारी साबित हुआ है। उन्होंने कहा कि अत्यधिक राष्ट्रीय गर्व ने दो विश्व युद्धों को जन्म दिया, इसलिए नेशनलिज्म शब्द को लेकर दुनिया में भय है। भागवत ने कहा कि भारत विभिन्न शासकों के शासन काल और विदेशी आक्रमणों के दौरान भी राष्ट्र की भावना को बनाए रखता आया है। भारत का राष्ट्रभाव अहंकार नहीं, बल्कि आपसी जुड़ाव और सहअस्तित्व से जन्मा है।

वसुधैव कुटुंबकम और वैश्वीकरण पर विचार
भागवत ने कहा कि भारत में वैश्वीकरण का विचार शुरू से ही मौजूद रहा है, जिसे वसुधैव कुटुंबकम कहा जाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान वैश्वीकरण केवल भ्रम है और असली वैश्वीकरण अभी आना बाकी है, जिसे भारत आगे बढ़ाएगा। भागवत ने कहा कि भारत वैश्विक बाजार नहीं बनाएगा, बल्कि पूरी दुनिया को एक परिवार की तरह जोड़ने का काम करेगा। उनके अनुसार भारत की सांस्कृतिक सोच ने हमेशा लोगों को जोड़ने का प्रयास किया है, न कि विभाजन का।

AI का ज्ञान और युवाओं को संदेश
युवा लेखकों से संवाद में भागवत ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) को रोका नहीं जा सकता, लेकिन मनुष्य को इसका मालिक बनकर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि एआई का इस्तेमाल मानवता के लिए होना चाहिए, न कि इसके उलट। भागवत ने ज्ञान की जगह विवेक को अधिक महत्वपूर्ण बताया और कहा कि सच्चा संतोष दूसरों की मदद करने से मिलता है। उन्होंने कहा कि धर्म, भाषा, खानपान, परंपराओं और राज्यों की विविधता के बावजूद भारत हमेशा एक रहा है, क्योंकि यही इस देश की मूल संस्कृति है।


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