कभी हिंदुत्व की बड़ी झंडाबरदार पार्टी रही शिवसेना को अब अपनी उसी हिंदुत्ववादी पार्टी की छवि को वापस पाने के लिए बहुत कुछ करना पड़ रहा है। अयोध्या में राम मंदिर के दर्शन करने के साथ ही पार्टी ने अब कश्मीरी हिंदुओं के माध्यम से न सिर्फ भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोला है बल्कि कश्मीरी हिंदुओं के लिए किए जाने वाले केंद्र सरकार के प्रयासों को एक बार फिर से रिव्यू करने के लिए कहा है। शिवसेना की ओर से यह बयान तब आया है जब बीती शाम को कश्मीर में कश्मीरी पंडित की हत्या कर दी गई।
संजय राउत ने केंद्र सरकार को घेरा
शिवसेना सांसद संजय राउत ने केंद्र सरकार से सवाल करते हुए पूछा है कि बताएं पिछले 7 साल में घाटी में कितने कश्मीरी पंडितों को मौत के घाट उतार दिया गया। संजय राउत ने टारगेट किलिंग पर न सिर्फ केंद्र सरकार बल्कि देश के गृह मंत्री अमित शाह से भी सवालों की झड़ी लगा दी है। कश्मीरी पंडितों के लिए शिवसेना की ओर से उठाई जाने वाली आवाज को राजनैतिक हलकों में अलग-अलग नजरियों से देखा जा रहा है। शिवसेना के नेताओं का कहना है कि जिस तरीके से भारतीय जनता पार्टी कश्मीर में अपने किए जाने वाले प्रयासों को उपलब्धियों के तौर पर गिना रही है तो यह सवाल उठना तब और लाजमी हो जाता है जब घाटी में लगातार कश्मीरी पंडितों पर हमले हो रहे हो। शिवसेना सांसद संजय राउत कहते हैं कि केंद्र सरकार एक और दो कश्मीरी पंडितों को घाटी में बसाने की बात करती है वहीं दूसरी ओर जो घाटी में कश्मीरी पंडित रह रहे हैं उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी तक नहीं उठा पा रही है। राहुल ने सवालों की झड़ी लगाते हुए कहा कि इस तरीके से कश्मीर में रह रहे कश्मीरी पंडितों की हत्याएं हो रही है उससे केंद्र सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती।
महाराष्ट्र की राजनीति में हिंदुत्व की असली लड़ाई
कश्मीर मैं हो रही टारगेट किलिंग और कश्मीरी पंडितों की बीते कुछ दिनों में हुई हत्याओं पर जिस तरीके से शिवसेना ने सवाल उठाए हैं उससे राजनैतिक विश्लेषक तो यही मान रहे हैं कि शिवसेना अपनी कट्टर हिंदुत्ववादी छवि को चमकाने के लिए केंद्र सरकार पर ना सिर्फ हमलावर हो रही है बल्कि आगे की रणनीति भी बना रही है। राजनीतिक विश्लेषक एचडी पाणिकर कहते हैं कि जिस तरीके से महाराष्ट्र की राजनीति में अचानक महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के राज ठाकरे ने हिंदुत्ववादी छवि को अपनी ओर मोड़ना शुरू किया है तभी से शिवसेना और ज्यादा आक्रामक होने लगी है। पाणिकर के मुताबिक लड़ाई महाराष्ट्र की राजनीति में असली हिंदुत्व की है। इसीलिए अयोध्या से लेकर मामला कश्मीर तक पहुंच रहा है। वो कहते हैं कि कभी बाला साहब ठाकरे के राज में शिवसेना सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि कश्मीरी पंडितों के लिए भी आवाज बुलंद की जाती रही है।
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि बीते कुछ समय से जिस तरीके से राज ठाकरे ने कट्टर हिंदुत्ववादी राजनीति को आगे बढ़ाना शुरू किया है शिवसेना के लिए वहीं से मुसीबतें भी शुरू हो गई हैं। वो कहते हैं कि राज ठाकरे की कट्टर हिंदुत्ववादी मोड की अति सक्रियता के चलते हैं शिवसेना ऐसा कोई मौका अपने हाथ से नहीं जाने देना चाहती है जिसमें उसकी हिंदुत्ववादी छवि पर आंच आए। यही वजह है कि शिवसेना राम, हनुमान और अयोध्या की शरण में जा पहुंची है। महाराष्ट्र में जिस तरीके से राज ठाकरे ने मस्जिदों से लाउडस्पीकर को हटाने की मांग की और शिवसेना सरकार का जो रिस्पॉन्स आया उससे राज ठाकरे अपनी छवि को और चमकाने में लग गए। महाराष्ट्र की राजनीति को करीब से समझने वाले राजनीतिक विश्लेषको का मानना है कि शिवसेना इसी वजह से न सिर्फ अयोध्या बल्कि कश्मीरी पंडितों तक के मामलों में अपना हस्तक्षेप कर उनकी लड़ाई को लड़ने जैसी बात करने लगी है।
शिवसेना का हिंदुत्ववादी एजेंडा
महाराष्ट्र में शिवसेना से जुड़े वरिष्ठ नेता कहते हैं कि हिंदुत्ववादी एजेंडा शिवसेना से ना कभी दूर हुआ था ना कभी दूर होगा और कहते हैं कि महाराष्ट्र में नवनिर्माण सेना के नेता राज ठाकरे भारतीय जनता पार्टी की बी विंग के तौर पर काम रहे हैं। लेकिन महाराष्ट्र और देश के लोगों को पता है कि उनकी पार्टी बाला साहब ठाकरे के सिखाए गए और बताए गए मार्गों पर ही चलेगी। शिवसेना के नेता कहते हैं कि अगर केंद्र सरकार कश्मीर में हिंदुओं को बचाने की बात करती है तो उसको इस बात का जवाब भी देना होगा कि बीते सात सालों में कश्मीरी पंडितों की कितनी हत्याएं हुई है। कश्मीर में रह रहे कश्मीरी पंडित सुरक्षित क्यों नहीं है। वो कहते हैं यही सवाल तो शिवसेना के सांसद संजय राउत ने केंद्र सरकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से किया है।
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कभी हिंदुत्व की बड़ी झंडाबरदार पार्टी रही शिवसेना को अब अपनी उसी हिंदुत्ववादी पार्टी की छवि को वापस पाने के लिए बहुत कुछ करना पड़ रहा है। अयोध्या में राम मंदिर के दर्शन करने के साथ ही पार्टी ने अब कश्मीरी हिंदुओं के माध्यम से न सिर्फ भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोला है बल्कि कश्मीरी हिंदुओं के लिए किए जाने वाले केंद्र सरकार के प्रयासों को एक बार फिर से रिव्यू करने के लिए कहा है। शिवसेना की ओर से यह बयान तब आया है जब बीती शाम को कश्मीर में कश्मीरी पंडित की हत्या कर दी गई।
संजय राउत ने केंद्र सरकार को घेरा
शिवसेना सांसद संजय राउत ने केंद्र सरकार से सवाल करते हुए पूछा है कि बताएं पिछले 7 साल में घाटी में कितने कश्मीरी पंडितों को मौत के घाट उतार दिया गया। संजय राउत ने टारगेट किलिंग पर न सिर्फ केंद्र सरकार बल्कि देश के गृह मंत्री अमित शाह से भी सवालों की झड़ी लगा दी है। कश्मीरी पंडितों के लिए शिवसेना की ओर से उठाई जाने वाली आवाज को राजनैतिक हलकों में अलग-अलग नजरियों से देखा जा रहा है। शिवसेना के नेताओं का कहना है कि जिस तरीके से भारतीय जनता पार्टी कश्मीर में अपने किए जाने वाले प्रयासों को उपलब्धियों के तौर पर गिना रही है तो यह सवाल उठना तब और लाजमी हो जाता है जब घाटी में लगातार कश्मीरी पंडितों पर हमले हो रहे हो। शिवसेना सांसद संजय राउत कहते हैं कि केंद्र सरकार एक और दो कश्मीरी पंडितों को घाटी में बसाने की बात करती है वहीं दूसरी ओर जो घाटी में कश्मीरी पंडित रह रहे हैं उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी तक नहीं उठा पा रही है। राहुल ने सवालों की झड़ी लगाते हुए कहा कि इस तरीके से कश्मीर में रह रहे कश्मीरी पंडितों की हत्याएं हो रही है उससे केंद्र सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकती।
महाराष्ट्र की राजनीति में हिंदुत्व की असली लड़ाई
कश्मीर मैं हो रही टारगेट किलिंग और कश्मीरी पंडितों की बीते कुछ दिनों में हुई हत्याओं पर जिस तरीके से शिवसेना ने सवाल उठाए हैं उससे राजनैतिक विश्लेषक तो यही मान रहे हैं कि शिवसेना अपनी कट्टर हिंदुत्ववादी छवि को चमकाने के लिए केंद्र सरकार पर ना सिर्फ हमलावर हो रही है बल्कि आगे की रणनीति भी बना रही है। राजनीतिक विश्लेषक एचडी पाणिकर कहते हैं कि जिस तरीके से महाराष्ट्र की राजनीति में अचानक महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के राज ठाकरे ने हिंदुत्ववादी छवि को अपनी ओर मोड़ना शुरू किया है तभी से शिवसेना और ज्यादा आक्रामक होने लगी है। पाणिकर के मुताबिक लड़ाई महाराष्ट्र की राजनीति में असली हिंदुत्व की है। इसीलिए अयोध्या से लेकर मामला कश्मीर तक पहुंच रहा है। वो कहते हैं कि कभी बाला साहब ठाकरे के राज में शिवसेना सिर्फ महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि कश्मीरी पंडितों के लिए भी आवाज बुलंद की जाती रही है।