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सीजेआई पर जूता उछालने का मामला: दिल्ली हाईकोर्ट ने घटना की निंदा की, कहा- उचित कदम उठाए जाने चाहिए
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: राहुल कुमार
Updated Wed, 12 Nov 2025 04:11 PM IST
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नासिक के कार्यक्रम में चीफ जस्टिस बीआर गवई
- फोटो : पीटीआई
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दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर एक वकील द्वारा जूता फेंके जाने की निंदा की और कहा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उचित कदम उठाए जाने चाहिए। हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि इस घटना से न केवल बार के सदस्यों को बल्कि सभी को ठेस पहुंची है। पीठ ने कहा कि वह याचिकाकर्ता की चिंताओं को शायद अधिक तीव्रता से साझा करती है।
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मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि हम आपकी चिंता से सहमत हैं, बल्कि उससे भी अधिक तीव्रता से। इस घटना न केवल बार के सदस्यों को बल्कि सभी को आहत करती है। यह किसी एक व्यक्ति का मामला नहीं है। ऐसी घटनाओं की न केवल निंदा की जानी चाहिए बल्कि इन्हें रोकने के लिए उचित कदम भी उठाए जाने चाहिए।
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हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई के दौरान की, जिसमें सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहे जूता फेंकने की घटना के वीडियो को हटाने के लिए दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता तेजस्वी मोहन ने कहा कि वीडियो अभी भी सोशल मीडिया पर प्रसारित हो रहा है। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि भविष्य में ऐसी घटनाओं के दोषियों की पहचान सार्वजनिक न की जाए ताकि उन्हें अनुचित प्रचार न मिले।
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क्या है मामला?
यह घटना 6 अक्तूबर को हुई थी, जब वकील राकेश किशोर (71) ने सीजेआई की अदालत में जूता फेंक दिया था। इस अप्रत्याशित घटना के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने किशोर का वकालत लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था। घटना के दौरान सीजेआई ने पूरी शांति बनाए रखी और अदालत कर्मियों से कहा कि इस घटना को नजरअंदाज करें और आरोपी वकील को चेतावनी देकर छोड़ दिया जाए। इस घटना की देशभर में व्यापक निंदा हुई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सीजेआई से बात कर इसे निंदनीय बताया था। इसके बाद 16 अक्तूबर को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और एससीबीए अध्यक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने अदालत में किशोर के खिलाफ अवमानना कार्यवाही की याचिका जल्द सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था। मेहता ने अदालत को बताया कि अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने इस मामले में आपराधिक अवमानना की अनुमति दे दी है, क्योंकि यह न्यायपालिका की संस्थागत गरिमा से जुड़ा मामला है।