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Supreme Court: असली शिवसेना और असली एनसीपी कौन? सुप्रीम कोर्ट ने तय कर दी अंतिम सुनवाई की तारीख

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: देवेश त्रिपाठी Updated Wed, 12 Nov 2025 04:54 PM IST
सार

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने माना कि एनसीपी (शरद पवार) और शिवसेना (यूबीटी) की याचिकाओं के दोनों ही मामलों में एक जैसे मुद्दे हैं। अदालत ने इन मामलों की एक साथ सुनवाई पर सहमति जताई।

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Supreme Court Posts Shiv Sena NCP Symbol Disputes For Final Hearing On 21 January 2026 Maharashtra Politics
सुप्रीम कोर्ट ने तय की महाराष्ट्र के दो सबसे ज्वलंत सवालों पर अंतिम सुनवाई की तारीख - फोटो : पीटीआई
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विस्तार
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महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचाने वाले दो बड़े सवालों का जवाब आने वाले साल 2026 में मिल जाएगा।. ये सवाल हैं, कौन है असली शिवसेना और कौन है असली एनसीपी? सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पार्टियों के चुनाव चिन्ह विवाद को 21, जनवरी, 2026 को अंतिम सुनवाई के लिए टाल दिया है।   

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शिवसेना (यूबीटी) ने एकनाथ शिंदे समूह को आधिकारिक तौर पर शिवसेना मानकर निर्वाचन आयोग की ओर से 'धनुष-बाण' चुनाव चिन्ह देने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने बुधवार (12 नवंबर, 2025) को इसे अगली सुनवाई तक के लिए टाल दिया।
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सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने एनसीपी (शरद पवार) की ओर से चुनाव आयोग के एनसीपी (अजित पवार) को चुनाव चिन्ह दिए जाने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर भी विचार करने पर सहमति जताई। सुप्रीम कोर्ट ने मानते हुए कि इन दोनों ही मामलों के एक जैसे मुद्दे हैं तो इनकी एक साथ सुनवाई पर सहमति जताई।

पीठ की ओर से कहा गया कि 21 जनवरी, 2026 को मामले की सुनवाई होगी. जस्टिस सूर्यकांत ने अगले दिन कोई और जरूरी मामला न लगाने के भी निर्देश दिए, जिससे जरूरत पड़ने पर सुनवाई 22 जनवरी को भी जारी रह सके। शिवसेना (यूबीटी) की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और देवदत्त कामत पेश हुए। वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी और एन. के. कौल दूसरे पक्ष की ओर से पेश हुए। 

शिवसेना (यूबीटी) की याचिका में निर्वाचन आयोग की ओर से पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह एकनाथ शिंदे के समूह को दिए जाने के फैसले की आलोचना की गई है। 2022 में शिवसेना के अंदर सियासी संकट उभरने के बाद चुनाव आयोग ने फरवरी, 2023 में शिंदे के नेतृत्व वाले समूह के पक्ष में आदेश दिया था।

उद्धव ठाकरे गुट का कहना है कि केंद्रीय चुनाव आयोग पार्टी के भीतर बहुमत तय करने की असली परीक्षा करने में कामयाब नहीं रहा। साथ ही निर्वाचित विधायकों के बीच शिंदे गुट की ताकत को ज्यादा महत्व दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी करते हुए उद्धव गुट को शिवसेना (यूबीटी) और जलती मशाल चुनाव चिन्ह इस्तेमाल करने को कहा, जब तक ये मामला लंबित है। 

इसी तरह शरद पवार गुट ने भी चुनाव आयोग के फरवरी, 2024 में अजित पवार को चुनाव चिन्ह घड़ी दिए जाने के फैसले को चुनौती दी थी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शरद पवार गुट को तुरही लिए आदमी चुनाव चिन्ह के तौर पर इस्तेमाल करने की अंतरिम व्यवस्था की थी। वहीं अजित पवार को ये प्रचार करने के लिए कहा था कि उनका चुनाव चिन्ह घड़ी इस्तेमाल करने का मामला कोर्ट में लंबित है।  

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