पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे एजी पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को रिहा कर दिया। पेरारिवलन को इस मामले में पहले फांसी की सजा सुनाई गई थी, जिसे बाद में उम्रकैद में बदल दिया गया। पेरारिवलन 31 साल से जेल में बंद था। बता दें कि राजीव गांधी की हत्या 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक बम धमाके में हुई थी। धमाके में उपयोग हुई नौ वोल्ट की बैटरी खरीद कर मुख्य दोषी शिवरासन को देने के आरोप में एजी पेरारिवलन को दोषी ठहराया गया था।
आइए जानते हैं कि कोर्ट ने जिस अनुच्छेद 142 के तहत पेरारिवलन को रिहा किया वो क्या है? राजीव गांधी की हत्या से लेकर अब तक इस मामले में क्या-क्या हुआ? आखिर कोर्ट ने क्यों पेरारिवलन को रिहा कर दिया?
21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में चुनावी रैली के दौरान एक महिला आत्मघाती हमलावर ने खुद को विस्फोट से उड़ा लिया था। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी मारे गए थे। महिला की पहचान धनु के तौर पर हुई थी। पुलिस ने इस मामले में कई लोगों को आरोपी बनाया था, जिनमें पेरारिवलन, मुरुगन, संथन और नलिनी शामिल थे।
1998 में टाडा अदालत ने पेरारिवलन, मुरुगन, संथन और नलिनी को मौत की सजा सुनाई थी। साल 1999 में सुप्रीम कोर्ट ने सजा को बरकरार रखा, लेकिन 2014 में इसे आजीवन कारावास में बदल दिया गया। राहत नहीं मिलने के बाद पेरारिवलन और अन्य दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। उधर, तमिलनाडु में आरोपियों की रिहाई की मांग लंबे समय से उठ रही थी। 2008 में जब जयललिता तमिलनाडु की मुख्यमंत्री थीं, तो उन्होंने कैबिनेट से पेरारिवलन की रिहाई के लिए प्रस्ताव पास किया। जिसे राज्यपाल को भेजा गया था। राज्यपाल ने उसे राष्ट्रपति के पास भेजा। तब से ये मामला लंबित था। सुप्रीम कोर्ट ने 10 मई को मामले की सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रखा था।
न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली पीठ ने अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल किया। पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश देते हुए कोर्ट ने कहा है, 'राज्य मंत्रिमंडल ने प्रासंगिक विचार-विमर्श के आधार पर रिहाई का फैसला किया था। अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए, दोषी को रिहा किया जाना उचित होगा।'
इसके पहले 10 मई को सुनवाई करते हुए भी कोर्ट ने राज्यपाल की ओर से दया याचिका का निस्तारण न करने पर टिप्पणी की थी। कहा था, 'प्रथम दृष्टया राज्यपाल का यह फैसला गलत और संविधान के खिलाफ है क्योंकि वह राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिश से बंधे हैं। उनका फैसला संविधान के संघीय ढांचे पर प्रहार करता है।'
संविधान में सुप्रीम कोर्ट को अनुच्छेद 142 के तौर पर एक विशेष शक्ति प्रदान की गई है। इसके तहत न्याय के लिए कोर्ट जरूरी निर्देश दे सकता है। अनुच्छेद 142 के मुताबिक जब तक किसी अन्य कानून को लागू नहीं किया जाता तब तक सुप्रीम कोर्ट का आदेश सर्वोपरि होगा। इसके तरह कोर्ट ऐसे फैसले दे सकता है जो लंबित पड़े किसी भी मामले को पूर्ण करने के लिए जरूरी हों। कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश तब तक लागू रहेंगे जब तक कि इससे संबंधित प्रावधान को लागू नहीं कर दिया जाता है।
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्त चंद्रप्रकाश पांडेय कहते हैं, 'अनुच्छेद 142 के तहत कहा गया है कि किसी मामले में भले ही कोई कानून न बना हो, लेकिन पूर्ण न्याय की परिभाषा के तहत शीर्ष अदालत कोई आदेश पारित कर सकता है।'
चार साल में तीसरी बार हुआ इसका प्रयोग
- 2022 : पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे को छोड़ने के लिए कोर्ट ने अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल किया।
- 2021 : एक दलित छात्र को आईआईटी बॉम्बे में एडमिशन दिलाने के लिए कोर्ट ने इस अनुच्छेद का प्रयोग किया।
- 2019 : अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि मामले में फैसला देते हुए कोर्ट ने अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल किया था। तब कोर्ट ने इस अनुच्छेद का प्रयोग करते हुए मस्जिद बनाने के लिए भी अलग से जमीन के आवंटन का आदेश पारित किया था।
दरअसल, कोई भी कैदी राज्य सरकार की निगरानी में होता है। ऐसे में राज्य सरकार देखती है कि किस कैदी का कैसा आचरण है। उम्रकैद की सजा पाने वाले कैदियों को कम से कम 14 साल जेल में रहना ही पड़ता है। हां, इसके बाद 16 साल, 30 साल या हमेशा के लिए भी हो सकती है। लेकिन, 14 साल के बाद अगर राज्य सरकार सजा कम करने की अपील करती है तो उसकी सुनी जाती है। पेरारिवलन के मामले में भी यही हुआ। पेरारिवलन 31 साल से जेल में बंद है। ऐसे में सजा की एक लंबी अवधि पूरी कर चुकी है। राज्य सरकार ने भी पेरारिवलन की रिहाई के लिए प्रस्ताव पास किया था।
विस्तार
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे एजी पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को रिहा कर दिया। पेरारिवलन को इस मामले में पहले फांसी की सजा सुनाई गई थी, जिसे बाद में उम्रकैद में बदल दिया गया। पेरारिवलन 31 साल से जेल में बंद था। बता दें कि राजीव गांधी की हत्या 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक बम धमाके में हुई थी। धमाके में उपयोग हुई नौ वोल्ट की बैटरी खरीद कर मुख्य दोषी शिवरासन को देने के आरोप में एजी पेरारिवलन को दोषी ठहराया गया था।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे एजी पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को रिहा कर दिया। पेरारिवलन को इस मामले में पहले फांसी की सजा सुनाई गई थी, जिसे बाद में उम्रकैद में बदल दिया गया। पेरारिवलन 31 साल से जेल में बंद था। बता दें कि राजीव गांधी की हत्या 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक बम धमाके में हुई थी। धमाके में उपयोग हुई नौ वोल्ट की बैटरी खरीद कर मुख्य दोषी शिवरासन को देने के आरोप में एजी पेरारिवलन को दोषी ठहराया गया था।
आइए जानते हैं कि कोर्ट ने जिस अनुच्छेद 142 के तहत पेरारिवलन को रिहा किया वो क्या है? राजीव गांधी की हत्या से लेकर अब तक इस मामले में क्या-क्या हुआ? आखिर कोर्ट ने क्यों पेरारिवलन को रिहा कर दिया?