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Supreme Court: पूर्व सीएम येदियुरप्पा को बड़ी राहत, पोक्सो मामले में ट्रायल पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नितिन गौतम
Updated Tue, 02 Dec 2025 02:19 PM IST
सार
वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण सबूतों को नजरअंदाज किया और उन बयानों पर विचार नहीं किया, जिनसे पता चलता है कि कथित घटना के दौरान ऐसा कुछ नहीं हुआ।
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पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा
- फोटो : ANI
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विस्तार
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता बीएस येदियुरप्पा को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ चल रहे पोक्सो मामले में सुनवाई पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने बीएस येदियुरप्पा की याचिका पर राज्य सरकार को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने येदियुरप्पा की उस याचिका पर सुनवाई करते हुए यह अंतरिम आदेश दिया, जिसमें कर्नाटक हाई कोर्ट के मामले को रद्द करने से इनकार करने के आदेश को चुनौती दी गई है।
'अदालत ने महत्वपूर्ण सबूतों को नजरअंदाज किया'
सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, 'नोटिस जारी करें। इस बीच, ट्रायल पर रोक रहेगी।' पीठ ने कहा कि नोटिस मुख्य रूप से मामले को हाई कोर्ट को वापस भेजने पर विचार करने के लिए जारी किया जा रहा है। येदियुरप्पा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण सबूतों को नजरअंदाज किया और उन बयानों पर विचार नहीं किया, जिनसे पता चलता है कि कथित घटना के दौरान ऐसा कुछ नहीं हुआ। लूथरा ने कहा, 'कुछ बयान ऐसे होते हैं जिन्हें अभियोजन पक्ष दबा देता है। उच्च न्यायालय ने तथ्यों को नजरअंदाज किया। वह चार बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं।'
पूर्व सीएम पर लगे ये आरोप
पोक्सो कानून के तहत 14 मार्च, 2024 को एक महिला की शिकायत पर पूर्व सीएम के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। शिकायतकर्ता महिला की अब मौत हो चुकी है। शिकायत में महिला ने आरोप लगाया था कि जब वे येदियुरप्पा से मदद मांगने के लिए उनके घर गईं तो पूर्व सीएम ने उसकी 17 साल की बेटी के साथ छेड़छाड़ की। उसने आगे आरोप लगाया कि पूर्व सीएम ने पैसे देकर घटना को दबाने की कोशिश की। उसकी शिकायत के आधार पर, पुलिस ने पोक्सो कानून के अलग-अलग प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था।
ये भी पढ़ें- Karnataka: चार दिन में दूसरी बार नाश्ते की मेज पर मिले सिद्धारमैया और शिवकुमार, बोले- आलाकमान ही फैसला करेगा
4 जुलाई, 2024 को, एक ट्रायल कोर्ट ने न केवल येदियुरप्पा के खिलाफ, बल्कि तीन अन्य लोगों के खिलाफ भी सबूत नष्ट करने और मामले को दबाने की कोशिशों के आरोप में अपराधों का संज्ञान लिया। इसके बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट को इस पर फिर से विचार करने का निर्देश दिया। इसके बाद, 28 फरवरी को, फास्ट-ट्रैक स्पेशल कोर्ट ने एक नया आदेश जारी किया और येदियुरप्पा और दूसरे आरोपियों को 15 मार्च को पेश होने के लिए बुलाया। येदियुरप्पा ने 28 फरवरी के आदेश और शिकायत को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। पूर्व सीएम ने कहा कि उन पर लगे आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। हालांकि, हाई कोर्ट ने पिछले महीने मामले को रद्द करने से मना कर दिया, जिसके बाद पूर्व सीएम ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
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'अदालत ने महत्वपूर्ण सबूतों को नजरअंदाज किया'
सीजेआई जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, 'नोटिस जारी करें। इस बीच, ट्रायल पर रोक रहेगी।' पीठ ने कहा कि नोटिस मुख्य रूप से मामले को हाई कोर्ट को वापस भेजने पर विचार करने के लिए जारी किया जा रहा है। येदियुरप्पा का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण सबूतों को नजरअंदाज किया और उन बयानों पर विचार नहीं किया, जिनसे पता चलता है कि कथित घटना के दौरान ऐसा कुछ नहीं हुआ। लूथरा ने कहा, 'कुछ बयान ऐसे होते हैं जिन्हें अभियोजन पक्ष दबा देता है। उच्च न्यायालय ने तथ्यों को नजरअंदाज किया। वह चार बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं।'
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पूर्व सीएम पर लगे ये आरोप
पोक्सो कानून के तहत 14 मार्च, 2024 को एक महिला की शिकायत पर पूर्व सीएम के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। शिकायतकर्ता महिला की अब मौत हो चुकी है। शिकायत में महिला ने आरोप लगाया था कि जब वे येदियुरप्पा से मदद मांगने के लिए उनके घर गईं तो पूर्व सीएम ने उसकी 17 साल की बेटी के साथ छेड़छाड़ की। उसने आगे आरोप लगाया कि पूर्व सीएम ने पैसे देकर घटना को दबाने की कोशिश की। उसकी शिकायत के आधार पर, पुलिस ने पोक्सो कानून के अलग-अलग प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था।
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4 जुलाई, 2024 को, एक ट्रायल कोर्ट ने न केवल येदियुरप्पा के खिलाफ, बल्कि तीन अन्य लोगों के खिलाफ भी सबूत नष्ट करने और मामले को दबाने की कोशिशों के आरोप में अपराधों का संज्ञान लिया। इसके बाद कर्नाटक उच्च न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट को इस पर फिर से विचार करने का निर्देश दिया। इसके बाद, 28 फरवरी को, फास्ट-ट्रैक स्पेशल कोर्ट ने एक नया आदेश जारी किया और येदियुरप्पा और दूसरे आरोपियों को 15 मार्च को पेश होने के लिए बुलाया। येदियुरप्पा ने 28 फरवरी के आदेश और शिकायत को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। पूर्व सीएम ने कहा कि उन पर लगे आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। हालांकि, हाई कोर्ट ने पिछले महीने मामले को रद्द करने से मना कर दिया, जिसके बाद पूर्व सीएम ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
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