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SC: 'सीबीआई जांच का आदेश वापस लें, SIT जांच को मंजूरी दें', तमिलनाडु सरकार की सुप्रीम कोर्ट से अपील

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Tue, 02 Dec 2025 03:34 PM IST
सार

तमिलनाडु सरकार ने शीर्ष अदालत में दाखिल अपने जवाब में कहा है कि स्थानीय पुलिस और विशेष जांच टीम (एसआईटी) निष्पक्ष, विस्तृत जांच करने में पूरी तरह सक्षम हैं, और ऐसी कोई असाधारण स्थिति भी नहीं है, जिससे केंद्रीय एजेंसी के दखल की जरूरत हो।

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Tamil Nadu Govt Supreme Court Karur stampede case Lift CBI probe order permit SIT investigation
सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु सरकार की दलील। - फोटो : ANI / X @mkstalin
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तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वह करूर भगदड़ मामले में दिए गए सीबीआई जांच के आदेश को वापस ले ले और मद्रास हाईकोर्ट की तरफ से गठित एसआईटी जांच को जारी रखने की अनुमति दे। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 13 अक्तूबर के अपने आदेश में करूर हादसे की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दे दिया था। उसने यह फैसला अभिनेता से नेता बने विजय की पार्टी (तमिलगा वेत्रि कझगम) टीवीके की याचिका पर दिया था। 
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बता दें कि करूर में विजय की रैली के दौरान भगदड़ मच गई थी और इसमें 41 लोगों की मौत हुई थी और 60 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। अब तमिलनाडु सरकार ने शीर्ष अदालत में दाखिल अपने जवाब में कहा है कि स्थानीय पुलिस और विशेष जांच टीम (एसआईटी) निष्पक्ष, विस्तृत जांच करने में पूरी तरह सक्षम हैं, और ऐसी कोई असाधारण स्थिति भी नहीं है, जिससे केंद्रीय एजेंसी के दखल की जरूरत हो।
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करूर भगदड़: सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच के दिए आदेश; TVK की याचिका मंजूर, पूर्व जज अजय रस्तोगी करेंगे निगरानी

तमिलनाडु सरकार का कहना है कि करूर जिला प्रशासन और पुलिस पर लापरवाही के आरोप पूरी तरह आधारहीन और निराधार हैं। रिकॉर्ड स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि प्रशासन और पुलिस ने बेहद सतर्कता, दूरदर्शिता और सभी कानूनी और प्रक्रियाओं का पालन करते हुए काम किया। सरकार ने कहा कि 606 पुलिसकर्मियों और होमगार्ड्स की तैनाती के साथ एक व्यापक योजना लागू की गई थी, जिसकी निगरानी आईजी (सेंट्रल जोन) और करूर के पुलिस अधीक्षक जैसे वरिष्ठ अधिकारियों ने की। स्थल चयन, प्रवेश मार्ग, चिकित्सा तैयारी और यातायात प्रबंधन सभी राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के दिशानिर्देशों के तहत थे। सरकार ने याचिकाकर्ता जीएस मणि पर राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित याचिकाएं दायर करने का आरोप लगाया।

सीबीआई को जांच सौंपते हुए क्या बोला था सुप्रीम कोर्ट?
सुप्रीम कोर्ट ने इस घटना को राष्ट्र की अंतरात्मा को झकझोर देने वाली बताते हुए निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई को जांच सौंपी थी। सर्वोच्च न्यायालय ने उस दौरान हाईकोर्ट की ओर से गठित एसआईटी और एक-सदस्यीय जांच आयोग की नियुक्ति पर रोक लगा दी थी। साथ ही तमिलनाडु सरकार को केंद्रीय एजेंसी के साथ पूर्ण सहयोग करने का निर्देश दिया था। अदालत ने मद्रास हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एन सेंथिलकुमार की भी आलोचना की थी कि उन्होंने टीवीके और उसके सदस्यों को पक्षकार बनाए बिना उनके खिलाफ टिप्पणियां कीं।

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