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up vidhan sabha chunav 2022 congress candidate list congress leader priyanka gandhi announced first list of 125 candidates for up election uttar pradesh assembly elections, Of the total 125 candidates, 40 percent are women and 40 percent youth
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यूपी कांग्रेस की पहली लिस्ट: लड़ाई लड़ने वाली महिलाओं और चुनौती स्वीकार करने वाले युवाओं को मौका, समझिए टिकट बंटवारे का पूरा गणित
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने कहा कि कुल 125 उम्मीदवारों में से 40 फीसदी महिलाएं और 40 फीसदी युवा हैं। इस ऐतिहासिक पहल के साथ हम राज्य में एक नई तरह की राजनीति लाने की उम्मीद करते हैं।
-UP Vidhan Sabha Chunav 2022: प्रियंका गांधी के साथ कांग्रेस प्रत्याशी रंजना बाराती लाल पांडेय
- फोटो : amar ujala
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कांग्रेस ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 125 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी कर दी। इसमें 50 महिलाएं शामिल हैं। उम्मीदवारों में आशा कार्यकर्ता पूनम पांडे शामिल हैं, जिन्हें पिछले साल नवंबर में शाहजहांपुर में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने की कोशिश के दौरान पुलिस ने कथित रूप से पीटा गया था। वहीं सीएए के खिलाफ प्रदर्शन में जेल जाने वाली सदफ जफर का नाम भी इसमें शामिल हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विधानसभा चुनाव लड़ने वाली महिलाओं के नाम खुद पढ़े।
वहीं सोनभद्र के उम्भा गांव में जमीन को लेकर गोंड आदिवासियों की कानूनी लड़ाई लड़ने वाले रामराज गोंड को भी पार्टी ने टिकट दिया है। गोंड सोनभद्र जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं। पार्टी की सूची में कई नए चेहरे और मुस्लिम नाम शामिल हैं। कांग्रेस नए चेहरों को जगह देकर मतदाताओं के सामने फ्रेश विकल्प पेश करने की कोशिश की है। वहीं, कई पुराने नेताओं नाम भी इसमें है।
प्रियंका गांधी ने टिकट बांटने में किस बात पर रखा है फोकस
सीतापुर से कांग्रेस का टिकट हासिल करने वाली पार्टी प्रत्याशी और महिला कांग्रेस की महासचिव शमीना शफीक के मुताबिक ‘प्रियंका गांधी ने पहली ही सूची में यह साबित कर दिया है कि उन्होंने जो कहा, वो किया। पहली ही बार में पार्टी ने ऐसी महिलाओं की सूची तैयार की है जो योगी शासन में अत्याचार या प्रताड़ना की शिकार हुई हैं। प्रियंका गांधी लगातार इन महिलाओं के साथ खड़ी थीं और उनके मुद्दे को उठा रही थीं। उन्होंने ऐसी महिलाओं के चुनाव में भागीदारी की बात कही थी और कहा था कि वो सत्ता हाथ में लें तभी समाज में बदलाव लाया जा सकता है।’
अलग तरीके की राजनीति कर रही है कांग्रेस
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस इस चुनाव में एक अलग तरीके की राजनीति कर रही है, क्योंकि अपनी खोई हुई जमीन को वापस हासिल करने के लिए पार्टी के पास कुछ अलग करने के अलावा कोई और विकल्प भी नहीं है। प्रियंका को यह फैसला इसलिए लेना पड़ा है कि वे जानती हैं कि महिला मतदाता हर चुनाव में अपने स्वयं के हितों के लिए एक स्वतंत्र वोट बैंक के रूप में उभर रही हैं।
माना जा रहा है कि पार्टी ने ज्यादा से ज्यादा महिलाओं, युवाओं, नए चेहरों और पीड़ित-शोषित लोगों को राजनीति में आने का मौका देकर एक जोखिम लिया है और यदि यह प्रयोग कामयाब होता है तो पार्टी को 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में फायदा मिल सकता है।
क्या इससे पार्टी का जनाधार बढ़ेगा?
राजनीतिक विश्लेषक मनीषा प्रियम का मानना है कि पार्टी के इस कदम से महिला और युवाओं और प्रबुद्ध वर्ग में उसका जनाधार बनेगा। यह वास्तविकता है कि इस चुनाव में कांग्रेस रेस में नहीं है, लेकिन अपनी पहली ही सूची के बाद वह चर्चा में आ जाएगी। यकीनन यदि कांग्रेस से डेढ़ सौ महिलाएं मजबूत होकर निकलती हैं तो धीरे-धीरे पूरे देश में इस पंरपरा का विस्तार हो सकता है।
उनके मुताबिक कांग्रेस इस तरह से यह भी साबित करने की कोशिश कर रही है कि वह केवल जाति आधारित सामाजिक न्याय की बात नहीं कर रही। महिलाएं हर जाति हर धर्म और हर वर्ग की होती हैं तो इस तरह से ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को राजनीति में लाकर कांग्रेस एक बड़े वर्ग के सामाजिक न्याय की दिशा में कदम उठा रही है।
महिलाओं को भागीदारी देना अब पार्टी की मजबूरी बनेगी
मनीषा प्रियम मानती हैं कि दावेदारी की बात धीरे-धीरे होती है। यह सच है कि भारतीय राजनीति में महिलाओं की हिस्सेदारी बहुत कम है। जिस तरह से प्रियंका ने 40 फीसदी महिलाओं को टिकट दिया है, उसके बाद राजनीति में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को भागीदारी देना अब हर पार्टी की मजबूरी बनेगी ताकि वे महिला प्रत्याशियों के जरिए ज्यादा से ज्यादा महिला मतदाताओं को अपनी ओर खींच सकें।
उम्मीदवार नहीं मिलने की बात को गलत साबित करने की कोशिश
बताया जा रहा है कि अपनी पहली ही सूची में 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देकर पार्टी ने यह भी साबित करने की कोशिश है कि उसके बारे में जो प्रचारित किया जा रहा था कि पार्टी को चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं, वह बात गलत साबित हुई है। मनीषा प्रियम के मुताबिक एक तरह से पार्टी ने अपना कमिटमेंट दिखाया है। नए लोगों को चुनाव में उतारकर पार्टी ने यह साबित किया है कि वह घिसी-पिटी राजनीति से बाहर निकलने की कोशिश कर रही है और महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा भागीदारी देने की बात सिर्फ बनावटी बातें नहीं हैं।
युवाओं पर जताया भरोसा
कांग्रेस ने तीन दशक से भी ज्यादा समय से सुप्त पड़ी पार्टी में जान फूंकने के लिए कई युवा चेहरों पर भरोसा किया है और करीब 40 फीसदी युवाओं को टिकट दिया है। जैदपुर विधानसभा सीट (एससी) से टिकट हासिल करने वाले युवा प्रत्याशी तनुज पुनिया का कहना है ‘उत्तर प्रदेश का युवा बेरोजगारी और तंगहाली से गुजर रहा है। मैं भी एक युवा हूं और उनका दर्द समझ सकता हूं। यदि हम उनकी आवाज नहीं बन सके तो सत्ता तक उनकी बात कौन पहुंचाएगा। प्रियंका गांधी इस बात को समझती हैं कि युवाओं को बेरोजगारी के दलदल से निकालने के लिए युवाओं को ही आगे आना होगा।' उनका कहना है 'नेतृत्व ने मुझ पर जो भरोसा जताया है उस पर खरा उतरने का प्रयास करूंगा।’
नए लोगों को भी मौका
नए चेहरों को टिकट देने के पीछे पार्टी की रणनीति यह मानी जा रही है कि वह प्रदेश में एक नया नेतृत्व तैयार करने की कोशिश कर रही है। पार्टी भी जानती है कि उसने जितने लोगों को टिकट दिया है उसमें सबका जीतना मुश्किल है, लेकिन इस चुनाव के प्रदर्शन के आधार पर प्रदेश में एक नया नेतृत्व तैयार हो सकता है।
अमर उजाला के सलाहकार संपादक विनोद अग्निहोत्री कहते हैं कि हो सकता है बहुत सारे प्रत्याशी जो यह चुनाव लड़ेंगे वे चुनाव न जीते, लेकिन यदि दूसरे या तीसरे नंबर पर रहकर भी अच्छा वोट शेयर लाते हैं तो उन्हें लोकसभा चुनाव में भी मौका मिल सकता है। कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रही है। वो कोशिश कर रही है 2024 में उसके पास नेताओं और कार्यकर्ताओं की एक मजबूत टीम हो। प्रियंका गांधी ने इसी रणनीति के तहत टिकट बांटे हैं कि वे प्रदेश में एक नया नेतृत्व तैयार करना चाहती हैं।
मुस्लिम चेहरों को भी टिकट
उत्तर प्रदेश में विधानसभा की करीब 110 सीटें हैं, जहां मुसलमान वोट अच्छी खासी संख्या में हैं। ऐसी अधिकांश सीटें पश्चिम उत्तर प्रदेश में हैं। मुसलमान वोटों को अपने पाले में करने के लिए पार्टी ने रणनीति के तौर पर कई मुस्लिम चेहरों को भी उम्मीदवार बनाया है।
विनोद अग्निहोत्री कहते हैं कि पार्टी ने यह टिकट अभी के चुनाव से ज्यादा 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर भी टिकट दिया है, क्योंकि वह मुस्लिम वोट बैंक को खोना भी नहीं चाहती है। भले ही यूपी में मुस्लिम वोट बैंक का झुकाव समाजवादी पार्टी की तरफ है, लेकिन वह इस समुदाय को यह ध्यान दिलाना चाहती है कि पार्टी इस वर्ग का पूरा ध्यान रख रही है।
क्या इससे समाजवादी पार्टी के ऊपर असर पडे़गा?
ज्यादातर मुस्लिम वोट सपा के साथ ही जाने का अनुमान है। कांग्रेस ही नहीं बसपा भी कई मुस्लिम चेहरों को टिकट देगी। उसके बाद देखना दिलचस्प होगा कि सपा को कितना नुकसान होता है। सपा के वोट बैंक पर कांग्रेस बहुत ज्यादा असर डाल पाए इसकी संभावना बहुत कम है। पिछले तीस साल में कांग्रेस के पास कोई मूल जनाधार नहीं रह गया है। यही उसकी सबसे बड़ी परेशानी है।
विस्तार
कांग्रेस ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 125 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी कर दी। इसमें 50 महिलाएं शामिल हैं। उम्मीदवारों में आशा कार्यकर्ता पूनम पांडे शामिल हैं, जिन्हें पिछले साल नवंबर में शाहजहांपुर में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने की कोशिश के दौरान पुलिस ने कथित रूप से पीटा गया था। वहीं सीएए के खिलाफ प्रदर्शन में जेल जाने वाली सदफ जफर का नाम भी इसमें शामिल हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विधानसभा चुनाव लड़ने वाली महिलाओं के नाम खुद पढ़े।
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कांग्रेस ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 125 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी कर दी। इसमें 50 महिलाएं शामिल हैं। उम्मीदवारों में आशा कार्यकर्ता पूनम पांडे शामिल हैं, जिन्हें पिछले साल नवंबर में शाहजहांपुर में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने की कोशिश के दौरान पुलिस ने कथित रूप से पीटा गया था। वहीं सीएए के खिलाफ प्रदर्शन में जेल जाने वाली सदफ जफर का नाम भी इसमें शामिल हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान विधानसभा चुनाव लड़ने वाली महिलाओं के नाम खुद पढ़े।
वहीं सोनभद्र के उम्भा गांव में जमीन को लेकर गोंड आदिवासियों की कानूनी लड़ाई लड़ने वाले रामराज गोंड को भी पार्टी ने टिकट दिया है। गोंड सोनभद्र जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं। पार्टी की सूची में कई नए चेहरे और मुस्लिम नाम शामिल हैं। कांग्रेस नए चेहरों को जगह देकर मतदाताओं के सामने फ्रेश विकल्प पेश करने की कोशिश की है। वहीं, कई पुराने नेताओं नाम भी इसमें है।
सीतापुर से पार्टी की उम्मीदवार शमीना शफीक
- फोटो : Twitter : @shaminaaaa
प्रियंका गांधी ने टिकट बांटने में किस बात पर रखा है फोकस
सीतापुर से कांग्रेस का टिकट हासिल करने वाली पार्टी प्रत्याशी और महिला कांग्रेस की महासचिव शमीना शफीक के मुताबिक ‘प्रियंका गांधी ने पहली ही सूची में यह साबित कर दिया है कि उन्होंने जो कहा, वो किया। पहली ही बार में पार्टी ने ऐसी महिलाओं की सूची तैयार की है जो योगी शासन में अत्याचार या प्रताड़ना की शिकार हुई हैं। प्रियंका गांधी लगातार इन महिलाओं के साथ खड़ी थीं और उनके मुद्दे को उठा रही थीं। उन्होंने ऐसी महिलाओं के चुनाव में भागीदारी की बात कही थी और कहा था कि वो सत्ता हाथ में लें तभी समाज में बदलाव लाया जा सकता है।’
अलग तरीके की राजनीति कर रही है कांग्रेस
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस इस चुनाव में एक अलग तरीके की राजनीति कर रही है, क्योंकि अपनी खोई हुई जमीन को वापस हासिल करने के लिए पार्टी के पास कुछ अलग करने के अलावा कोई और विकल्प भी नहीं है। प्रियंका को यह फैसला इसलिए लेना पड़ा है कि वे जानती हैं कि महिला मतदाता हर चुनाव में अपने स्वयं के हितों के लिए एक स्वतंत्र वोट बैंक के रूप में उभर रही हैं।
माना जा रहा है कि पार्टी ने ज्यादा से ज्यादा महिलाओं, युवाओं, नए चेहरों और पीड़ित-शोषित लोगों को राजनीति में आने का मौका देकर एक जोखिम लिया है और यदि यह प्रयोग कामयाब होता है तो पार्टी को 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में फायदा मिल सकता है।
फिरोजाबाद में महिलाओं का हाथ हिलाकर अभिवादन करतीं प्रियंका गांधी वाड्रा
- फोटो : अमर उजाला
क्या इससे पार्टी का जनाधार बढ़ेगा?
राजनीतिक विश्लेषक मनीषा प्रियम का मानना है कि पार्टी के इस कदम से महिला और युवाओं और प्रबुद्ध वर्ग में उसका जनाधार बनेगा। यह वास्तविकता है कि इस चुनाव में कांग्रेस रेस में नहीं है, लेकिन अपनी पहली ही सूची के बाद वह चर्चा में आ जाएगी। यकीनन यदि कांग्रेस से डेढ़ सौ महिलाएं मजबूत होकर निकलती हैं तो धीरे-धीरे पूरे देश में इस पंरपरा का विस्तार हो सकता है।
उनके मुताबिक कांग्रेस इस तरह से यह भी साबित करने की कोशिश कर रही है कि वह केवल जाति आधारित सामाजिक न्याय की बात नहीं कर रही। महिलाएं हर जाति हर धर्म और हर वर्ग की होती हैं तो इस तरह से ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को राजनीति में लाकर कांग्रेस एक बड़े वर्ग के सामाजिक न्याय की दिशा में कदम उठा रही है।
महिलाओं को भागीदारी देना अब पार्टी की मजबूरी बनेगी
मनीषा प्रियम मानती हैं कि दावेदारी की बात धीरे-धीरे होती है। यह सच है कि भारतीय राजनीति में महिलाओं की हिस्सेदारी बहुत कम है। जिस तरह से प्रियंका ने 40 फीसदी महिलाओं को टिकट दिया है, उसके बाद राजनीति में ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को भागीदारी देना अब हर पार्टी की मजबूरी बनेगी ताकि वे महिला प्रत्याशियों के जरिए ज्यादा से ज्यादा महिला मतदाताओं को अपनी ओर खींच सकें।
अमेठी पहुंचीं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा
- फोटो : amar ujala
उम्मीदवार नहीं मिलने की बात को गलत साबित करने की कोशिश
बताया जा रहा है कि अपनी पहली ही सूची में 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देकर पार्टी ने यह भी साबित करने की कोशिश है कि उसके बारे में जो प्रचारित किया जा रहा था कि पार्टी को चुनाव लड़ने के लिए उम्मीदवार नहीं मिल रहे हैं, वह बात गलत साबित हुई है। मनीषा प्रियम के मुताबिक एक तरह से पार्टी ने अपना कमिटमेंट दिखाया है। नए लोगों को चुनाव में उतारकर पार्टी ने यह साबित किया है कि वह घिसी-पिटी राजनीति से बाहर निकलने की कोशिश कर रही है और महिलाओं को ज्यादा से ज्यादा भागीदारी देने की बात सिर्फ बनावटी बातें नहीं हैं।
युवाओं पर जताया भरोसा
कांग्रेस ने तीन दशक से भी ज्यादा समय से सुप्त पड़ी पार्टी में जान फूंकने के लिए कई युवा चेहरों पर भरोसा किया है और करीब 40 फीसदी युवाओं को टिकट दिया है। जैदपुर विधानसभा सीट (एससी) से टिकट हासिल करने वाले युवा प्रत्याशी तनुज पुनिया का कहना है ‘उत्तर प्रदेश का युवा बेरोजगारी और तंगहाली से गुजर रहा है। मैं भी एक युवा हूं और उनका दर्द समझ सकता हूं। यदि हम उनकी आवाज नहीं बन सके तो सत्ता तक उनकी बात कौन पहुंचाएगा। प्रियंका गांधी इस बात को समझती हैं कि युवाओं को बेरोजगारी के दलदल से निकालने के लिए युवाओं को ही आगे आना होगा।' उनका कहना है 'नेतृत्व ने मुझ पर जो भरोसा जताया है उस पर खरा उतरने का प्रयास करूंगा।’
नए लोगों को भी मौका
नए चेहरों को टिकट देने के पीछे पार्टी की रणनीति यह मानी जा रही है कि वह प्रदेश में एक नया नेतृत्व तैयार करने की कोशिश कर रही है। पार्टी भी जानती है कि उसने जितने लोगों को टिकट दिया है उसमें सबका जीतना मुश्किल है, लेकिन इस चुनाव के प्रदर्शन के आधार पर प्रदेश में एक नया नेतृत्व तैयार हो सकता है।
अमर उजाला के सलाहकार संपादक विनोद अग्निहोत्री कहते हैं कि हो सकता है बहुत सारे प्रत्याशी जो यह चुनाव लड़ेंगे वे चुनाव न जीते, लेकिन यदि दूसरे या तीसरे नंबर पर रहकर भी अच्छा वोट शेयर लाते हैं तो उन्हें लोकसभा चुनाव में भी मौका मिल सकता है। कांग्रेस लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रही है। वो कोशिश कर रही है 2024 में उसके पास नेताओं और कार्यकर्ताओं की एक मजबूत टीम हो। प्रियंका गांधी ने इसी रणनीति के तहत टिकट बांटे हैं कि वे प्रदेश में एक नया नेतृत्व तैयार करना चाहती हैं।
मुस्लिम वोटर्स
मुस्लिम चेहरों को भी टिकट
उत्तर प्रदेश में विधानसभा की करीब 110 सीटें हैं, जहां मुसलमान वोट अच्छी खासी संख्या में हैं। ऐसी अधिकांश सीटें पश्चिम उत्तर प्रदेश में हैं। मुसलमान वोटों को अपने पाले में करने के लिए पार्टी ने रणनीति के तौर पर कई मुस्लिम चेहरों को भी उम्मीदवार बनाया है।
विनोद अग्निहोत्री कहते हैं कि पार्टी ने यह टिकट अभी के चुनाव से ज्यादा 2024 के लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर भी टिकट दिया है, क्योंकि वह मुस्लिम वोट बैंक को खोना भी नहीं चाहती है। भले ही यूपी में मुस्लिम वोट बैंक का झुकाव समाजवादी पार्टी की तरफ है, लेकिन वह इस समुदाय को यह ध्यान दिलाना चाहती है कि पार्टी इस वर्ग का पूरा ध्यान रख रही है।
क्या इससे समाजवादी पार्टी के ऊपर असर पडे़गा?
ज्यादातर मुस्लिम वोट सपा के साथ ही जाने का अनुमान है। कांग्रेस ही नहीं बसपा भी कई मुस्लिम चेहरों को टिकट देगी। उसके बाद देखना दिलचस्प होगा कि सपा को कितना नुकसान होता है। सपा के वोट बैंक पर कांग्रेस बहुत ज्यादा असर डाल पाए इसकी संभावना बहुत कम है। पिछले तीस साल में कांग्रेस के पास कोई मूल जनाधार नहीं रह गया है। यही उसकी सबसे बड़ी परेशानी है।
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