विपक्ष ने सरकार पर हंगामे और चर्चा के बिना एक के बाद एक विधेयक पारित कराने का आरोप लगाया है। विपक्ष के शोर-शराबे और हंगामे के बीच विधेयक पारित कराने के विपक्ष की आलोचना का सरकार ने करारा जवाब दिया है। संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि हमारे बारे में यह कहा जा रहा है कि हमने बिना चर्चा के बिल पास कराए हैं। जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के सत्ता में होने पर दर्जनों विधेयक समान परिस्थितियों में और बिना बहस के पारित किए गए थे। मीडिया रिपोर्ट के हवाले से उन्होंने बताया कि यूपीए सरकार में 2004-14 के बीच कई बिलों को बिना चर्चा के पास कराया गया। इसमें आंध्र प्रदेश का विभाजन भी शामिल है। उन्होंने कहा कि हमने विधेयकों पर चर्चा करने की कोशिश की, विपक्ष ने करने नहीं दिया। संसद का मूल काम ही कानून बनाना है। हम वही कर रहे हैं। यूपीए सरकार ये सब करना ही नहीं चाहती थी।
सरकार की बात में कितनी सच्चाई
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2006 और 2014 के बीच लोकसभा में 18 विधेयकों को हंगामों के बीच पारित कराया था।
कब पारित हुए
2006 - दो
2007 - ग्यारह
2010 - तीन
2011 - एक
2014 - एक
तो इस तरह 2006 से 2014 के बीच यूपीए सरकार ने कुल 18 विधेयक पारित किए।
कितने मिनट में पारित हुए थे
दो- दो केवल एक मिनट में
तीन- तीन दो मिनट में
चार- चार तीन मिनट में
चार- चार मिनट में चार
एक- बारह मिनट में एक
एक- चौदह मिनट में एक
विधेयक जो हंगामे में पारित हुए थे
यूपीए सरकार ने 22 मार्च, 2006 को लोकसभा से दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना (संशोधन) विधेयक, 2006 केवल तीन मिनट में पारित करा लिया।
जबकि सात अगस्त, 2006 को निचले सदन ने ही सरकारी प्रतिभूति विधेयक, 2004 को मात्र 14 मिनट में पारित कर दिया।
2007 में हंगामे के दौरान 11 विधेयक पारित हुए। जो मार्च में बजट सत्र के दौरान अलग-अलग तारीखों पर 19 मिनट में पारित हुए।
दो विधेयक 16 मार्च को नौ मिनट में, तीन विधेयक 19 मार्च 2007 को 10 मिनट में पास हो गए।
मानसून सत्र के दौरान मई में 13 मिनट में चार विधेयक पारित हो गए। दो विधेयक सितंबर में केवल पांच मिनट में पारित हुए।
16 मार्च को राष्ट्रीय औषधि शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (संशोधन) विधेयक, 2007 चार मिनट में सदन से पास हुआ।
16 मार्च को ही बैंकिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2007 पांच मिनट में पारित करा लिया गया।
19 मार्च को राष्ट्रीय कर न्यायाधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2007 महज पांच मिनट में पारित हो गया।
19 मार्च को ही राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी (जम्मू और कश्मीर तक विस्तार) विधेयक, 2007 को पास होने में महज तीन मिनट लगे।
संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2006, प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) विधेयक, 2006, और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान विधेयक, 2007 को 14 मई 2007 को क्रमशः चार, तीन और दो मिनट में पारित कराया गया।
संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2006, प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) विधेयक, 2006, और राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान विधेयक, 2007 को 14 मई 2007 को क्रमशः चार, तीन और दो मिनट में पारित कराया गया। यूपीए सरकार तीन मई 2010 को लोकसभा में केवल 16 मिनट में तीन बिल पास करने में कामयाब रही। जिसमें नैदानिक प्रतिष्ठान (पंजीकरण और विनियमन) विधेयक, 2010 एक मिनट में पारित हुआ। उपदान भुगतान (संशोधन) विधेयक, 2010 तो फटाफट तीन मिनट में पास हो गया। इसी तरह कर्मचारी राज्य बीमा (संशोधन) विधेयक, 2010 को पारित होने में 12 मिनट लगे।
लोकसभा ने 18 मार्च, 2011 को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) विधेयक, 2011 को तो महज दो मिनट में पारित करा लिया। जबकि आंध्र प्रदेश (पुनर्गठन) विधेयक, 2014 को 18 फरवरी, 2014 को एक घंटे 28 मिनट में पारित कराया गया। इन विधेयकों को संसद के सभी तीन सत्रों - शीतकालीन, बजट और मानसून में मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगियों के हंगामें और विरोध के बीच पारित कराया गया।
मोदी सरकार ने संसद के मानसून सत्र में कितने बिल पारित कराए
संसद का पूरा मानसून सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गया लेकिन मोदी सरकार ने सभी विधायी कार्य पूरे करा लिए। सभी जरूरी विधेयक फटाफट पारित कराए गए। संसद के मानसून सत्र के पहले 13 दिनों में संसद से 25 बिल पारित करा लिए गए। इस दौरान पूरे समय संसद में हंगामा चल रहा था। वहीं विपक्ष का आरोप है कि दूसरे दलों की राय को अहमियत दिए बिना और चर्चा कराए बिना सरकार ने अहम विधेयक मिनटों में पास कराया।
20 विधेयक बिना बहस के पारित
बुधवार को संसद के मानसून सत्र की समाप्ति तक लोकसभा से 20 विधेयक पारित हुए। वहीं ओबीसी आरक्षण पर संवैधानिक संशोधन विधेयक सहित कुल 19 विधेयक राज्यसभा में पारित किए गए। इनमें बिना बहस या बिना चर्चा संसद के दोनों सदनों में 20 विधेयक पारित कराए गए हैं। लोकसभा से पारित हुए 11 विधेयक में से प्रत्येक में औसतन लगभग आठ मिनट का समय लगा। फटाफट विधेयक पारित कराने की प्रथा पर राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने चिंता जताई थी। उन्होंने कहा था भाजपा सरकार ने मिनटों में राष्ट्रीय महत्व के 10 विधेयकों को रफा-दफा कर दिया।
वो विधेयक जो एक या दोनों सदनों से फटाफट हुए पारित
फैक्टरिंग रेगुलेशन (अमेंडमेंट) विधेयक 2021-
26 जुलाई को लोकसभा से 13 मिनट में पारित, इसमें बिल पेश करने वाला समय भी शामिल
राज्यसभा में यह बिल 14 मिनट में पारित, केवल पांच सांसदों ने बहस में हिस्सा लिया
द नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी इंटर्नप्नोयरशिप एंड मैनेजमेंट बिल
26 जुलाई को लोकसभा से छह मिनट में पारित
द मरीन एड्स टू नैविगेशन बिल 2021
27 जुलाई को राज्यसभा से 40 मिनट में पारित
जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटक्शन ऑफ चिल्ड्रन) अमेंडमेंट बिल, 2021
28 जुलाई को विपक्ष के शोर-शराबे के बीच राज्यसभा से 18 मिनट में पास
द इन्सॉल्वेंसी एंड बैकरप्सी कोड (अमेंडमेंड) बिल 2021
28 जुलाई को पांच मिनट में लोकसभा से पारित
इनलैंड वेसल्स बिल 2021
29 जुलाई को छह मिनट में लोकसभा से और 33 मिनट में दो अगस्त को राज्यसभा से पारित
द एयरपोर्ट इकोनॉमिक्स रेग्यूलैरिटी ऑथोरिटी (अमेंडमेंट) बिल 2021
29 जुलाई को 14 मिनट में लोकसभा से पारित
द कोकोनट डेवलपमेंट बोर्ड (अमेंडमेंट) बिल 2021
29 जुलाई को राज्यसभा से पांच मिनट में पास
द जनरल इंश्योरेंस बिजनेस अमेंडमेंट बिल,2021
दो अगस्त को आठ मिनट के भीतर लोकसभा से पारित
सरकार ने 2020 के बजट सत्र के दूसरे चरण के दौरान भी पिछले पांच दिनों में लोकसभा में हंगामे के बीच तीन प्रमुख विधेयक पारित कराए थे।
विस्तार
विपक्ष ने सरकार पर हंगामे और चर्चा के बिना एक के बाद एक विधेयक पारित कराने का आरोप लगाया है। विपक्ष के शोर-शराबे और हंगामे के बीच विधेयक पारित कराने के विपक्ष की आलोचना का सरकार ने करारा जवाब दिया है। संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि हमारे बारे में यह कहा जा रहा है कि हमने बिना चर्चा के बिल पास कराए हैं। जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के सत्ता में होने पर दर्जनों विधेयक समान परिस्थितियों में और बिना बहस के पारित किए गए थे। मीडिया रिपोर्ट के हवाले से उन्होंने बताया कि यूपीए सरकार में 2004-14 के बीच कई बिलों को बिना चर्चा के पास कराया गया। इसमें आंध्र प्रदेश का विभाजन भी शामिल है। उन्होंने कहा कि हमने विधेयकों पर चर्चा करने की कोशिश की, विपक्ष ने करने नहीं दिया। संसद का मूल काम ही कानून बनाना है। हम वही कर रहे हैं। यूपीए सरकार ये सब करना ही नहीं चाहती थी।
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विपक्ष ने सरकार पर हंगामे और चर्चा के बिना एक के बाद एक विधेयक पारित कराने का आरोप लगाया है। विपक्ष के शोर-शराबे और हंगामे के बीच विधेयक पारित कराने के विपक्ष की आलोचना का सरकार ने करारा जवाब दिया है। संसदीय कार्य मंत्री प्रहलाद जोशी ने कहा कि हमारे बारे में यह कहा जा रहा है कि हमने बिना चर्चा के बिल पास कराए हैं। जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के सत्ता में होने पर दर्जनों विधेयक समान परिस्थितियों में और बिना बहस के पारित किए गए थे। मीडिया रिपोर्ट के हवाले से उन्होंने बताया कि यूपीए सरकार में 2004-14 के बीच कई बिलों को बिना चर्चा के पास कराया गया। इसमें आंध्र प्रदेश का विभाजन भी शामिल है। उन्होंने कहा कि हमने विधेयकों पर चर्चा करने की कोशिश की, विपक्ष ने करने नहीं दिया। संसद का मूल काम ही कानून बनाना है। हम वही कर रहे हैं। यूपीए सरकार ये सब करना ही नहीं चाहती थी।
सरकार की बात में कितनी सच्चाई
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2006 और 2014 के बीच लोकसभा में 18 विधेयकों को हंगामों के बीच पारित कराया था।
कब पारित हुए
2006 - दो
2007 - ग्यारह
2010 - तीन
2011 - एक
2014 - एक
तो इस तरह 2006 से 2014 के बीच यूपीए सरकार ने कुल 18 विधेयक पारित किए।
कितने मिनट में पारित हुए थे
दो- दो केवल एक मिनट में
तीन- तीन दो मिनट में
चार- चार तीन मिनट में
चार- चार मिनट में चार
एक- बारह मिनट में एक
एक- चौदह मिनट में एक