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Amit Shah: 'नेहरू से लेकर आज तक कांग्रेस ने वंदे मातरम का विरोध किया', पढ़ें अमित शाह के संबोधन की बड़ी बातें

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र Updated Tue, 09 Dec 2025 02:45 PM IST
सार

Vande Mataram Debate In Parliament: 'वंदे मातरम' के 150 वर्ष पूरे होने के मौके पर संसद में चर्चा हो रही है। लोकसभा के बाद मंगलवार को इस मुद्दे पर राज्यसभा में चर्चा की शुरुआत हुई। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने स्वतंत्रता आंदोलन में इसके उपयोग का कई मौकों पर जिक्र किया। साथ ही विपक्ष को भी घेरा। जानिए उनके संबोधन की अहम बातें...

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह। - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को राज्यसभा में वंदे मातरम पर चर्चा की शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में वंदे मातरम की भूमिका का जिक्र किया। साथ ही उन्होंने विपक्ष पर भी जमकर निशाना साधा। शाह ने कांग्रेस के 1937 के अधिवेशन में वंदे मातरम के आखिरी चार छंदों के इस्तेमाल रोके जाने के प्रस्ताव पर भी बात की और पंडित नेहरू की भूमिका पर कई सवाल उठाए। अमित शाह ने इंडिया गठबंधन यानी विपक्ष पर आरोप लगाया कि संसद में जब भी वंदे मातरम का गान होता है तब उसके कई सदस्य सदन से बाहर चले जाते हैं, जबकि भाजपा के सभी नेता खड़े होकर इसका उचित सम्मान करते हैं।
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गृह मंत्री ने कहा कि कल कुछ सदस्यों ने लोकसभा में प्रश्न उठाया था कि आज वंदे मातरम पर चर्चा की जरूरत क्या है। वंदे मातरम पर चर्चा की जरूरत जब वंदे मातरम बना था, तब भी थी, आजादी के समय भी थी, आज भी है और 2047 में जब आधुनिक भारत होगा, तब भी रहेगी। क्योंकि वंदे मातरम में कर्तव्य और राष्ट्रभक्ति की भावना है। तो जिन्हें वंदे मातरम पर चर्चा की वजह समझ नहीं आ रहा, उन्हें नए सिरे से सोचने की जरूरत है।
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शाह ने आगे कहा, "जिसकी उद्घोषणा 150 साल पहले बंकिम बाबू ने की, उसका भाव सदियों पुराना है। भगवान राम ने कहा था माता और मातृभूमि ईश्वर से भी बड़ी होती है। मातृभूमि का महिमामंडन प्रभु श्रीराम ने किया, शंकराचार्य ने किया और इसका महिमामंडन आचार्य चाणक्य ने भी किया। मातृभूमि से ज्यादा कोई चीज हो नहीं सकती। इसलिए उस काली रात जैसे गुलामी के कालखंड में वंदे मातरम रोशनी की तरह था।"

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पढे़ं उनके संबोधन के मुख्य बिंदु



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