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Jammu-Kashmir: investigation of killing of non-locals and civilians by terror groups in Kashmir has now been handed over to the NIA
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Jammu Kashmir: एनआईए को सौंपी गई 'टारगेट किलिंग' मामले की जांच, एजेंसी करेगी पाकिस्तान को बेनकाब
डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: Harendra Chaudhary
Updated Tue, 19 Oct 2021 03:37 PM IST
सार
एनआईए द्वारा कई सप्ताह से घाटी में छापेमारी की जा रही है। जिनके यहां छापे पड़े हैं, उन पर परोक्ष या अपरोक्ष तौर पर आतंकियों की मदद करने का आरोप है। ऐसे कई लोगों की प्रॉपर्टी जब्त की गई हैं। कुछ लोगों को गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है...
छापेमारी के दौरान एनआईए की टीम।
- फोटो : Amar Ujala (File Photo)
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कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूहों द्वारा की गई 'नॉन लोकल और सिविलियन' की हत्या के मामले की जांच अब 'एनआईए' को सौंप दी गई है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की जांच का दायरा विस्तृत रखा गया है। घाटी में आतंकियों द्वारा मारे गए निर्दोष लोगों से संबंधित कई दूसरे मामले भी एनआईए जांच का हिस्सा बन सकते हैं। इससे पहले भी एनआईए ने आतंकियों को मदद पहुंचाने के मामले में पाकिस्तान को बेनकाब किया है। घाटी में पाकिस्तान द्वारा सीधे तौर पर आर्थिक मदद पहुंचाई जाती है और उसमें दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास के कर्मियों का भी हाथ रहा है, एनआईए अपनी चार्ज में यह खुलासा कर चुकी है।
सूत्रों के मुताबिक श्रीनगर, कुलगाम और दूसरी जगहों पर जो टारगेट किलिंग हुई हैं, उसकी जांच एनआईए को सौंपने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा हरी झंडी दे दी गई है। एनआईए डीजी का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे कुलदीप सिंह, कश्मीर में मौजूद हैं। बता दें कि पिछले दो सप्ताह में आतंकियों ने पांच अक्तूबर को सबसे पहले कश्मीरी पंडित फार्मासिस्ट माखन लाल बिंद्रू को गोली मारी थी। उसके बाद बिहार के वीरेंद्र पासवान को मारा गया। आतंकियों ने बांदीपोरा के मो. शफी लोन को भी मारा था।
इस घटना के 48 घंटे बाद यानी सात अक्तूबर को प्रिंसिपल सुपिंदर कौर और शिक्षक दीपक चंद को एक साथ गोली का निशाना बनाया गया। घटना के वक्त ये दोनों स्कूल में मौजूद थे। इन्हें गोली मारने से पहले आतंकियों ने इनके पहचान पत्र देखे थे। इसके बाद 16 अक्तूबर को बिहार के अरविंद कुमार साह और यूपी के सगीर अहमद को गोली मारी गई। 17 अक्तूबर को बिहार के राजा ऋषि देव व जोगिंदर ऋषि देव को निशाना बनाया गया। चुनचुन रिषि देव की हालत अभी गंभीर है।
एनआईए द्वारा कई सप्ताह से घाटी में छापेमारी की जा रही है। जिनके यहां छापे पड़े हैं, उन पर परोक्ष या अपरोक्ष तौर पर आतंकियों की मदद करने का आरोप है। ऐसे कई लोगों की प्रॉपर्टी जब्त की गई हैं। कुछ लोगों को गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है। कश्मीर में जिन सिविलियन और नॉन-लोकल्स को मारा गया है, इन वारदातों के पीछे नए आतंकी संगठनों का हाथ बताया जा रहा है। हालांकि टीआरएफ, पीएएफएफ व केएफएफ आदि छोटे समूहों को लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे बड़े आतंकी संगठनों द्वारा खड़ा किया गया है। पाकिस्तान, इन छोटे समूहों को खड़ा कर खुद की छवि को यह कह कर बचाने का प्रयास कर रहा है कि कश्मीर की इन टागरेट किलिंग में उसका हाथ नहीं है। 'लश्कर-ए-तैयबा' की नई शाखा 'द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने भी इन हत्याओं की जिम्मेदारी ली थी। 'यूनाइटेड लिब्रेशन फ्रंट-जम्मू एंड कश्मीर' भी इसी कड़ी का हिस्सा हैं। 'यूएलएफ जेके' ने बिहार के दो लोगों की हत्या करने के बाद जारी पत्र में खुद को फ्रीडम फाइटर बताया है। एनआईए जांच में पाकिस्तान की इस नई रणनीति का खुलासा हो सकता है।
विस्तार
कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित आतंकी समूहों द्वारा की गई 'नॉन लोकल और सिविलियन' की हत्या के मामले की जांच अब 'एनआईए' को सौंप दी गई है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की जांच का दायरा विस्तृत रखा गया है। घाटी में आतंकियों द्वारा मारे गए निर्दोष लोगों से संबंधित कई दूसरे मामले भी एनआईए जांच का हिस्सा बन सकते हैं। इससे पहले भी एनआईए ने आतंकियों को मदद पहुंचाने के मामले में पाकिस्तान को बेनकाब किया है। घाटी में पाकिस्तान द्वारा सीधे तौर पर आर्थिक मदद पहुंचाई जाती है और उसमें दिल्ली स्थित पाकिस्तानी दूतावास के कर्मियों का भी हाथ रहा है, एनआईए अपनी चार्ज में यह खुलासा कर चुकी है।
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सूत्रों के मुताबिक श्रीनगर, कुलगाम और दूसरी जगहों पर जो टारगेट किलिंग हुई हैं, उसकी जांच एनआईए को सौंपने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा हरी झंडी दे दी गई है। एनआईए डीजी का अतिरिक्त कार्यभार संभाल रहे कुलदीप सिंह, कश्मीर में मौजूद हैं। बता दें कि पिछले दो सप्ताह में आतंकियों ने पांच अक्तूबर को सबसे पहले कश्मीरी पंडित फार्मासिस्ट माखन लाल बिंद्रू को गोली मारी थी। उसके बाद बिहार के वीरेंद्र पासवान को मारा गया। आतंकियों ने बांदीपोरा के मो. शफी लोन को भी मारा था।
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