जम्मू-कश्मीर पुलिस की राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) ने पाकिस्तान में एमबीबीएस सीटों को कश्मीरी छात्रों को बेचने और मिले पैसे का आतंकवाद में इस्तेमाल मामले में हुर्रियत नेता मोहम्मद अकबर भट समेत आठ लोगों के खिलाफ आरोप पत्र एक स्थानीय अदालत में दाखिल किया। एनआईए की तर्ज पर नवगठित एसआईए की यह पहली कार्रवाई है।
अधिकारियों ने वीरवार को बताया कि पुलिस की सीआईडी शाखा काउंटर इंटेलिजेंस कश्मीर (सीआईके) ने पिछले साल जुलाई में मामला दर्ज किया था कि कश्मीर घाटी के कुछ हुर्रियत नेताओं सहित कई लोग पाकिस्तान के कुछ शैक्षिक संस्थानों के साथ हाथ मिला कर एमबीबीएस की सीटें बेचने में सक्रिय थे। जिन लोगों के खिलाफ एसआईए ने आरोप पत्र दाखिल किया है
उनमें कट्टरपंथी हुर्रियत कांफ्रेंस के घटक साल्वेशन मूवमेंट के अध्यक्ष मोहम्मद अकबर भट उर्फ जफर अकबर भट के साथ अब्दुल जब्बार, फातिमा शाह, अल्ताफ अहमद भट, काजी यासिर, मोहम्मद अब्दुल्ला शाह, साब्जार अहमद शेख, मंजूर अहमद शाह और महज आजादी फ्रंट के मोहम्मद इकबाल मीर शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि जांच के दौरान मौखिक, दस्तावेजी और तकनीकी साक्ष्य एकत्र किए गए और विश्लेषण में यह सामने आया कि एमबीबीएस और अन्य पेशेवर डिग्री से संबंधित सीटें छात्रों को बेची जाती थीं।
आतंकी घटनाओं के पोषण में हुआ फंड का इस्तेमाल
जुटाए गए साक्ष्यों से पता चला है कि सीटें बेचने से मिले पैसे का उपयोग आतंकवाद, अलगाववाद से संबंधित कार्यक्रमों और अशांति फैलाने वाली घटनाओं को बढ़ावा देने में किया जाता था। यह घटनाएं 2016 में हिजबुल मुजाहिदीन के पोस्टर ब्वॉय बुरहान वानी के मारे जाने के बाद अशांति का एक बड़ा हिस्सा थीं। अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद शांति भंग के असफल प्रयासों में भी इस पैसे का इस्तेमाल किया गया था।
सालाना चार करोड़ सीटें बेचकर मिलती थीं
जांच में यह पाया गया कि आईएसआई के इशारे पर मारे गए आतंकियों के कई परिवारों ने हुर्रियत नेताओं से मिलकर हुर्रियत के कार्यक्रम उपलब्ध कराने की मांग की ताकि आतंकवाद को बढ़ावा दिया जा सके। इसके बदले परिवार को मुफ्त में एमबीबीएस व इंजीनियरिंग सीटें दी गईं।
पाकिस्तान मारे गए आतंकियों के परिवार वालों की इस प्रकार से मदद कर अशांति जारी रखने के साथ ही तकनीकी शिक्षा के बहाने युवाओं को कट्टरपंथ के रास्ते पर धकेलने के प्रयास जारी रखा। प्रति सीट की कीमत 10 से 12 लाख रुपये निर्धारित थी। हुर्रियत नेताओं के हस्तक्षेप पर इसमें रियायत भी दी जाती थी। इस सौदेबाजी में चार करोड़ रुपये सालाना मिलता था। प्रति वर्ष हुर्रियत नेताओं के जिम्मे 40 सीटें आती थीं।
तीन भगोड़े घोषित
एसआईए के अनुसार मोहम्मद अकबर भट उर्फ जफर अकबर भट, फातिमा शाह, मोहम्मद अब्दुल्लाह शाह, साब्जार अहमद शेख व मोहम्मद इकबाल मीर गिरफ्तार कर श्रीनगर सेंट्रल जेल भेजे जा चुके हैं। इसके अलावा अल्ताफ अहमद भट, काजी यासिर व मंजूर अहमद भट को भगोड़ा घोषित किया गया है।
विस्तार
जम्मू-कश्मीर पुलिस की राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) ने पाकिस्तान में एमबीबीएस सीटों को कश्मीरी छात्रों को बेचने और मिले पैसे का आतंकवाद में इस्तेमाल मामले में हुर्रियत नेता मोहम्मद अकबर भट समेत आठ लोगों के खिलाफ आरोप पत्र एक स्थानीय अदालत में दाखिल किया। एनआईए की तर्ज पर नवगठित एसआईए की यह पहली कार्रवाई है।
अधिकारियों ने वीरवार को बताया कि पुलिस की सीआईडी शाखा काउंटर इंटेलिजेंस कश्मीर (सीआईके) ने पिछले साल जुलाई में मामला दर्ज किया था कि कश्मीर घाटी के कुछ हुर्रियत नेताओं सहित कई लोग पाकिस्तान के कुछ शैक्षिक संस्थानों के साथ हाथ मिला कर एमबीबीएस की सीटें बेचने में सक्रिय थे। जिन लोगों के खिलाफ एसआईए ने आरोप पत्र दाखिल किया है
उनमें कट्टरपंथी हुर्रियत कांफ्रेंस के घटक साल्वेशन मूवमेंट के अध्यक्ष मोहम्मद अकबर भट उर्फ जफर अकबर भट के साथ अब्दुल जब्बार, फातिमा शाह, अल्ताफ अहमद भट, काजी यासिर, मोहम्मद अब्दुल्ला शाह, साब्जार अहमद शेख, मंजूर अहमद शाह और महज आजादी फ्रंट के मोहम्मद इकबाल मीर शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि जांच के दौरान मौखिक, दस्तावेजी और तकनीकी साक्ष्य एकत्र किए गए और विश्लेषण में यह सामने आया कि एमबीबीएस और अन्य पेशेवर डिग्री से संबंधित सीटें छात्रों को बेची जाती थीं।
आतंकी घटनाओं के पोषण में हुआ फंड का इस्तेमाल
जुटाए गए साक्ष्यों से पता चला है कि सीटें बेचने से मिले पैसे का उपयोग आतंकवाद, अलगाववाद से संबंधित कार्यक्रमों और अशांति फैलाने वाली घटनाओं को बढ़ावा देने में किया जाता था। यह घटनाएं 2016 में हिजबुल मुजाहिदीन के पोस्टर ब्वॉय बुरहान वानी के मारे जाने के बाद अशांति का एक बड़ा हिस्सा थीं। अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 की समाप्ति के बाद शांति भंग के असफल प्रयासों में भी इस पैसे का इस्तेमाल किया गया था।
सालाना चार करोड़ सीटें बेचकर मिलती थीं
जांच में यह पाया गया कि आईएसआई के इशारे पर मारे गए आतंकियों के कई परिवारों ने हुर्रियत नेताओं से मिलकर हुर्रियत के कार्यक्रम उपलब्ध कराने की मांग की ताकि आतंकवाद को बढ़ावा दिया जा सके। इसके बदले परिवार को मुफ्त में एमबीबीएस व इंजीनियरिंग सीटें दी गईं।
पाकिस्तान मारे गए आतंकियों के परिवार वालों की इस प्रकार से मदद कर अशांति जारी रखने के साथ ही तकनीकी शिक्षा के बहाने युवाओं को कट्टरपंथ के रास्ते पर धकेलने के प्रयास जारी रखा। प्रति सीट की कीमत 10 से 12 लाख रुपये निर्धारित थी। हुर्रियत नेताओं के हस्तक्षेप पर इसमें रियायत भी दी जाती थी। इस सौदेबाजी में चार करोड़ रुपये सालाना मिलता था। प्रति वर्ष हुर्रियत नेताओं के जिम्मे 40 सीटें आती थीं।
तीन भगोड़े घोषित
एसआईए के अनुसार मोहम्मद अकबर भट उर्फ जफर अकबर भट, फातिमा शाह, मोहम्मद अब्दुल्लाह शाह, साब्जार अहमद शेख व मोहम्मद इकबाल मीर गिरफ्तार कर श्रीनगर सेंट्रल जेल भेजे जा चुके हैं। इसके अलावा अल्ताफ अहमद भट, काजी यासिर व मंजूर अहमद भट को भगोड़ा घोषित किया गया है।