जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ सुरक्षाबल विशेष रणनीति के तहत ऑपरेशन चला रहे हैं। पिछले महीने आतंकी हमलों में मारे गए नागरिकों की हत्या में शामिल लगभग सभी आतंकियों का खात्मा किया जा चुका है। सुरक्षाबल खुफिया आधारित सर्जिकल ऑपरेशन के तहत काम कर रहे हैं, जिसमें आतंकी गतिविधियों से निपटने के लिए छोटी टीमें बनाई गई हैं।
सूत्रों का कहना है कि आतंकवाद से निपटने में पुलिस, खुफिया एजेंसियों और सेना के बीच बेहतर तालमेल के एक ढांचे का गठन किया गया है। इसका उद्देश्य आतंकियों के खात्मे के साथ अवाम को सुरक्षित रखना है। ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए स्थानीय आबादी को भरोसे में रखना भी प्राथमिकता है।
पिछले तीन वर्षों में सुरक्षाबलों ने न्यूनतम क्षति सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय किए। इसी का परिणाम है कि 2018 की तुलना में तीन सालों में नागरिकों को कम क्षति पहुंची। डीजीपी दिलबाग सिंह ने गुरुवार को कहा कि हैदरपोरा मुठभेड़ की जांच से पता चलता है कि आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने में आतंकवादियों को एक नेटवर्क का समर्थन प्राप्त था।
उधर, सुरक्षाबलों को जम्मू-कश्मीर के कई हिस्सों में स्थानीय लोगों से कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी सहित समर्थन मिल रहा है क्योंकि उन्होंने पाकिस्तान द्वारा चलाए जा रहे झूठे प्रचार को खारिज कर दिया है। जम्मू-कश्मीर में स्थिति नियंत्रण में है। 2018 में आतंक से संबंधित 318 घटनाओं की तुलना में 2021 में केवल 121 घटनाएं दर्ज की गईं। 2019 में जहां 202 पथराव की घटनाएं हुईं, वहीं 2021 में केवल 39 मामले दर्ज किए गए।
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जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ सुरक्षाबल विशेष रणनीति के तहत ऑपरेशन चला रहे हैं। पिछले महीने आतंकी हमलों में मारे गए नागरिकों की हत्या में शामिल लगभग सभी आतंकियों का खात्मा किया जा चुका है। सुरक्षाबल खुफिया आधारित सर्जिकल ऑपरेशन के तहत काम कर रहे हैं, जिसमें आतंकी गतिविधियों से निपटने के लिए छोटी टीमें बनाई गई हैं।
सूत्रों का कहना है कि आतंकवाद से निपटने में पुलिस, खुफिया एजेंसियों और सेना के बीच बेहतर तालमेल के एक ढांचे का गठन किया गया है। इसका उद्देश्य आतंकियों के खात्मे के साथ अवाम को सुरक्षित रखना है। ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए स्थानीय आबादी को भरोसे में रखना भी प्राथमिकता है।
पिछले तीन वर्षों में सुरक्षाबलों ने न्यूनतम क्षति सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय किए। इसी का परिणाम है कि 2018 की तुलना में तीन सालों में नागरिकों को कम क्षति पहुंची। डीजीपी दिलबाग सिंह ने गुरुवार को कहा कि हैदरपोरा मुठभेड़ की जांच से पता चलता है कि आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने में आतंकवादियों को एक नेटवर्क का समर्थन प्राप्त था।
उधर, सुरक्षाबलों को जम्मू-कश्मीर के कई हिस्सों में स्थानीय लोगों से कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी सहित समर्थन मिल रहा है क्योंकि उन्होंने पाकिस्तान द्वारा चलाए जा रहे झूठे प्रचार को खारिज कर दिया है। जम्मू-कश्मीर में स्थिति नियंत्रण में है। 2018 में आतंक से संबंधित 318 घटनाओं की तुलना में 2021 में केवल 121 घटनाएं दर्ज की गईं। 2019 में जहां 202 पथराव की घटनाएं हुईं, वहीं 2021 में केवल 39 मामले दर्ज किए गए।