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नवाचार और अनुसंधान से खुले अवसरों के द्वार: एलजी

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Srinagar, LG Manoj Sinha, Islamic University
पुलवामा के अवंतिपोरा में उपराज्यपाल। स्रोत राजभवन
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इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी का स्थापना दिवस समारोह
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अमर उजाला ब्यूरो
श्रीनगर। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि प्रदेश में नवाचार और अनुसंधान को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे युवाओं के लिए अवसरों के द्वार खुले हैं। एलजी बुधवार को इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईयूएसटी) के स्थापना दिवस समारोह के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उपराज्यपाल ने आईयूएसटी इनोवेशन कैंपस और अवंतिपोरा स्थित आईयूएसटी मुख्य परिसर में एक नए प्रशासनिक ब्लॉक का उद्घाटन किया।
उपराज्यपाल ने वर्ष 2021 से आईयूएसटी में आए बदलाव और नामांकन, स्टार्टअप इनक्यूबेशन, स्थिरता, अनुसंधान और नवाचार में विश्वविद्यालय द्वारा हासिल की गई महत्वपूर्ण उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि 2021 और 2025 के बीच शैक्षणिक कार्यक्रम 41 से बढ़कर 90 हो गए जो एआई, रोबोटिक्स, डिजाइन योर ओन डिग्री, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी, डेटा विज्ञान, अप्रेंटिसशिप आधारित यूजी स्तर के कौशल पाठ्यक्रम जैसे अंतविषय और अत्याधुनिक पाठ्यक्रम प्रदान करते हैं। विभिन्न विषयों में आवेदन 2021 में 3,000 से बढ़कर 2025 में 7,600 हो गए हैं जिसमें जम्मू-कश्मीर और उसके बाहर से विविधता बढ़ी है।
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उन्होंने कहा कि 2021 से पहले अनुसंधान के लिए आईयूएसटी का बाहरी वित्त पोषण केवल 2 करोड़ रुपये सालाना था। 4 वर्षों में, अनुसंधान के लिए 69 करोड़ रुपये से अधिक का बाहरी वित्त पोषण प्राप्त किया गया। 2021 में एक शून्य स्टार्ट-अप से विश्वविद्यालय पिछले चार वर्षों में 93 स्टार्ट-अप को इनक्यूबेट करने, 225 से अधिक इनक्यूबेट्स की मेजबानी करने और नवीकरणीय ऊर्जा, स्वास्थ्य सेवा और आईटी में पुरस्कार विजेता नवाचारों को पोषित करने तक बढ़ गया है। 32 पेटेंट प्रदान किए गए, 77 पेटेंट प्रकाशित हुए, 33 और दायर किए गए। इसके अतिरिक्त, दो संकाय अपने क्षेत्र में शीर्ष भारतीय वैज्ञानिकों में शुमार हुए। यह आईयूएसटी के लिए गर्व की बात है।

कम लागत वाले ऊर्जा प्रतिरोधी घरों के विकास में अनुसंधान नवाचार के निर्देश

उपराज्यपाल ने आईयूएसटी को कम लागत वाले ऊर्जा प्रतिरोधी घरों के विकास में अनुसंधान नवाचार के निर्देश दिए। उन्होंने विश्वविद्यालय से सड़क और भवन निर्माण सामग्री के प्रभावी पुन: उपयोग और अधिक टिकाऊ सड़कों के लिए कोल्ड-मिक्स तकनीक को बढ़ावा देने के तरीकों पर भी विचार करने को कहा। उन्होंने कहा कि आईयूएसटी को पारंपरिक सिग्नल टावरों पर निर्भर हुए बिना दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए संचार प्रौद्योगिकी के लिए नवीन समाधान भी प्रदान करने चाहिए। इस दौरान अतिरिक्त मुख्य सचिव शांतमनु, प्रो. शकील, ए रोमशू, प्रो. नीलोफर खान, प्रो. एम अशरफ गनी, प्रो. एएच मून, प्रो. अब्दुल वाहिद, वरिष्ठ अधिकारी, विभागाध्यक्ष, संकाय सदस्य और छात्र उपस्थित थे।
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